मानसून में ‘ईअरफोन’ के इस्तेमाल से कान में होगा इन्फेक्शन
युवाओं में इस्तेमाल का प्रमाण अधिक

* समय पर हो जाए सावधान
अमरावती /दि.16 -मानसून में हवा में आद्रता बढने से कान, नाक व घसा संसर्ग का प्रमाण बढता है. ऐसे में लगातार ईअरफोन, ब्ल्यूटूथ, ईअर बर्डस इस्तेमाल करनेवालो को कान की गंभीर शिकायत का सामना करना पडता है. ईअरफोन लगाकर रखने से कान की हवा का प्रवाह रूक जाता है. इस कारण गिलापन महसूस होता है. इसके कारण जीवानू बढकर ‘ऑटिटिस एक्सटर्ना’ अथवा ‘ऑटोमायकोसिस’ संसर्ग होता है.
शुरूआत में कान में खुजली, वेदना अथवा स्त्राव दिखाई देता है. लेकिन अनदेखी करने पर कान में जख्म होकर श्रवण शक्ति पर कायम स्वरूप परिणाम हो सकता है. इसी कारण स्वच्छता रखना और ईअरफोन का मर्यादीत इस्तेमाल करना, ऐसा विशेषज्ञों का कहना है.
* ईअरफोन हमेशा स्वच्छ रखे
नियमित रूप से सुखे कपडे अथवा सेनिटाईजर से स्वच्छ करे तथा धुल से ईअरफोन को दूर रखना आवश्यक है.
* ससंर्ग फैलने का खतरा
दूसरों का ईअरफोन इस्तेमाल करने से संबंधित व्यक्ति को यदी किसी भी तरह का कान का ससंर्ग होगा तो वह संसर्ग फैलने का खतरा बढता है. इस कारण दूसरोंं का इअरफोन इस्तेमाल न करें, ऐसा विशेषज्ञों का कहना है.
* कान में गिलेपन से जीवानू
कान में गिलापन रहा तो ‘फंगल ईअर इन्फेक्शन’ के मरीज बढते है.
* कौनसी सावधानी बरतोगे?
ईअरफोन का इस्तेमाल मर्यादित करेें, कान में किसी भी तरह की खाज अथवा स्त्राव दिखाई दे तो विशेषज्ञ की सलाह ले.
* मानसून में बढता है संक्रमण
मानसून में हवा की आर्द्रता बढने से कान, नाक, घसा की उपरी परत गिली रहती है. इससे जीवानू और फंगल की तेजी से बढोत्तरी होती है.
* समय पर उपचार जरूरी
ईअरफोन का अधिक इस्तेमाल खतरनाक साबित होता है. कान का गिलापन और अधूरी हवा के कारण फंगल इन्फेक्शन तेजी से बढता है. इस कारण ईअरफोन का इस्तेमाल कम करे. साथ ही कुछ परेशानी होने पर समय पर उपचार लेना आवश्यक है.
– डॉ. विनोद पवार,
कान, नाक, घसा तज्ञ.





