300 चौरस फुट में 6 माह में 25 लाख रुपए से अधिक केशर उत्पादन
जामनेर में दो दोस्तों ने बंद कमरे में 13 डिग्री सेल्सियस तापमान नियंत्रित कर उगाया केशर

* कश्मीर से लाया एक क्विंटल कंद, अगस्त से जनवरी के दौरान रहता है सत्र
जामनेर/दि. 25 – कश्मीर के ठंडे वातावरण में आनेवाला केशर जामनेर जैसे 40 से 45 डिग्री सेल्सियस तापमान वाले स्थल पर भी उत्पादित किया जा रहा है. यहां के दो इंजीनियर दोस्तों ने घर पर ही एरोपोनिक्स इनडोअर फार्मिंग के माध्यम से उत्पादन किया केशर तुर्की में निर्यात किया 300 चौरस फुट की खेती से यह युवा केवल 6 माह में 25 से 30 लाख रुपए का उत्पादन ले रहे है. कश्मीर में गत वर्ष 35 डिग्री सेल्सियस तक तापमान पहुंच गया था. इस कारण यहां पर भी यही मॉडल निर्मिती का काम दोनों करेगें.
जामनेर के संकेत शंकर पाटिल और सुवेक विवेक कुलकर्णी नामक दोनों दोस्तों ने नोएडा में एरोपोनिक्स तरिके से बंद कमरे में केशर खेती का प्रयोग किया. वह सफल होने के बाद जामनेर में 300 चौरस फुट के बंद दुकान में केशर खेती शुरू की. इसके लिए उन्होंने कश्मीर के पुलवामा के पास के लेथपुर से 8 लाख रुपए क्विंटल के मुताबिक एक क्विंटल कंद खरीदी किया.
* ऐसी की जाती है खेती
अगस्त से जनवरी माह तक केशर का सत्र रहता है. खेत की मिट्टी में संग्रहित रखा कंद अगस्त में बाहर निकालकर तापमान नियंत्रित किए कमरे में ट्रे में रखा जाता है. उसे समय के मुताबिक पानी, बिजली और तापमान की व्यवस्था की जाती है. मिट्टी के बगैर फसल का संगोपन किया जाता है. जनवरी में सत्र समाप्त होने के बाद निष्क्रिय हो चुके कंदों को फिर से संग्रहित किया जाता है. एक बार खरीदे जाने के बाद यह कंद आगामी 6 से 7 साल तक उत्पादन ले सकते है.
* केशर की लागत, उत्पादन गणना
शुरूआत में दो चरणों में 8 लाख रुपए प्रतिक्विंटल के मुताबिक 16 लाख रुपए में दो क्विंटल कंद खरीदे गए. कंदों का वार्षिक किराया 5 लाख रूपए में तापमान नियंत्रण के लिए 2 चिलर लगाए गए. मासिक बिजली बील 20 से 25 हजार रुपए आता है. एक क्विंटल के सेटअप के लिए 15 लाख रुपए खर्च आता है. गत वर्ष एक क्विंटल कंद से साढे पांच किलो उत्पादन मिला था. तुरकी को निर्यात से उन्हें 5 किलो के पीछे उन्हें 27 लाख 50 हजार रुपए मिले.





