सरकार पर सैकडों करोड बकाया
नागपुर में ठेकेदार मुन्ना वर्मा की आत्महत्या

* प्रदेश में 89 हजार करोड के बिल प्रलंबित
* ठेकेदार खुदकुशी का तीसरा-चौथा मामला
नागपुर/दि.1 – राज्य शासन पर विकास कार्यों के 89 हजार करोड के बिल बकाया होने से परेशान सरकारी सिविल ठेकेदार एक के बाद एक मौत को गले लगा रहे हैं. ताजा घटना में नागपुर के प्रसिद्ध ठेकेदार मुन्ना वर्मा द्वारा आत्महत्या किए जाने से नागपुर से लेकर मुंबई तक खलबली मची है. उसी प्रकार यह भी दावा किया जा रहा है कि, सरकारी बिल बकाया होने से आर्थिक संकट से जूझ रहे ठेकेदार एक के बाद एक आत्महत्या कर रहे हैं. प्रदेश में मुन्ना वर्मा तीसरे या चौथे ठेकेदार है, जिन्होंने खुदकुशी कर ली.
* सरकार पर बकाया, आर्थिक परेशानी
उल्लेखनीय है कि, अमरावती से लेकर बारामती तक सभी शासकीय ठेकेदारों के करोडों के बिल काम पूरे होने के महिनों बाद भी बकाया होने से सभी आर्थिक परेशानी में आ गए हैं. ठेकेदार संगठनों ने पहले जिला, फिर क्षेत्र और फिर प्रदेश स्तर पर आंदोलन भी किए, किंतु सरकार के कान पर जूं नहीं रेंगी. जिसके कारण आर्थिक परेशानी से हलकान ठेकेदारों ने उनके बकाएदारों के तकादे की वजह से आत्मघाती कदम उठाना शुरु कर दिया.
* बडे ठेकेदार थे पेनमाचा वर्मा
नागपुर के काटोल रोड निवासी पेनमाचा व्यंकटेश्वर वर्मा बडे शासकीय ठेकेदार थे. उन्हें मुन्ना वर्मा के नाम से सभी जानते और पुकारते हैं. हॉट मिक्स ठेकेदार मुन्ना वर्मा के राज्य शासन पर करोडों के बिल महिनों से प्रलंबित है. ऐसे में उन्हें बकाएदारों द्वारा तकादा किया गया. जिससे हताश होकर पेनमाचा वर्मा ने खुदकुशी कर ली. सरकारी बकाए के कारण वे कर्ज के बोझ से दब जाने की जानकारी निकटवर्तीयों ने दी है. अमरावती मंडल को पता चला है कि, मुन्ना वर्मा ने अमरावती जिले के भी कई विकास प्रकल्पो के काम किए हैं. इस बीच उनकी आत्महत्या से समस्त ठेकेदार जगत शोकमग्न हो गया है. सभी उनकी खुदकुशी के लिए शासन को दोष दे रहे है. इतना ही नहीं कुछ ठेकेदारों ने दावा किया कि, सरकार ने शीघ्र बिलों की राशि जारी नहीं की तो ऐसी आत्महत्या की और भी घटनाएं देखने मिल सकती है. प्रदेश के सैकडों ठेकेदार अपना बिल नहीं निकलने के कारण घोर वित्तिय संकट में आ गए हैं. ठेकेदारों ने पिछले माह निवेदन और धरना प्रदर्शन किया. राज्यव्यापी आंदोलन के बावजूद शासन उनके बिल अब तक जारी नहीं कर पाया है. मुन्ना वर्मा के पहले भी प्रदेश के दो-तीन शासकीय ठेकेदारों ने आत्महत्या की है.





