जिप व पंस में आरक्षण बदल की नीति से हडकंप

एससी-एसटी आरक्षण के रोटेशन को सभी गटों में कायम रखने की उठ रही मांग

अमरावती/दि.2 – इस समय जिलेभर में चुनावी वातावरण तपा हुआ है और हाल ही में जिला परिषद के 59 गट व पंचायत समिति के 118 गणों की प्रभाग रचना की प्रक्रिया पूरी हुई है. वहीं इसी दौरान जिला परिषद चुनाव से पहले राज्य सरकार के ग्रामविकास विभाग द्वारा 20 अगस्त 2025 को जारी अधिसूचना के चलते आरक्षण के नियमों में बदलाव होने की संभावना पैदा हुई है. जिसके चलते कई प्रभागों में आरक्षित सीटों पर चुनाव लडने के इच्छुकों की आशाओं व उम्मीदों पर पानी फिरने की आशंका बनी हुई है. ऐसे में सन 1996 से नियमानुसार चलाए जा रहे अनुसूचित जाति (एससी) व अनुसूचित जनजाति (एसटी) के आरक्षण के चक्रानुक्रम यानि रोटेशन को जिप के सभी 59 गटों यानि प्रभागों में कायम रखने की मांग जोर पकड रही है.
इस संदर्भ में मिली जानकारी के मुताबिक सन 1996 के नियमानुसार आरक्षण का रोटेशन सन 2002 से चल रहा था और अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति व नागरिकों के पिछडे प्रवर्ग ऐसे तीनों प्रवर्गों का आरक्षण जिला परिषद के 59 प्रभागों में पहुंचने तक इसे शुरु रखना पंचायत राज व्यवस्था की उद्दीष्टपूर्ती हेतु जरुरी व वैधानिक था. परंतु मौजूदा राज्य सरकार ने आरक्षण के रोटेशन को बाधित करनेवाला एक नया आदेश अमल में लाया है. जिसके चलते 59 में से 18 प्रभागो में अनुसूचित जाति, 12 प्रभागो में अनुसूचित जनजाति व 2 प्रभागो में नागरिकों के पिछडा प्रवर्ग वाली सीटों का नुकसान हो रहा है. साथ ही 59 में से जो 18 प्रभाग अनुसूचित जाति संवर्ग के आरक्षण से वंचित हो रही है, वे सीटे जिप की स्थापना से लेकर अब तक यानि 65 वर्षों से आरक्षण से वंचित है. साथ ही अब अगले 25 वर्षों तक इन सीटों पर आरक्षण नहीं मिल सकेगा. इसी तरह 59 में से जो 12 प्रभाग में एसटी यानि अनुसूचित जनजाति का आरक्षण नहीं दिया गया है. वहां पर भी अगले 25 वर्षों तक इस प्रवर्ग का आरक्षण नहीं मिलेगा, क्योंकि उन प्रभागों में संबंधित प्रवर्गों की जनसंख्या तुलनात्मक रुप से कम है और जब इन दोनों प्रवर्गों का आरक्षण निकल जाएगा, तो इनकी संख्या 23 रहेगी तथा इन सभी 23 स्थानों का आरक्षण ऐसे स्थानों पर जाएगा, जहां पर विगत 65 वर्षों से आरक्षण लगातार चल रहा है. जिसके चलते उन प्रभागों के अन्य लोगों पर अन्याय हो रहा है. ऐसे में इस नियम में बदलाव करने की मांग जोर पकड रही है, ताकि आरक्षित संवर्ग में आनेवाले प्रवर्गों को प्रत्येक प्रभाग में आरक्षण का लाभ मिले, साथ ही साथ आरक्षण की वजह से अन्य प्रवर्गों को किसी भी तरह की तकलीफ या दिक्कत का सामना न करना पडे.

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