मराठा समाज के सामने सरकार झुकी!

जरांगे पाटिल की कई माँगें मंज़ूर, कुछ मांगों पर फैसला जल्द

मुंबई/दि.2- मराठा आरक्षण की लड़ाई को लेकर मुंबई में आंदोलनरत मनोज जरांगे पाटिल की माँगों को लेकर आज बड़ा मोड़ आया. राज्य सरकार की ओर से बनी मराठा आरक्षण उपसमिति के सदस्य व मंत्री राधाकृष्ण विखे पाटिल, माणिकराव कोकाटे, शिवेंद्रराजे भोसले, उदय सामंत और जयकुमार गोरे ने जरांगे पाटिल से मुलाकात की. इस दौरान जरांगे ने बताया कि उनकी ज़्यादातर प्रमुख माँगें सरकार ने मान ली हैं.
* आइए जानते हैं कौन-सी माँगें मंज़ूर हुईं और कौन-सी अभी लंबित हैं,
-पहली माँग : हैदराबाद गैज़ेटियर लागू
जरांगे पाटिल ने हैदराबाद गैज़ेटियर लागू करने की माँग की थी. सरकार ने इसे स्वीकार कर लिया है. अब अगर किसी गाँव या कुळ में कुणबी जाति का प्रमाणपत्र होगा तो उसकी जाँच कर कार्रवाई की जाएगी.
– दूसरी माँग : सातारा और औंध गैज़ेटियर
जरांगे ने सातारा और औंध गैज़ेटियर के आधार पर पश्चिम महाराष्ट्र को भी आरक्षण में शामिल करने की माँग की थी. सरकार ने कहा है कि इसमें कुछ कानूनी जटिलताएँ हैं, लेकिन 15 दिन से एक महीने के भीतर इस पर निर्णय लिया जाएगा.
– तीसरी माँग : आंदोलनों के केस वापस
आंदोलनकारियों पर दर्ज सभी केस वापस लेने की माँग भी जरांगे ने की थी. सरकार ने कहा है कि कुछ मामले वापस ले लिए गए हैं और बाकी कोर्ट में लंबित केस भी सितंबर अंत तक वापस ले लिए जाएंगे.
– चौथी माँग : बलिदानियों के परिवार को सहायता व नौकरी
आंदोलन में शहीद हुए कार्यकर्ताओं के परिवारों को 15 करोड़ की आर्थिक मदद पहले दी गई थी. शेष वारिसों को भी एक हफ्ते के भीतर मदद मिलेगी. साथ ही राज्य परिवहन मंडल में नौकरी भी दी जाएगी.
– पाँचवी माँग : 58 लाख रिकॉर्ड ग्रामपंचायत स्तर पर
जरांगे ने 58 लाख वंशावली रिकॉर्ड ग्रामपंचायत में उपलब्ध कराने की माँग रखी थी. इस पर सरकार ने कहा है कि जिलाधिकारी हर सोमवार बैठक लेकर लंबित प्रमाणपत्र मामलों का निपटारा करेंगे, ताकि जाति प्रमाणपत्र जल्दी मिल सकें.
– छठी माँग : मराठा और कुणबी एक ही
जरांगे की प्रमुख माँग है कि मराठा और कुणबी एक ही माने जाएँ और इसके लिए जीआर (सरकारी आदेश) जारी किया जाए. सरकार ने कहा कि प्रक्रिया जटिल है और इसमें कम से कम दो महीने का समय लगेगा. जरांगे ने भी दो महीने की मोहलत देने पर सहमति जताई.
– सातवीं माँग : ‘सगे-सोयरे’ का मुद्दा
इस पर करीब 8 लाख आपत्तियाँ आई हैं. सरकार ने कहा है कि इस पर विचार करने में और समय लगेगा.
कुल मिलाकर निष्कर्ष यह है कि, जरांगे पाटिल की कुल सात में से पाँच प्रमुख माँगें सरकार ने तुरंत मान ली हैं. जबकि दो माँगों मराठा-कुणबी एक मानने का जीआर और सगे-सोयरे का मुद्दा पर सरकार ने दो महीने का समय माँगा है. जिसे लेकर जरांगे पाटिल ने कहा कि, सरकार ने हमारी अधिकांश माँगें मान ली हैं. अब मराठा समाज को पूरा न्याय मिलने तक संघर्ष जारी रहेगा.

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