वाशिम-बुलढाणा के लिए हो अलग विद्यापीठ

विधायक धीरज लिंगाडे की मांग

* आगामी सत्र में सदन में प्रस्ताव रखेंगे
* ढेर सारे काम किए हैं, लगातार फालोअप भी
अमरावती/दि.30 – कांग्रेस के विधान परिषद सदस्य धीरज लिंगाडे ने आज वाशिम और बुलढाणा जिले के लाखों विद्यार्थियों की सुविधार्थ पृथक विश्वविद्यालय के स्थापना का मुद्दा उठाया. उन्होंने कहा कि, अलग विद्यापीठ की नितांत आवश्यकता है, इसके लिए वे जल्द ही होनेवाले सत्र में प्रस्ताव रखेंगे. आज सबेरे सर्कीट हाऊस पर मीडिया से अनौपचारिक बातचीत लिंगाडे कर रहे थे.
एमएलसी लिंगाडे ने कहा कि, अमरावती विद्यापीठ के बुलढाणा और वाशिम जिलो से 150 किमी दूर होने और छात्र-छात्राओं को 300 किमी का आना-जाना करना पडता है. लिंगाडे ने कहा कि, बहुत तकलीफदेह हो जाता है. ऐसे में एक अलग विद्यापीठ उपरोक्त दोनों जिले के विद्यार्थियों और शिक्षाविदों की सुविधार्थ होना ही चाहिए. भूतकाल में भी नागपुर विश्वविद्यालय के अमरावती से 150 से अधिक किमी दूर होने के कारण अमरावती विवि की स्थापना की गई थी. स्नातक निर्वाचन क्षेत्र के विधायक ने कहा कि, विद्यापीठ की स्थापना अवश्य करवाएंगे. इसके लिए आगामी सत्र में सदन में प्रस्ताव रखेंगे.
अपने दो वर्षों के हो चले कार्यकाल का ब्यौरा भी लिंगाडे ने देने का प्रयत्न किया. उन्होंने बताया कि, अनेक मनपा शालाओं सहित गांव-देहात की शालाओं को भी उन्होंने डिजिटल बोर्ड और शालेय सुविधाएं प्रदान की है. पांच जिलो के न्यायालयों में ई-लाईब्ररी उनके प्रयासो से साकार हुई है. जब उनके पूछा गया कि वे बीटी देशमुख की परंपरा के उत्तराधिकारी है, तो लिंगाडे ने तुरंत कहा कि, स्नातक के लिए सुविधाएं जुटाने एवं समस्याओं को दूर करने पर उनका बराबर ध्यान है. वे फालोअप भी लेते हैं. अपने विधायक फंड से प्रावधान भी करते हैैं. मराठी भाषा की शालाओं की स्थिति और मनपा सहित पालिका स्कूलों के हालात के बारे में सवाल करने पर अंग्रेजी जाननेवाले अध्यापकों की पीढी आना शुरु हो गई है. धीरे-धीरे हालात बदल जाने का दावा धीरज लिंगाडे ने किया.
* विद्यापीठ के रिक्त पद
उनसे पूछा गया कि, अमरावती विवि के कई महत्वपूर्ण पद रिक्त पडे हैं. नई नियुक्तियां नहीं हो रही है. प्रभारियों के भरोसे शिक्षा जैसा महत्वपूर्ण कार्य चलाया जा रहा है, तब लिंगाडे ने कहा कि, वे इस बारे में सभी स्तरों पर प्रयत्न करेंगे. उन्होंने स्वीकार किया कि, यही स्थिति रही तो अगले दो वर्षों में विश्वविद्यालय के अधिकांश पद खाली हो जाएंगे. पूछने पर मनपा और सरकारी शालाओं के औचक निरीक्षण का दावा भी उन्होंने किया.

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