कलंब के चिंतामणि में उमडे दर्शनार्थी
मान्यता है कि हरते सभी की चिंता

* गणेशोत्सव 2025 में सुंदर लाइटिंग और व्यवस्था
अमरावती /दि. 28 – कलंब का चिंतामणि गणेश मंदिर पूरे राज्य के गणेश भक्तों की आस्था का केंद्र है. यह विदर्भ के अष्टविनायकों में से एक है. इस प्राचीन मंदिर में पूरे वर्ष भक्तों का तांता लगता है. इस प्राचीन मंदिर की खास बनावट है. यह मंदिर जमीन के स्तर से 35 फीट गहराई में है. कुछ सीढियां उतरने के बाद कुंड के सामने चिंतामणि गणेश के दर्शन होते है. यह विश्व की एकमात्र दक्षिणाभिमुख मूर्ति है. कहा जाता है कि वे भक्तों के हर विघ्न को हरते है. यहां यवतमाल और वर्धा जिले के अनेक भक्त बगैर चप्पल पहने लंबी यात्रा करते आते है. मंदिर के ट्रस्टी चंद्रशेखर चांदोरे के अनुसार मंदिर के सामने सभा मंडप का निर्माण बाल गंधर्व ने किया था. उन्होंने यवतमाल के एक कार्यक्रम से मिली पूरी राशि इसमें खर्च की थी. कई लोग माह में कम से कम एक बार पैदल मंदिर में आकर चिंतामणि के दर्शन करते है.
* कैसे जाएं दर्शनार्थी
नागपुर मार्ग पर स्थित इस मंदिर की दूरी यवतमाल से 23 किमी है. वर्धा में 42 किमी तथा नागपुर से 120 किमी है. यवतमाल से हर दस मिनट में कलंब के लिए रापनि की बस के अलावा निजी बसें भी चलती है.
* चरण स्पर्श के लिए गंगा का अवतरण
मंदिर के सामने गणेश कुंड है. मान्यता है कि यहां हर 12 वर्ष बाद गंगा अवतरित होती है और चिंतामणि के पैरों का स्पर्श कर लौट जाती है. हालांकि पिछली बार गंगाजी के अवतरण के लिए भक्तों को 27 साल तक इंतजार करना पडा. कोरोना काल होने के कारण भक्तगण इस दौरान चिंतामणि के साथ मां गंगा के दर्शन नहीं कर पाए थे. वर्ष 1918, 1933, 1948, 1958, 1970, 1983, 1995 तथा फिर 27 साल बाद वर्ष 2022 में गंगा नदी इस कुंड से अवतरित हुई थी. पुरानी सुनील श्रीकिशन चहाणकर के अनुसार अंतिम बार वर्ष 2022 में मां गंगा नदी ने भगवान श्रीगणेश के पैरों को स्पर्श किया था.
* मंदिर का इतिहास
इस मंदिर का निर्माण संभवत: आठवीं शताब्दी से भी पहले हुआ था. 18 पुराणों में से एक भृगु ऋषि द्बार रचित गणेश पुराण भी आठवीं शताब्दी का उल्लेख है. उसमें और बाद में मुद्गल ऋषि द्बारा लिखित मुद्गल पुराण में गणेश स्थापना और उनके माहात्म्य का वर्णन है. मुंबई और पुणे जैसे शहरों से भक्त विशेष रूप से चक्रवती नदी के तट पर बसे चिंतामणि मंदिर के दर्शन के लिए आते है. पुणे के पास थेउर में चिंतामणि मंदिर की कथा का संबंध कलंब के चिंतामणि से होने की मान्यता है.
* रामायण काल से संबंध
मान्यता है कि मंदिर की स्थापना स्वय देवराज भगवान चंद्र ने की थी. ऋषि गौतम के शाप से मुक्ति के लिए इंद्र ने गणेश षडाक्षर मंत्री की साधना की थी. तब श्री गणेश ने प्रसन्न होकर अपने अंकुश से कुंड का निर्माण किया. इसी कुंड के पानी से इंद्र का त्वचारोग नष्ट हुआ. इसके बाद उन्होंने यहां पर चिंतामणि गणेश की स्थापना की. उस समय इंद्र ने चिंतामणि गणेश के अभिषेक के लिए गंगा नदी का आह्वाण किया और वे अवतरित हुई. भक्तों का मानना है कि यह पानी काफी पवित्र है. इससे किसी भी तरह के त्वचारोग नष्ट हो जाते है.





