मिर्ची की आवक बढी, भाव गिरने से किसान चिंतीत

उत्पादन खर्च भी निकलना मुश्किल

अमरावती /दि.12 लगातार बारिश और आवक बढ़ने से बाज़ार में हरी मिर्च के दाम गिर गए हैं. नतीजतन, किसान मुश्किल में हैं क्योंकि उनकी उत्पादन लागत भी नहीं निकल पा रही है.
किसानों को जहां 30 से 35 रुपये प्रति किलो ही दाम मिल रहे हैं, वहीं उपभोक्ताओं को 80 रुपये प्रति किलो मिर्च खरीदनी पड़ रही है. इससे विक्रेता को अच्छा सौदा मिल रहा है. जिले के कई हिस्सों में मिर्च की खेती होती है. शुरुआत में 8 से 9 हजार रुपये प्रति क्विंटल के भाव से बिकने वाली मिर्च अब बाजार में 3 हजार रुपये प्रति क्विंटल के भाव से मिल रही है. इस कीमत में तो कटाई की लागत भी नहीं निकल पाती, वहीं दूसरी ओर उपभोक्ताओं को भी मिर्च ऊंचे दामों पर मिल रही है.
कुछ दिनों से हो रही लगातार बारिश और बाज़ार में आवक बढ़ने से हरी मिर्च और अन्य मिर्चों के दाम औंधे मुंह गिर गए हैं. उत्पादन, कटाई, परिवहन और बाज़ार तक मिर्च पहुंचाने की लागत को मिलाकर किसानों के पास अब कुछ भी नहीं बचा है. वर्तमान में, मज़दूरों की कमी के कारण किसान समय पर मिर्च की कटाई नहीं कर पा रहे हैं. इस वजह से कटाई, परिवहन और बिक्री की सभी प्रक्रियाओं में दिक्कत आ रही है.

* मिर्च की कीमत क्यों गिर गई?
लगातार बारिश और फसल का मौसम जल्दी शुरू होने से बाज़ार में आवक बढ़ने के साथ ही आपूर्ति मांग से ज़्यादा हो गई. हरी मिर्च की आपूर्ति बाज़ार में एक ही समय पर होने से त्यौहार के सीज़न में मिर्च के दाम गिर गए हैं.

* पहले तो दर अच्छी थी, लेकिन…
हरी मिर्च सीजन की शुरुआत में अच्छी कीमत पर बिक रही थी. लेकिन बारिश के कारण फसल का सीजन जल्दी आ गया और बाजार में आवक बढ़ गई. नतीजतन, कीमतें गिर गई हैं और किसान मुश्किल में हैं.

* किसानों को 30 रुपये और ग्राहकोेंं को 80 रुपये
किसानों को बाज़ार में 30 से 35 रुपये प्रति किलो मिर्च मिलती है, लेकिन खुदरा बाज़ार में उपभोक्ताओं को उसी मिर्च के लिए 75 से 80 रुपये चुकाने पड़ते हैं. कीमतों का यह अंतर किसानों और उपभोक्ताओं, दोनों के लिए असंतोष का कारण बन गया है.

* किस मिर्च की कीमत क्या है?
प्रकार                किसानों को दर            ग्राहकों को दर
हरी मिर्च               25 से 30                       75 से 80
लवंगी मिर्च            30 से 35                       80 से 100
मोटी मिर्च             25-30                          70 से 80
लाल मिर्च            100-120                       200 से 220

* उत्पादन की लागत बढी
बुआर्ई, कटाई, खाद, छिड़काव ने उत्पादन लागत बढ़ा दी है. फिर भी, बाज़ार में मिर्च औने-पौने दामों पर बिक रही है. इसलिए हरी मिर्च न बेचते हुए सूखी लाल मिर्च का भंडार किया जाएगा.
– अशोकराव उमप, किसान

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