निजी खासगी ट्यूशन क्लासेस पर केंद्र सरकार की अहम रिपोर्ट

11-12 वीं के छात्रों में तेजी से बढ़ रहा ट्यूशन का रुझान

नागपुर/दि.5 : देशभर में निजी ट्यूशन/कोचिंग क्लासेस अब छात्रों की पढ़ाई का अनिवार्य हिस्सा बन गए हैं. बढ़ती प्रतिस्पर्धा, कठिन पाठ्यक्रम और स्कूल-कॉलेजों में व्यक्तिगत ध्यान न मिलने के कारण विद्यार्थियों का रुझान कोचिंग की ओर बढ़ा है. केंद्र सरकार के ताज़ा सर्वेक्षण से पता चला है कि खासकर 11वीं-12वीं के छात्रों में निजी ट्यूशन लेने का चलन तेज़ी से बढ़ रहा है.
केंद्र सरकार के सर्वेक्षण से निकले निष्कर्ष के मुताबिक शहरी क्षेत्रों में 44.6% छात्र ट्यूशन लेते हैं. ग्रामीण क्षेत्रों में 33.1% छात्र ट्यूशन लेते हैं. देशभर का औसत 37% है. उच्च माध्यमिक छात्र बडे प्रमाण में निजी ट्यूशन ले रहे हैं, जिससे शिक्षा पर होनेवाले खर्च में इजाफा हो रहा है. शहरी छात्रों का औसत वार्षिक खर्च 9,950, ग्रामीण छात्रों का औसत वार्षिक खर्च 4,548, राष्ट्रीय औसत खर्च 6,384 रुपए प्रति छात्र रहने की जानकारी सामने आई है.
निजी कोचिंग इंडस्ट्री अब एक बड़ा व्यवसाय बन चुका है. इसकी मांग में आई तेज़ी से राजस्व भी तेजी से बढ़ा है.2019-20 में कोचिंग संस्थानों से मिला राजस्व 2,240.73 करोड़ रुपयों से बढकर वर्ष 2023-24 में 5,517.45 करोड़ रुपए हो गया था. ऐसे में इन आंकड़ों से स्पष्ट होता है कि छात्रों और अभिभावकों पर आर्थिक बोझ बढ़ रहा है. साथ ही सस्ती और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की उपलब्धता पर भी नए सवाल खड़े हो रहे हैं.

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