महाभारतकालीन हैं श्री क्षेत्र वायगांव के सिद्धीविनायक
पांडवों के पदस्पर्श से पावन हुआ है तीर्थक्षेत्र

* दाहिनी सूंड वाली अद्भूत गणेश मूर्ति है स्थापित
अमरावती/दि.25 – समिपस्थ भातकुली तहसील अंतर्गत श्री क्षेत्र वायगांव का पौराणिक, धार्मिक व ऐतिहासिक महत्व माना जाता है. वायगांव में दाहिनी सूंड वाले सिद्धीविनायक की अद्भूत गणेश मूर्ति स्थापित है और यह लाखों गणेश भक्तों का श्रद्धास्थान है. श्री क्षेत्र वायगांव में भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी से पूर्णिमा तक 10 दिन चलनेवाले गणेशोत्सव में रोजाना अन्नदान, ज्ञानदान, भजन, कीर्तन व हरिपाठ जैसे धार्मिक उपक्रमों का आयोजन होता है. जिसके चलते पूरे 10 दिनों तक श्री क्षेत्र वायगांव में गणेश भक्तों की अच्छी-खासी रेलचेल भी रहती है.
पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक महाभारत के विराट पर्व के दौरान अज्ञातवास में रहते समय पांडव अमरावती जिले के चिखलदरा परिसर में आए थे. जहां से वापसी के समय उन्होंने वायगांव स्थित इसी गणेश मूर्ति के दर्शन करने के उपरांत अपने अज्ञातवास की समाप्ति की थी. इस मान्यता के चलते इस मूर्ति को पौराणिक व ऐतिहासिक महत्व प्राप्त हुआ है. करीब 6 शतक पहले वायगांव परिसर में हुई खुदाई के दौरान यह मूर्ति प्राप्त हुई थी. मुगल आक्रमण काल के समय मूर्तिभंजन के भय के चलते इस मूर्ति को भूमिगत रखा गया था. वायगांव के आसपास अचलपुर, दारापुर व खोलापुर जैसे स्थानों पर मुगलों की छावनियां रहने के चलते वायगांव स्थित श्री सिद्धीविनायक की मूर्ति को लंबे समय तक छीपाकर रखा गया था. पश्चात इंगोले परिवार के घर के पास हुई खुदाई में यह मूर्ति बरामद हुई. जिसे वाडारुपी मंदिर में पुनर्स्थापित किया गया. कालांतर में गणेश भक्तों की बढती भीड को ध्यान में रखते हुए इंगोले परिवार ने भाविकों की सुविधा हेतु एक ट्रस्ट की स्थापना की तथा इंगोले व पाटिल परिवार के सदस्यों ने खुद अपने खेत दान करते हुए वहां पर भव्य मंदिर साकार किया. इस समय इस मंदिर का व्यवस्थापन इंगोले व पाटिल परिवार के सदस्यों द्वारा ही किया जाता है तथा ट्रस्ट के अध्यक्ष विलास तुकाराम इंगोले है.
वायगांव स्थित श्री सिद्धीविनायक मंदिर में सालभर के दौरान दो प्रमुख उत्सव बडी धुमधाम के साथ साकार किए जाते है. जिसके भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी वे अनंत चतुर्दशी तक 10 दिन चलनेवाले गणेशोत्सव में रोजाना अन्नदान, ज्ञानदान, भजन-कीर्तन व हरिपाठ जैसे धार्मिक उपक्रमों का आयोजन किया जाता है. साथ ही गणेश जयंती उत्सव में भी महाराष्ट्र व मध्य प्रदेश सहित अन्य कई राज्यों से लाखों गणेश भक्त यहां पर दर्शन हेतु आते है.
* मनमोहक विशेषताओं वाली है सिद्धीविनायक की मूर्ति
श्री क्षेत्र वायगांव स्थित श्री सिद्धीविनायक मंदिर में दाहिनी सूंड वाले श्री गणेश की अद्वितीय मूर्ति स्थापित है. जिनके बायीं ओर सिद्धी, दाहिनी ओर रिद्धी, पांव पर पद्म व शंख चिन्ह, हाथों में माला व मोदक सहित ऐहिक जीवन की समृद्धि के प्रतिक है. खास बात यह है कि, उत्तरायण व दक्षिणायण की दोनों संक्रांत पर सूर्योदय की पहली किरणे सीधे इस गणेश मूर्ति पर पडती है. मुंबई के अलावा महाराष्ट्र में केवल वायगांव में ही ऐसी अद्वितीय सिद्धीविनायक की मूर्ति रहने के चलते इस तीर्थक्षेत्र का महत्व अपार है. इतिहास, आख्यायिका व भक्तिभाव का त्रिवेणी संगम रहनेवाला श्री क्षेत्र वायगांव स्थित श्री सिद्धीविनायक मंदिर केवल भाविक भक्तों की श्रद्धा को आधार ही नहीं देता, बल्कि महाभारत काल की सांस्कृतिक परंपरा की साक्ष भी देता है.





