मच्छर अगरबत्ती से मच्छर तो नहीं मर रहे, सांसों में घुल रहा जहर

अमरावती /दि.17 – इन दिनों मौसम में आए बदलाव की वजह से मच्छरों का अच्छा-खासा प्रादुर्भाव हो गया है, जिसके चलते लोगबाग मच्छरों को भगाने के लिए मच्छर अगरबत्ती सहित अन्य कई उत्पादों का जमकर प्रयोग करते है. परंतु ऐसे उत्पादों का प्रयोग करने पर मच्छर तो नहीं मरते, परंतु ऐसे उत्पादों के धुएं और गंध से इंसानों की सांसों में जरुर घुल रहा है. विशेषज्ञों के मुताबिक ऐसे उत्पादों का सतत प्रयोग करने के चलते श्वसन विकार, आंख व त्वचा की समस्या तथा कर्करोग जैसी बीमारियां निश्चित तौर पर हो सकती है.

* इन उत्पादों का धडल्ले से होता है प्रयोग
बाजार में इन दिनों मच्छरों को भगाने हेतु विविध तरह की अगरबत्तीयां, क्वॉईल, लिक्विड मशीन, स्प्रे व कार्ड जैसे विविध उत्पादन उपलब्ध है. परंतु यह सभी उत्पाद मच्छरों को भगाने के लिए कितने उपयोगी साबित होते है, यह अपने-आप में शोध व जांच का विषय है.

* धुएं व गंध से घुटता है दम
क्वॉईल व अगरबत्ती के धुएं तथा लिक्विड मशीन व स्प्रे से निकलनेवाली गंध के चलते श्वसन मार्ग में दिक्कत पैदा होने की पूरी संभावना होगी है. इसके चलते दमा, ब्रॉन्कायटिस व एलर्जी के झटके बढ सकते है.

* आंखों व त्वचा में जलन
धुएं की वजह से आंखों में जलन होने व पानी आने तथा त्वचा पर खुजली व फुन्सी होने जैसी तकलिफों की संभावना भी बनी रहती है.

* मस्तिष्क पर परिणाम, कैंसर का भी खतरा
इन रसायनों के दीर्घकालिन संपर्क में रहने के चलते मस्तिष्क को भी नुकसान पहुंचता है और कुछ रसायनों के चलते कैंसर होने का खतरा भी बढ जाता है, ऐसा अब तक के संशोधन में पाया गया है.

* छोटे बच्चों व गर्भवतीयों को खतरा
ऐसे उत्पादनों के धुएं व गंध का सबसे अधिक नुकसान छोटे बच्चों व गर्भवती महिलाओं को होने का खतरा रहता है. बच्चों के फुफ्फुस तथा गर्भवती व नवप्रसूता महिलाओं के स्वास्थ पर ऐसे उत्पादों का बेहद विपरित परिणाम पडता है.

* क्या सतर्कता जरुरी?
जहां तक संभव हो नॉन ब्रान्डेंड व अप्रमाणित वस्तुओं का प्रयोग करना टालें.
– मच्छर प्रतिबंधक उत्पादों का प्रयोग करते समय घर की खिडकियों व दरवाजों को खुला रखें.
– लेमन ग्रास, नीम का तेल व मच्छरदानी जैसे प्राकृतिक उपायों का प्रयोग करेें.
– मच्छर प्रतिबंधक उत्पादों का धुआं और गंध सीधे श्वसन मार्ग की ओर न जाए इस बात का ध्यान रखें.

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