पितृपक्ष के पहले दिन चंद्र ग्रहण

अमरावती /दि.29 – पितृपक्ष की पूर्णिमा तिथि पर रविवार दिनांक 7 सितंबर को पूर्ण चंद्र ग्रहण संपूर्ण भारत में दिखाई देगा, श्राद्ध संबंधित स्पष्टता के लिए पुरोहित संघ की सभा सिटी कोतवाली के पीछे स्थित बालाजी मंदिर अकोला में ली गई. जिसमें बताया गया कि, यह ग्रहण भारत में दिखाई देखा. इसके पखवाडेभर बाद आनेवाला सूर्यग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा, इसलिए उसके वेद और सिद्धांत अनुपालन की आवश्यकता नहीं हैै.
बहरहाल 7 सितंबर के ग्रहण के बारे में पुरोहितों ने विस्तृत जानकारी दी. महाराष्ट्रीयन पंचांग के अनुसार खग्रास चंद्र ग्रहण रात्रि 9:57 से लेकर रात्रि 1:26 तक रहेगा. सम्राट पंचांग इसमें सूक्ष्म जानकारी लिखता हैऊप छाया प्रवेश-: रात्रि 8:57ग्रहण स्पर्श-: रात्रि 9:57पूर्णता प्रारंभ-: रात्रि 11:00 बजेग्रहण का मध्यकाल-: रात्रि 11:41ग्रहण की पूर्णता समाप्त-: रात्रि 12:23ग्रहण समाप्त, मोक्ष-: रात्रि 1:27 ऊपछाया अंत मध्य रात्रि 2:27ग्रहण की अवधि 3 घंटे 30 मिनटइस ग्रहण का वेध सूतक लगेगा.
दोपहर में 12:52, क्या ग्रहण में पूर्णिमा का श्राद्ध करना चाहिए?मिलता है के निर्णय सिंधु के पृष्ठ क्रमांक 94,95 परचंद्र सूर्य ग्रहणे यस्तू श्राद्धम विधिवदाचरेत, तेनैव सकला पृथ्वी दत्ता विप्रस्य वै करै. अर्थात जो चंद्र सूर्य ग्रहण में श्राद्धकरता है विधि पूर्वक, उसे ब्राह्मण को पूरी पृथ्वी दान करने का फल की प्राप्ति होती है, चंद्र सूर्य ग्रहण में कच्चे अन्न से या स्वर्ण से श्राद्ध की विधि संपन्न करना चाहिए, श्राद्ध करने वाले यजमान श्राद्ध में यदि ब्राह्मण भोजन कराते हैं तो अनंत गुलाब फलों की प्राप्ति होती है पुण्य होता है श्राद्ध करने तथा भोजन कराने वाले को अनंत गुना पुण्य फल की प्राप्ति होती है, परंतु जो ब्राह्मण इसमें दान लेता है भोजन करता है उसे भयंकर दोष लगता है सूतक हो या चंद्रग्रहण या सूर्य ग्रहण इसमें श्राद्ध करना चाहिए, यदि आपको शंका हो तो दोपहर 12:52 के पहले श्राद्ध विधि संपन्न कर ले, ध्यान रहे सूतक चंद्र ग्रहण में श्राद्ध और दान चलता है, मूर्ति पूजा इत्यादि की मनाई है. सभी को रात्रि 9:57 से उत्तर रात्रि 01:26 तक ग्रहण मानना चाहिए.





