मरीज सेवा से लेकर गो-सेवा तक का कामयाब सफर
डॉ. आशीष सालनकर की सक्रियता बनी, चर्चा का विषय

धामणगांव रेलवे/दि.23 – तहसील ही नही बल्कि अमरावती जिले के साथ-साथ वर्धा, यवतमाल जिले के सैकडो मरीजो के लिए देवदुत बने तहसील के ग्रामीण अस्पताल मे सेवा दे रहे है. एमबीबीएस (एमडी) डॉ. आशीष सालनकर की पहचान एक सुप्रसिद्ध गौेवंश प्रेमी तथा गोैवंश संवर्धक के रूप में हो चुकी है. वे गौेवंश की सेवा के लिए सदैव तत्पर रहते है. डॉ सालनकर की मरीजो की सेवा निष्ठा की चर्चा सर्वत्र की जा रही है. कोरोना काल में सेैकडो मरीजो को जीवनदान देने वाले डॉ. सालनकर गौेवंश की सेवा भी उतनी ही तत्परता से करते है.
डॉ. सालनकर के माता-पिता किसान थे. इसलिए बचपन से ही वे अपने माता-पिता के साथ खेत में जाते थे तब से ही उन्हें गो- सेवा करने की आदत पड गई थी. उनके पास 17 खिल्लार बैल है. डॉ. सालनकर अनेक स्थान पर गोैसेवा करते है. जिसमेे उन्होंने सेवाग्राम, नागपुर, उत्तराखंड के ब्रदीनाथ, केदारनाथ तथा दिल्ली में भी सेवाए दी. डॉ. सालनकर को उनके एक मित्र ने एक दंड भेट किया जिसे वे पोले के दिन अपने साथ पुरे गांव में बैलजोडी के साथ लिए भ्रमण करते है. पोले के पर्व पर वे अपने बैलो को सजाने के लिए काफी खर्च करते है. पिछले कई वर्षो से उनकी बैलजोडी को पहला पुरस्कार मिलता रहा उनकी बैलजोडी को प्रथम पुरस्कार मिलने से पहल स्थान पाने में अन्य बैलजोडी वंचित न रहे इस के लिए उन्होंने पिछले दो वर्षो से अपनी बैलजोडी को स्पर्धा से दूर रखा है. पोला पर्व वे अपनी बैलजोडी के साथ भ्रमण करते है.
*गो-सेवा के लिए जीवन समर्पित
जीवन का हर क्षण मरीजो की सेवा के साथ-साथ गोवंश की सेवा में समर्पित करने का मैने निर्णय लिया है मेरा जीवन गाय के संवर्धन के लिए है.गो -संवर्धन के संदर्भ में सर्वत्कृष्ट मार्गदर्शन करने वाले डॉ. सालनकर गो-सेवा संवर्धन के संदर्भ में भी जरूरी सलाह देते है.





