खेतों में बन गए तालाब, रास्तों पर हर ओर कीचड
अतिवृष्टि व मूसलाधार बारिश से जिले में गीले अकाल का खतरा

* 32 राजस्व मंडलों में सर्वाधिक बारिश, 1.27 लाख हेक्टेअर क्षेत्र में फसले प्रभावित
अमरावती /दि.18 – विगत डेढ माह से लगातार बारिश और अतिवृष्टि का दौर चल रहा है. वहीं पिछले तीन-चार दिनों से जिले में चहुंओर झमाझाम पानी बरस रहा है. जिसके चलते खेत-खलिहानों में पानी भरकर कटाई के लिए तैयार फसलों के लिए खतरा पैदा हो गया है. क्योंकि सोयाबीन सहित कपास एवं तुअर पर रोगों व कीटकों का प्रादुर्भाव होने लगा है. इसके अलावा कई ग्रामीण इलाको में पानी भर जाने के चलते खेत अब तालाबों की तरह दिखाई देने लगे है और सभी तरह की कच्ची-पक्की सडकों पर हर ओर कीचड ही कीचड फैला हुआ दिखाई दे रहा है. जिसके चलते जिले पर गीले अकाल का खतरा मंडराता नजर आ रहा है. प्राथमिक जानकारी के मुताबिक जिले के 32 राजस्व मंडलों में काफी अधिक बारिश हुई है. जिसके चलते अतिवृष्टि की वजह से 1.27 लाख हेक्टेअर क्षेत्र में फसले प्रभावित हुई है.
बता दें कि, इस बार मई माह के दौरान ही बेमौसम बारिश ने मानसूनपूर्व बारिश की स्थिति निर्माण की थी. इसके चलते जिले के कई ग्रामीण क्षेत्रों में मई माह के दौरान ही बुआई का काम शुरु हुआ और जून माह के अंत व जुलाई माह के पहले पखवाडे तक समूचे जिलेभर में बुआई का काम पूरा हो चुका था. इस बार जिले में बुआईयोग्य कृषि क्षेत्र में से करीब 99 फीसद कृषि क्षेत्र में खरीफ फसलों की बुआई हुई है. जिसमें से अधिकांश क्षेत्रों में मूंग और उडद की फसल कटाई के लिए तैयार है. साथ ही कई क्षेत्रों में सोयाबीन की फसल भी हाथ में आने की स्थिति है. परंतु विगत अगस्त माह से लगातार बारिश हो रही है और मौसम लगातार बदरीला बना हुआ है. बीच में चार दिन का समय छोडकर फसलों को सूर्यप्रकाश ही नहीं मिला. ऐसे में बदरीले मौसम व लगातार हो रही बारिश के चलते जमीन में आद्रता बढ गई है और थोडीबहुत बारिश होने पर भी हर ओर जलजमाव व कीचड जमा हो जाता है. साथ ही साथ इस समय फसलों पर कीटकों व रोगों का प्रादुर्भाव भी होना शुरु हो गया है. इसके अलावा जलजमाव एवं कीचड के चलते मशागत के काम रुके रहने की वजह से फसलों के बीच घासफूस काफी अधिक बढ गई है. जिससे फसलों का विकास अवरुद्ध हुआ है. साथ ही साथ लगातार हो रही बारिश के चलते फसलों पर कीटनाशकों की फवारणी भी नहीं होने के चलते कीटकों व रोगों का प्रादुर्भाव और भी अधिक बढ रहा है. जिससे फसले बर्बाद होने की कगार पर जा पहुंची है.
उल्लेखनीय है कि, बारिश व अतिवृष्टि के चलते इस समय भूगर्भीय जल में अच्छी-खासी वृद्धि हुई है. साथ ही नदी-नाले भी जमकर प्रवाहित हो गए है. ऐसे में थोडीबहुत बारिश होने पर भी बाढसदृष्य स्थिति पैदा हो जाती है और खेतो में बाढ व बारिश का पानी जमा हो जाता है. जिसके चलते फसलों को जमीन में पोषक द्रव्यों की आपूर्ति नहीं हो पा रही. जिससे फसले पीली पड रही है. साथ ही जमीन में बुरशी का प्रमाण बढ जाने के चलते फसलों पर बुरशीजन्य रोगों का हमला भी हो रहा है.
* नुकसान का पंचनामा कब?
– जिला प्रशासन के अनुमानानुसार मूंग, उडद, तुअर, कपास, सोयाबीन, केला, संतरा, पपई, प्याज, मुंगफल्ली, धान व साग-सब्जियों की फसलों का सतत बारिश व अतिवृष्टि के चलते अच्छा-खासा नुकसान हुआ है.
– कृषि व राजस्व विभाग की क्षेत्रीय यंत्रणा द्वारा अतिवृष्टि से बाधित फसलों का पंचनामा किया जा रहा है. परंतु लगातार हो रही बारिश से होनेवाले फसलों के नुकसान का पंचनामा नहीं किया जा रहा. ऐसे में आपदा प्रभावित किसानों द्वारा अपने नुकसान का पंचनामा भी किए जाने की मांग उठाई जा रही है.
* 13 व्यक्ति मृत, 1799 घरों को नुकसान
जारी वर्ष के मान्सून सीजन में 1 जून से 14 सितंबर तक वर्षाजनिक हादसों के चलते 13 लोगों की मौत हुई है. वहीं सतत आंधी-तूफान व बारिश के चलते 1799 कच्चे-पक्के मकानों का पूर्णत: व अंशत: नुकसान हुआ है. इसके अलावा जानवरों के 36 तबेले भी मूसलाधार बारिश और तेज आंधी-तूफान के चलते जमींदोज हुए है. साथ ही घरों में बाढ का पानी घुस जाने के चलते 53 परिवारों के 213 लोगों को स्थलांतरित होना पडा है.
* अतिवृष्टि प्रभावित फसलों के पंचनामे किए जा रहे है. साथ ही नदी-नालों में आई बाढ के चलते बह गई कृषि जमीन का भी पंचनामा किया जा रहा है. बाढ व बारिश से हुए नुकसान को लेकर सरकार से निधि की मांग भी की गई है.
– आशीष येरेकर
जिलाधीश, अमरावती.
* 113 करोड रुपयों का नुकसान
इस बार जून से अगस्त माह के दौरान जिले में 172872 किसानों की 136475 हेक्टेअर क्षेत्र में खडी फसलों का नुकसान हुआ है. जिसके लिए एनडीआरएफ के माणकों के आधार पर 112.71 करोड रुपयों की मांग जिला प्रशासन द्वारा राज्य सरकार से की गई है.
* खरीफ की स्थिति
कुल बुआई क्षेत्र – 682992 हेक्टेअर
प्रत्यक्ष बुआई – 676162 हेक्टेअर
जुलाई व अगस्त माह में बाधित क्षेत्र – 51719 हेक्टेअर
सितंबर माह तक कुल बाधित क्षेत्र – 136475 हेक्टेअर
बाधित फसले – मूंग, उडद, सोयाबीन, कपास, तुअर, धान, मक्का व ज्वार
पार्डी में गाय बह गई बाढ में
-वडगांव जीरे की रायघोल नदी में बाढ़
-वडगांव जीरे-मालखेड गाँवों का संपर्क टूटा, यातायात ठप
उधर 16 तारीख को दोपहर लगभग 2 से 3 बजे के बीच अंजनगांव बारी क्षेत्र में भारी बारिश हुई. इससे कृषि फसलों के साथ-साथ पशुधन, नदी-नाले भी पानी में डूब गए, जिससे सामान्य जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया और यातायात ठप हो गया. बताया गया है कि उतखेड रेलवे पुल के पास से गुजरते समय एक गाय बाढ़ में बह गई. साथ ही, पार्डी में भूमिगत अंडरपास पूरी तरह से जलमग्न हो गया, जिससे पुल का पानी गाँव और रेलवे पटरियों पर जमा हो गया. साथ ही, खड़ी फसलों में बारिश का पानी घुसने से किसानों की फसलों को भारी नुकसान हुआ. क्षेत्र के भिवापुर, कोंडेश्वर तालाब, नदियाँ और नहरें उफान पर होने से जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया.
वडगाँव जीरे में रायघोल नदी में आई बाढ़ के कारण कब्रिस्तान जाने वाला रास्ता बह गया और वडगाँव जीरे-मालखेड रेलवे मार्ग भी बह गया, जिससे दोनों गाँवों के बीच संपर्क टूट गया और यातायात ठप हो गया. नदी में आई बाढ़ के कारण किसानों के खेतों में पानी घुस गया है, जिससे उनकी फसलें बर्बाद हो रही हैं, किसान अपने खेतों से आ-जा नहीं पा रहे हैं और यातायात ठप हो गया है. ग्रामीणों ने जिला प्रशासन से मदद की माँग की है. यह जानकारी सरपंच घनश्याम ब्राह्मणे, उपसरपंच गोलू मडके, पूर्व सरपंच मनोहर मरोड़कर ने दी.






