महानुभाव पंथ के विचारधारा के कारण समृध्द होगा महाराष्ट्र

चक्रधर स्वामी के अवतरण दिवस पर राजस्व मंत्री बावनकुले का प्रतिपादन

मुंबई /दि. 28 – विश्व और विशेषकर भारत को ईश्वर, देश और धर्म के कार्य हेतु चक्रधर स्वामी की ओर से दिए गए विचारों की आवश्यकता है, आज का दिन हम सभी के लिए अध्यात्मिक सुख और आत्मियता संतुष्टि लेकर आएगा और महानुभाव पंथ के विचार महाराष्ट्र को समृध्द करेंगे, यह विचार राजस्व मंत्री चंद्रशेख बावनकुले ने व्यक्त किए. भगवान श्री चक्रधर स्वामी के अवतरण दिवस के अवसर पर मुंबई के यशवंतराव चव्हाण केंद्र में आयोजित कार्यक्रम में बावनकुले ने उक्त विचार व्यक्त किए. इस मौके पर करंजेकर बाबा, बिडकर बाबा, लासुरकर, सातारकर, चिरदे बाबा, राहेकर बाबा, मंगेश चिवटे, अजीत चव्हाण, अनिल बोडारे आदि उपस्थित थे. बावनकुले ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘विकसित भारत 2047’ के संकल्प का उल्लेख करते हुए कहा कि महाराष्ट्र महानुभाव पंथ के विचार से जुडा है. महानुभाव पंथ के विचारों को यदि सभी तक पहुंचाया जाए, तो एक समृध्द महाराष्ट्र का निर्माण हो सकता है. सामाजिक समता और सेवा के इन अनमोल विचारों को अगली पीढी तक पहुंचाना आवश्यक है. दुनिया में कई प्रकार की मशीनें है, लेकिन ऐसा कोई मशीन नहीं है जो रक्त का उत्पादन करती हो, यह केवल मानव शरीर में ही उत्पन्न होती है और यह शरीर शुध्दि का कार्य, अच्छे इंसान बनाने का कार्य महानुभाव संप्रदाय के माध्यम से किया जाता है.
बावनकुले ने कहा कि ईश्वर देश और धर्म का कार्य करने के लिए अच्छे लोगों का होना आवश्यक है और इसके लिए तीर्थस्थल महत्वपूर्ण है. तीर्थस्थलों को नागरिक सुविधाओं की आवश्यकता है और सरकार इसके लिए एक योजना तैयार कर रही है.धार्मिक, सामाजिक मुद्दो पर सरकार सकारात्मक- इस अवसर पर बावनकुले ने महानुभाव संप्रदाय की विभिन्न मांगो पर भी बात की. उन्होंने कहा कि कब्रिस्तानों के नामकरण और फ्लाईओवर जैसी मांगों पर सरकार सकारात्मक है. उन्होंने आश्वासन दिया कि एक राजस्व विभाग के रूप में हम जो भी आवश्यक होगा, अवश्य करेंगे. लेकिन एक सरकार के रूप में, हम सभी सुविधाएं प्रदान करने का प्रयास करेंगे. उन्होंने यह भी कहा कि, भविष्य में मुख्यमंत्री से चर्चा करके कई कार्यों को मूर्त रूप दिया जाएगा. कार्यक्रम के अंत में बावनकुले ने विश्वास व्यक्त किया कि भगवान श्रह चक्रधार स्वामी के अवतरण दिवस को उचित ढंग से मनाने के लिए एक समिति नियुक्त की गई है और उसकी सिफारिशों को स्वीकार किया जाएगा. उन्होंने राष्ट्रीय विचार और शिक्षा प्रदान करने के लिए ऐसे कार्यक्रमों की आवश्यकता पर भी बल दिया.

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