बुधवारा के श्रीकृष्ण मंदिर में धूमधाम से मनाया गया जन्माष्टमी महोत्सव
मध्यरात्रि को बडी संख्या में उपस्थित रहे भक्तगण

* इसी मंदिर में तीन दिन मुक्काम पर थे भगवान श्रीकृष्ण
अमरावती/ दि. 16 –विख्यात पुरातन माता खिडकी के श्रीकृष्ण मंदिर में 15 अगस्त को जन्माष्टमी उत्सव उत्साह से मनाया गया. इस समय सुबह नामस्मरण, पारायण, देवास मंगलस्नान तथा उपहार का कार्यक्रम हुआ. पश्चात रात 12 बजे श्रीकृष्ण जन्मोत्सव उत्साह से मनाया गया. ऐसी जानकारी मंदिर के ट्रस्ट द्बारा दी गई.
राजस्थानी शैली में धौलपुरी पिंक पत्थर में श्रीकृष्ण मंदिर की भव्य झांकी बनाई गई .अमरावती शहर के लिए यह आकर्षक का केन्द्र रही . दिल्ली, पंजाब, राजस्थान, महाराष्ट्र के कोने- कोने में तथा देश भर से भक्त इस श्रीकृष्ण मंदिर में दर्शन के लिए आते हैं. मंदिर परिसर में चिंतामणि मंदिर में भक्तों द्बारा मानी गई मन्नत तथा इच्छा पूरी होती है, ऐसा श्रध्दालुओं का कहना हैं.
भागवत के अनुसार कौंडण्यपुर रूक्मिणी का विवाह शिशुपाल के साथ निश्चित हुआ था. लेकिन रूक्मिणी को उनसे विवाह नहीं करना था. उन्होंने दिल में ही श्रीकृष्ण से विवाह करना निश्चित किया था. दूसरी तरफ श्रीकृष्ण भी रूक्मिणी के प्रेम के कारण उससे विवाह का मानस बना चुके थे. रूक्मिणी ने अपने विचार एक पत्र में लिखकर सुदैव नामक ब्राह्मण के हाथों श्रीकृष्ण को सूचित किया. शिशुपाल से निश्चित हुए विवाह के एक दिन पूर्व कुल के रितिरिवाज के मुताबिक नियोजित वधु के रूप में जब वह अंबादेवी दर्शन को जायेगी तब उसका हरण करने का प्रस्ताव रूक्मिणी ने श्रीकृष्ण को अपने पत्र में दिया था. वर्तमान के माता खिडकी के श्रीकृष्ण मंदिर में भगवान श्रीकृष्ण तीन दिन मुक्काम पर थे. इसी मंदिर में वे रूक्मिणी का चिंतन कर रहे थे. निश्चित समयानुसार रूक्मिणी अंबादेवी के दर्शन को पहुंची तब वहां से उसका श्रीकृष्ण ने हरण किया, ऐसा कहा जाता है. इस कारण यह मंदिर काफी विख्यात है और हमेशा श्रध्दालुुओं की यहां भीड रहती है. जन्माष्टमी का जन्मोत्सव बडे उत्साह से मनाया जाता है. इस निमित्त शुक्रवार 15 अगस्त को यहां महोत्सव का आयोजन किया गया था. जिसमें बडी संख्या में श्रध्दालु शामिल हुए. मंदिर के ट्रस्ट के अध्यक्ष सुभाष पावडे, उपाध्यक्ष डॉ. अशेाक राउत, सचिव एड. अरूण ठाकरे, कोषाध्यक्ष एस.पी. देशमुख, विश्वस्त सुशांत चर्जन, रावसाहेब राउत, अनिल सहानी व व्यवस्थापक मंडल विनोद कराले, नितिन देशमुख, राहुल सावरकर आदि ने कार्यक्रम को सफल बनाने अथक परिश्रम किया.





