अमरावती में सातवीं बार महिलाओं हेतु आरक्षित हुआ जिप का अध्यक्ष पद
इससे पहले पांच महिलाए रह चुकी जिप अध्यक्ष, सुरेखा ठाकरे को दो बार मिला था मौका

अमरावती/दि.13 – जिला परिषद के आगामी चुनाव के मद्देनजर ग्रामविकास विभाग ने गत रोज ही जिप अध्यक्ष पद हेतु आरक्षण घोषित किया. जिसके तहत अमरावती जिला परिषद का अध्यक्ष पद सर्वसाधारण प्रवर्ग (महिला) हेतु आरक्षित हुआ है. ऐसे में यह स्पष्ट है कि, जिप चुनाव के बाद अध्यक्ष पद पर कोई महिला ही विराजमान होगी. इसके साथ ही अमरावती जिला परिषद में सातवीं बार अध्यक्ष पद की कमान किसी महिला के हाथों में दिखाई देगी.
बता दें कि, अमरावती जिला परिषद में अब तक 31 अध्यक्ष हो चुके है. जिनमें पांच महिलाओं का भी समावेश रहा. इसमें से सुरेखा ठाकरे को दो बार जिप अध्यक्ष बनने का मौका मिला था और सभी महिला अध्यक्षों ने अपने पद व भूमिका का बडी जिम्मेदारी के साथ निर्वहन किया था. वहीं अब करीब 8 वर्ष के अंतराल पश्चात होने जा रहे जिला परिषद के चुनाव के बाद एक बार फिर जिला परिषद के अध्यक्ष पद पर कोई महिला विराजमान दिखाई देगी. ज्ञात रहे कि, जिला परिषद का कार्यकाल वर्ष 2022 में समाप्त हो चुका था और विगत करीब साढे तीन वर्षों से जिला परिषद में प्रशासक राज चल रहा है. ऐसे में चुनाव लडने के इच्छुकों में इस समय अच्छा-खासा उत्साह दिखाई दे रहा है और हर कोई अपने-अपने निर्वाचन क्षेत्र में चुनाव लडने को लेकर जमकर तैयारियों में जुटा हुआ है. यद्यपी अब तक जिला परिषद के 59 गटों के लिए आरक्षण का ड्रॉ नहीं हुआ, जिसकी हर किसी के द्वारा प्रतीक्षा की जा रही है, ताकि आरक्षण की स्थिति को ध्यान में रखते हुए चुनावी रणनीति को आगे बढाया जा सके. वहीं दूसरी ओर जिप अध्यक्ष पद हेतु आरक्षण की स्थिति स्पष्ट हो गई है. ऐसे में अब सभी की निगाहें इस बात की ओर टिक गई है कि, जिला परिषद के कौन-कौन से गट विभिन्न प्रवर्गों की महिलाओं हेतु आरक्षित होते है. क्योंकि जिला परिषद का अध्यक्ष पद सर्वसाधारण (महिला) प्रवर्ग हेतु आरक्षित हुआ है. जिस पर सर्वसाधारण सहित ओबीसी, एससी व एसटी प्रवर्ग की महिला जिप सदस्य द्वारा भी दावा किया जा सकता है. इस बात को ध्यान में रखते हुए स्पष्ट संभावना देखी जा रही है कि, जिप के गटों में आरक्षण की स्थिति स्पष्ट होते ही असल घमासान शुरु होगा. क्योंकि तब कई बडे राजनेताओं के घरों से वास्ता रखनेवाली महिलाओं को चुनावी अखाडे में उतारने की रणनीति तय होगी, ताकि उन्हें जिला परिषद के सदन में पहुंचाने के साथ ही उनके जरिए जिप अध्यक्ष पद को काबिज किया जा सके. क्योंकि मिनी मंत्रालय कही जाती जिला परिषद के अध्यक्ष पद को एकतरह से राज्यमंत्री पद का दर्जा प्राप्त रहता है और जिले की राजनीति के हिसाब से जिला परिषद का अध्यक्ष पद बेहद प्रतिष्ठित व महत्वपूर्ण भी रहता है.
* सन 1994 में जिप को मिली थी पहली महिला अध्यक्ष
अमरावती जिला परिषद में 19 दिसंबर 1994 को सुमन सरोदे के तौर पर पहली बार कोई महिला अध्यक्ष निर्वाचित हुई थी. उसके बाद उषा बेठेकर दूसरी, विद्या वाटाणे तीसरी, सुरेखा ठाकरे चौथी, उषा उताणे पांचवीं एवं सुरेखा ठाकरे छठवीं महिला अध्यक्ष के तौर पर निर्वाचित हुई. खास बात यह रही कि, सुरेखा ठाकरे को अध्यक्ष के तौर पर दो अलग-अलग कार्यकाल में निर्वाचित होने का मौका मिला और वे 20 जुलाई 2014 तक जिला परिषद की अध्यक्ष रही. इसके बाद अब करीब 11 वर्ष के अंतराल पश्चात अमरावती जिला परिषद के अध्यक्ष पद पर एक बार फिर कोई महिला निर्वाचित होगी.
* जिप अध्यक्ष पद पर अब तक रहा कांग्रेस का दबदबा
– अमरावती जिला परिषद के इतिहास में अब तक 31 अध्यक्ष निर्वाचित हो चुके है. जिसमें अध्यक्ष पद का सर्वाधिक अवसर कांग्रेस के जिप सदस्यों को ही प्राप्त हुआ. जिसकी तुलना में अन्य दलों को अध्यक्ष बनने का अवसर बेहद कम बार मिला. ऐसे में जहां एक ओर कांग्रेस अपने मजबूत गढ को कायम रखने का प्रयास करेगी, वहीं भाजपा, शिवसेना व प्रहार सहित राकांपा व रिपाइं जैसे दलों द्वारा इतिहास को बदलने और जिला परिषद में अपनी सशक्त उपस्थिति दिखाने का प्रयास किया जाएगा.
– उल्लेखनीय है कि, अमरावती जिले के 8 विधायकों में से 7 विधायक महायुति के है. जिनमें भाजपा के सर्वाधिक 5 विधायकों सहित अजीत पवार गुट वाली राकांपा के एक व युवा स्वाभिमान पार्टी के एक विधायक का समावेश है. वहीं महाविकास आघाडी के पास केवल एक विधायक है. जिनका वास्ता शिवसेना उबाठा से है. ऐसे में विधायकों की संख्या अधिक रहने का फायदा महायुति को जिला परिषद के चुनाव में होता है अथवा नहीं इस ओर भी सभी की निगाहें लगी हुई है.





