क्या कोर्ट में ऐसे ही होती रहेगी बत्ती गुल !
लोनिवि रखरखाव में जनरेटर मेंटेन नहीं कर रहा

* जिला वकील संघ करेगा प्रशासन से चर्चा
अमरावती/ दि. 17- जिला न्यायालय परिसर में मंगलवार पूर्वान्ह बत्ती गुल होने से सभी करीब 50 कोर्ट का काम काज प्रभावित होने के बीच पता चला है कि केवल कुछ हजार रूपए के डीजल खर्च का प्रावधान नहीं होने से संभाग मुख्यालय का न्याय मंदिर अंधेरे में डूबा रहा. न्यायाधीश महोदय अपने- अपने चेंबर में 4 घंटे तक बत्ती आने का इंतजार करते रहे. इस बारे में वकील संघ के पदाधिकारियों से चर्चा की तो उन्होंने विधि और न्याय विभाग के साथ ही लोनिवि से भी चर्चा करने की बात कही. मजे की बात है कि जिला न्यायालय में जनरेटर का संपूर्ण कक्ष तैयार है. महज डीजल की आपूर्ति नहीं होने से महीने में चौथी बार अदालत का कामकाज प्रभावित हुआ.
* पर्याप्त जनरेटर व्यवस्था
कोर्ट परिसर की दो मुख्य ईमारतें मंगलवार को 11.30 बजे अंधेरे में डूब गई. सभी अदालतों का कामकाज ठप्प हो गया. दोपहर 4 बजे तक महावितरण कंपनी का फाल्ट मरम्मत का काम चला. जिसके बाद लाइट शुरू हुई और न्यायालयों की प्रक्रिया आगे बढी. 4 घंटे तक न के बराबर कामकाज होने के विषय में चर्चा करने पर पता चला कि जनरेटर कक्ष वहां मौजूद है. उसमें कोर्ट के सभी कम्प्यूटर, लाइट्स, पंखें और तो और लिफ्ट भी चलाए जाने जितना बिजली उत्पादन क्षमता है.
* कुछ हजार का डीजल ?
पर्याप्त क्षमता के जनरेटर रहने पर उसे चलाया नहीं जा सका. जिसके पीछे बताया गया कि डीजल के खर्च का प्रावधान नहीं किया गया है. जिसके कारण महीने भर के अंतराल में चौथी बार बिजली गुल होने पर भी न्याय मंदिर अंधेरे में रहा. क्या विधि और न्याय विभाग कुछ हजार के डीजल का खर्च नहीं कर सकता ? यह सवाल उठाने के साथ वकीलों ने जिला वकील संघ से बात की. कुछ वकील संघ ने कोर्ट के रजिस्ट्रार से चर्चा की तो बताया गया कि न्यायालय भवन और परिसर का रखरखाव लोनिवि करता है. लोनिवि ने घंटों बिजली गुल रहने पर भी जनरेटर शुरू करने की जहमत नहीं उठाई. इसके पीछे पुन: कारण बताया गया कि पेट्रोल अथवा डीजल का खर्च कौन करें ?
* जलाई गई मोबाइल टार्च और मोम बत्तियां
न्याय मंदिर की बिजली गुल होने से कामकाज प्रभावित हुआ. कई मामलों में तारीखें आगे खिसका दी गई. यह काम भी वकीलों, कर्मचारियों के मोबाइल हैंडसेट का टार्च शुरू कर किया गया. वहीं कुछ विभागों में मोमबत्तियां जलाए जाने की जानकारी अमरावती मंडल को सूत्रों ने दी हैं. वकील समुदाय से बात की तो उन्होंने कहा कि छोटी मोटी दुकान अथवा प्रतिष्ठान के संचालक भी आपात स्थिति में इनवर्टर अथवा जनरेटर का इंतजाम रखते हैं. जिला न्याय मंदिर में 48 न्यायालय संचालित करने के बावजूद लाइन चली गई तो न्याय दान की प्रक्रिया पर असर होना शमर्नाक नहीं ?





