अगस्त में 101 किसानों ने खुद लगाया मौत को गले
अमरावती व यवतमाल जिले में रोके नहीं रुक रही किसान आत्महत्याएं

* सर्वाधिक किसान हो रहे आसमानी व सुलतानी संकट का शिकार
अमरावती /दि.10 – पश्चिम विदर्भ में किसान आत्महत्याओं का सत्र रोके नहीं रुक रहा. विशेष तौर पर किसान आत्महत्याओं के लिए कुख्यात अमरावती व यवतमाल जिलो में किसान आत्महत्याओं का दौर बदस्तुर जारी है. विगत अगस्त माह के दौरान ही पश्चिम विदर्भ क्षेत्र में 101 किसानों ने फसलों की बर्बादी व सिर पर चढते कर्ज के बोझ से परेशान होकर अपने ही हाथों मौत को गले लगाया. अगस्त माह के 31 दिनों के दौरान यवतमाल जिले में सर्वाधिक 44 व अमरावती जिले में 23 किसानों द्वारा आत्महत्या की गई. जिसका सीधा मतलब है कि, राज्य के इन्हीं दो जिलो में सर्वाधिक किसान आत्महत्या की गंभीर समस्या अब भी जस की तस है.
बता दें कि, अमरावती संभाग के प्रत्येक जिलाधीश कार्यालय में सन 2021 से किसान आत्महत्याओं की जानकारी को अधिकारिक तौर पर दर्ज किया जाता है. जिसके अनुसार अब तक पश्चिम विदर्भ क्षेत्र में 21,854 किसानों द्वारा आत्महत्या कर लिए जाने की जानकारी सामने आई है. इसमें से 10,250 मामले सरकारी सहायता के लिए पात्र साबित हुए. वहीं 11,323 किसान आत्महत्याओं को सरकारी सहायता हेतु अपात्र ठहराया गया. जबकि 281 मामलो को जांच हेतु प्रलंबित रखा गया है.
ज्ञात रहे कि, प्राकृतिक आपदा, फसलों की बर्बादी, सिर पर चढते कर्ज के बोझ के साथ ही परिवार में बच्चों की पढाई-लिखाई, युवा होती बेटियों के विवाह एवं बुजूर्गो के दवाई-पानी पर होनेवाले खर्च की चिंता जैसी वजहों से परेशान होकर पश्चिम विदर्भ क्षेत्र के किसानों द्वारा मौत को गले लगाया जा रहा है. परंतु ऐसी स्थिति के बावजूद सरकारी योजनाओं का लाभ किसानों तक नहीं पहुंच पा रहा है. ‘महाडीबीटी’ के चलते जरुरतमंद किसानों तक योजनाओं का लाभ नहीं पहुंच रहा, यह अपने-आप में एक हकीकत है. इसके अलावा समुपदेशन सहित अन्य प्रकल्प भी लगभग नाकाम साबित हुए है. किसी भी कृषि उपज को गारंटी मूल्य नहीं मिल रहा. साथ ही खेती-किसानी में लागत खर्च लगातार बढ रहा है. इसी बीच मौसम के बेभरोसे वाला हो जाने के चलते किसानों का बडे पैमाने पर नुकसान हो रहा है. ऐसे में किसानों को हर मोर्चे पर प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना करते हुए जीवन जीने तथा अपने व अपने परिवार का भरणपोषण करने हेतु कडा संघर्ष करना पड रहा है.
* 14 जिलो में उंचा उठ रहा किसान आत्महत्याओं का ग्राफ
राज्य में अमरावती विभाग के 5, मराठवाडा विभाग के 8 तथा नागपुर विभाग के 1 ऐसे 14 जिलो को किसान आत्महत्याग्रस्त जिलो के तौर पर जाना जाता है और इन 14 जिलो में विगत जनवरी से अगस्त माह के दौरान 1183 किसान आत्महत्याएं हुई है. जिसमें सर्वाधिक 520 किसान आत्महत्याएं मराठवाडा विभाग के छत्रपति संभाजी नगर जिले में होने की जानकारी किसान मिशन कार्यालय की रिपोर्ट में दर्ज है. ऐसे में कहा जा सकता है कि, किसान आत्महत्याग्रस्त रहनेवाले 14 जिलो में किसान आत्महत्याओं का प्रमाण लगातार बढता ही जा रहा है.
* 8 माह में 1183 किसान आत्महत्याएं
– जारी वर्ष में जनवरी से अगस्त माह के दौरान अमरावती संभाग के अंतर्गत अमरावती जिले में 143, अकोला जिले में 124, यवतमाल जिले में 235, बुलढाणा जिले में 122 व वाशिम जिले में 83 तथा नागपुर संभाग के वर्धा जिले में 144 किसान आत्महत्याएं हुई है.
– वहीं मराठवाडा विभाग अंतर्गत छत्रपति संभाजी नगर जिले में 128, जालना जिले में 52, परभणी जिले में 71, हिंगोली जिले में 44, नांदेड जिले में 104, बीड जिले में 172, लातूर जिले में 52 व धाराशिव जिले में 85 किसान आत्महत्याएं दर्ज की गई.
– यानि राज्य में किसान आत्महत्याग्रस्त रहनेवाले 14 जिलो में जारी वर्ष के पहले 8 माह के दौरान 1183 किसानों द्वारा विविध कारणों के चलते खुद अपने हाथों अपनी मौत को गले लगाया गया. इसमें से कितने किसानों के परिवार सरकारी सहायता के लिए पात्र होंगे और कितने मामलों को सरकारी सहायता के लिए अपात्र घोषित किया जाएगा, इस ओर सभी की निगाहें लगी हुई है.





