‘फर्जी’ मृत्यु प्रमाणपत्र से मनपा में मचा हडकंप
अक्तूबर 2022 में हुई मृत्यु का प्रमाणपत्र सितंबर 2025 में जारी होने का दावा

* मनपा प्रशासन ने प्रमाणपत्र के पूरी तरह से फर्जी होने की बात कही
* जन्म-मृत्यु पंजीयन विभाग में संबंधित व्यक्ति की मृत्यु की कोई जानकारी दर्ज नहीं
* इर्विन अस्पताल में हुई थी चांदुर बाजार निवासी व्यक्ति की मौत
* अब मनपा स्तर पर सक्रिय रहनेवाले दलालों पर घुमी संदेह की सुई
* मनपा प्रशासन मामले की पुलिस में शिकायत दर्ज कराने पर कर रहा विचार
अमरावती/दि.11 – इस समय जहां एक ओर अमरावती शहर सहित जिले में फर्जी व त्रुटीपूर्ण जन्म-मृत्यु प्रमाणपत्रों का मामला जमकर गूंज रहा है और भाजपा नेता व पूर्व सांसद किरीट सोमैया द्वारा बार-बार यह आरोप लगाया जा रहा है कि, बाहर से अमरावती में आकर बसे कुछ बांग्लादेशी व रोहिंग्याओं ने मनपा व तहसील कार्यालय में सक्रिय रहनेवाले दलालों के मार्फत अधिकारियों के साथ मिलिभगत करते हुए फर्जी दस्तावेजों के आधार पर खुद के लिए जन्म व मृत्यु प्रमाणपत्र बनवाए है. ऐसे में इस मुद्दे को लेकर शहर सहित जिले में राजनीति अच्छी-खासी गरमाई हुई है. इसी बीच अमरावती शहर में एक नियमबाह्य मृत्यु प्रमाणपत्र का मामला सामने आया है. जिसे लेकर मनपा के स्तर सहित समूचे शहर में अच्छा-खासा हडकंप व्याप्त है. साथ ही फिलहाल मनपा प्रशासन सवालों के घेरे में नजर आ रहा है. हालांकि मनपा प्रशासन ने इस मामले में अपनी कोई भूमिका नहीं रहने की बात स्पष्ट करते हुए साफ तौर पर कहा है कि, उक्त मृत्यु प्रमाणपत्र मनपा के जन्म-मृत्यु पंजीयन विभाग से जारी ही नहीं हुआ है और संबंधित व्यक्ति की मृत्यु को लेकर मनपा के जन्म-मृत्यु पंजीयन विभाग में कोई ‘एंट्री’ भी दर्ज नहीं. ऐसे में मनपा प्रशासन ने इस बेहद संगीन ‘गडबडझाले’ के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराने पर विचार करना शुरु कर दिया है.
इस संदर्भ में सामने आई जानकारी के मुताबिक इस समय एक ऐसा मृत्यु प्रमाणपत्र चर्चा में चल रहा है, जिसके अनुसार चांदुर बाजार तहसील अंतर्गत कुर्हा गांव निवासी गणपत सकाराम अकोलकर नामक व्यक्ति की मौत 8 अक्तूबर 2022 को अमरावती के जिला सामान्य अस्पताल में हुई थी और इस व्यक्ति का मृत्यु प्रमाणपत्र अमरावती मनपा प्रशासन के जन्म व मृत्यु प्रमाणपत्र विभाग द्वारा 10 सितंबर 2025 को जारी किया गया. खास बात यह भी है कि, इस प्रमाणपत्र पर दर्ज क्यूआर कोड को स्कैन करने के बाद बाकायदा सरकारी वेबसाइट पर इसी व्यक्ति के मृत्यु के पंजीयन की जानकारी भी दिखाई दे रही है. लेकिन हैरतवाली बात यह है कि, मनपा प्रशासन द्वारा इस पूरे मामले से खुद को अनभिज्ञ बताते हुए दावा किया जा रहा है कि, मनपा के जन्म व मृत्यु पंजीयन विभाग में ऐसे किसी व्यक्ति की मृत्यु की जानकारी दर्ज नहीं है और ऐसा कोई मृत्यु प्रमाणपत्र भी मनपा के जन्म व मृत्यु पंजीयन विभाग द्वारा जारी नहीं किया गया. लेकिन फिलहाल मनपा प्रशासन के पास इस बात का कोई जवाब नहीं है कि, अगर मनपा के जन्म-मृत्यु पंजीयन विभाग में ऐसी किसी व्यक्ति की मृत्यु की जानकारी ही दर्ज नहीं है और यदि ऐसा कोई मृत्यु प्रमाणपत्र भी जारी नहीं किया गया है, तो फिर गणपत सकाराम अकोलकर नामक व्यक्ति के मृत्यु पंजीयन से संबंधित जानकारी बाकायदा सरकारी वेबसाइट पर कैसे दिखाई दे रही है.
इस संदर्भ में मनपा के स्वास्थ व चिकित्सा अधिकारी डॉ. विशाल काले तथा जन्म-मृत्यु पंजीयन विभाग की उपनिबंधक प्रतिभा आत्राम ने अपनी ओर से जानकारी स्पष्ट करते हुए कहा कि, मनपा के जन्म व मृत्यु पंजीयन विभाग द्वारा अमरावती मनपा क्षेत्र में जन्म लेनेवाले व मृत होनेवाले नागरिकों के ही जन्म व मृत्यु प्रमाणपत्र जारी किए जाते है. यदि मनपा क्षेत्र में स्थित जिला सामान्य अस्पताल में किसी अन्य शहर अथवा गांव से वास्ता रखनेवाले व्यक्ति की मौत होती है, तो ऐसे मामलो में जिला सामान्य अस्पताल द्वारा ही मृत्यु प्रमाणपत्र यानि डेथ सर्टीफिकेट जारी किया जाता है. जिसके आधार पर संबंधित व्यक्ति के रिश्तेदारों द्वारा उनके रिहायशी क्षेत्र के स्थानीय निकाय के जन्म-मृत्यु पंजीयन विभाग में उस व्यक्ति की मृत्यु हो जाने की जानकारी दर्ज करते हुए मृत्यु प्रमाणपत्र प्राप्त किया जाता है. ऐसे मामलों से लोकल बॉडी के तौर पर अमरावती महानगर पालिका का कोई लेना-देना नहीं रहता. साथ ही तीन वर्ष पहले सन 2022 में हुई मृत्यु के मामले में अब तीन वर्ष बाद सन 2025 में मनपा के जन्म व मृत्यु पंजीयन विभाग द्वारा अपने स्तर पर देरी से यानि विलंबित मृत्यु प्रमाणपत्र जारी करने का तो सवाल ही नहीं उठता.
* क्यों मचा है हंगामा, क्या है नियम?
बता दें कि, किसी भी जन्म अथवा मृत्यु के मामले में संबंधितों द्वारा एक वर्ष के भीतर अपने रिहायशी क्षेत्र से संबंधित स्थानीय स्वायत्त निकाय के जरिए जन्म अथवा मृत्यु प्रमाणपत्र हासिल किया जा सकता है. वहीं इस एक वर्ष की अवधि के बीत जाने पश्चात संबंधितों को ऐसे प्रमाणपत्र प्राप्त करने के लिए अपने तहसील कार्यालय में हलफनामे के साथ आवेदन करने पडते है. जहां पर सभी आवश्यक दस्तावेजों की जांच-पडताल के बाद तहसीलदार अथवा तहसील दंडाधिकारी स्तर के राजस्व अधिकारी के हस्ताक्षर से विलंबित जन्म अथवा मृत्यु प्रमाणपत्र जारी करते हुए संबंधित स्थानीय स्वायत्त निकाय के सुपूर्द किया जाता है. जहां से आवेदक द्वारा इन प्रमाणपत्रों को हासिल किया जा सकता है. खास बात यह है कि, कोई भी विलंबित जन्म अथवा मृत्यु प्रमाणपत्र सीधे मनपा सहित किसी भी स्थानीय स्वायत्त निकायो के जरिए हासिल नहीं किया जा सकता. ऐसे में चांदुर बाजार तहसील निवासी गणपत अकोलकर की तीन साल पहले हुई मौत के मामले में अब तीन साल बाद मनपा के जन्म व मृत्यु पंजीयन विभाग द्वारा कथित तौर पर जारी किए गए मृत्यु प्रमाणपत्र को लेकर अच्छा-खासा हंगामा मचा हुआ है. जिसकी जानकारी सामने आते ही मनपा प्रशासन द्वारा इस मामले में संबंधितों के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराने पर विचार किया जा रहा है, ताकि मामले की असलियत का पता लगाया जा सके.





