क्या वाकई 27 अप्रैल 2026 के बाद नहीं बनेंगे जन्म प्रमाणपत्र
सोशल मीडिया पर वायरल संदेश से मचा हड़कंप, क्या है हकीकत?

अमरावती /दि.25 – सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर बीते कुछ दिनों से एक संदेश तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें दावा किया जा रहा है कि भारत सरकार ने जन्म प्रमाणपत्र बनवाने की अंतिम तारीख 27 अप्रैल 2026 तय कर दी है. संदेश में यह भी कहा जा रहा है कि इस तारीख के बाद किसी भी नागरिक को जन्म प्रमाणपत्र जारी नहीं किया जाएगा. इस दावे से आम लोगों में भारी चिंता और भ्रम फैल गया है. कई लोग जन्म प्रमाणपत्र बनवाने के लिए नगर निगम और पंचायत कार्यालयों का रुख कर रहे हैं. हालाँकि, सरकारी एजेंसी पीआईबी फैक्ट चेक ने इस दावे को पूरी तरह फर्जी करार दिया है. उनके अनुसार, भारत सरकार ने जन्म प्रमाणपत्र बनवाने को लेकर ऐसी कोई अंतिम तिथि निर्धारित नहीं की है. पीआईबी फैक्ट चेक के मुताबिक सोशल मीडिया पर प्रसारित हो रहा यह दावा पूरी तरह से झूठा और भ्रामक है कि 27 अप्रैल 2026 जन्म प्रमाणपत्र की अंतिम तिथि है. ऐसे में नागरिकों को चाहिए कि वे केवल आधिकारिक स्रोतों से ही जानकारी प्राप्त करें.
सरकारी एजेंसी पीआईबी फैक्ट चेक की ओर से यह भी कहा गया कि, जन्म प्रमाणपत्र नागरिक के लिए एक बुनियादी दस्तावेज है, जिसका इस्तेमाल स्कूल एडमिशन, पासपोर्ट, सरकारी योजनाओं और पहचान प्रमाण के रूप में किया जाता है. यह पंजीकरण संबंधित नगर निगम, नगर परिषद या ग्राम पंचायत द्वारा किया जाता है. भारत सरकार ने इसके लिए अब तक किसी भी अंतिम समय-सीमा की घोषणा नहीं की है. ऐसे में नागरिकों को चाहिए कि, सोशल मीडिया पर फैलाए जा रहे ऐसे भ्रामक संदेशों से बचें और सरकारी दावों की पुष्टि आधिकारिक वेबसाइट या पीआईबी फैक्ट चेक से करें.
बॉक्स/फोटो- अज़हर पटेल व डॉ असलम भारती
इस पूरे मामले पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए पत्रकार अज़हर पटेल ने कहा कि जन्म प्रमाणपत्र नागरिक का बुनियादी अधिकार है. इसे हर किसी को बनवाना चाहिए, क्योंकि आगे चलकर यह जीवन के हर क्षेत्र में ज़रूरी होता है. लेकिन लोगों को सोशल मीडिया पर फैलाए जा रहे भ्रामक संदेशों से गुमराह नहीं होना चाहिए. सरकार ने ऐसी कोई अंतिम तारीख तय नहीं की है. इसलिए घबराने की जगह जागरूक होकर सही प्रक्रिया से जन्म प्रमाणपत्र बनवाएँ. सोशल मीडिया पर वायरल फेक मैसेज से सावधान रहे सतर्क रहे.
वहीं सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. असलम भारती का इस बारे में कहना रहा कि, तेज तर्रार डिजिटल युग में सोशल मीडिया हमारे दैनिक जीवन का एक अभिन्न अंग बन गया है. जो हमारे जोड़ने, संवाद करने और जानकारी प्राप्त करने के तरीके को आकर दे रहा है. सोशल मीडिया का एक दूसरा रुप यह भी है कि इसको नकारात्मक सोच रखने वाले लोग ऑनलाइन फ्रॉड, ब्लैकमेल, समाज में अशांति फैलाने का कृत्य, शांत वातावरण को धुमिल करने का काम करते हैं. यह फेक मैसेज बनाने वालों का मकसद एक ही होता है. किसी भी तरह आम जनता में भय का डर का माहौल पैदा किया जाए. सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने वाले जनता को भी ही चाहिए के सोशल मीडिया पर वायरल होने वाले मैसेज पर अंधाधुन विश्वास न करें. इस तरह के फेक मैसेज से सतर्क रहे सावधान रहे.





