नवरात्र मेले में लगा विशालकाय स्वागत द्वार ढहा
राजकमल चौराहे पर बडा हादसा होते-होते टला

* शिंदे गुटवाली शिवसेना ने लगाया था स्वागत द्वार
* स्वागत द्वार के चपेट में आकर कई दुपहिया वाहन क्षतिग्रस्त
अमरावती/दि.23 – कल सोमवार से नौ दिवसीय शारदीय नवरात्रौत्सव का प्रारंभ हुआ. इसके साथ ही राजकमल चौराहे से गांधी चौक की ओर जानेवाले मार्ग पर प्रतिवर्षानुसार इस वर्ष भी अंबादेवी का मेला शुरु हुआ. जिसमें सडक के दोनों ओर कई तरह की दुकाने लग गई है. साथ ही साथ इस रास्ते से होकर अंबादेवी व एकवीरा देवी के दर्शन हेतु जानेवाले भाविक श्रद्धालुओं को नवरात्रौत्सव की शुभकामनाएं देने हेतु कई राजनीतिक दलों एवं संगठनों द्वारा बडे-बडे स्वागत द्वार भी लगाए गए है. जिसमें से राजकमल चौक के पास शिंदे गुट वाली शिवसेना द्वारा लगाया गया विशालकाय स्वागत द्वार बीती रात अचानक ही ढह गया. सौभाग्य से इस हादसे में कोई जनहानि नहीं हुई. परंतु अचानक ही भरभराकर गिर पडे इस स्वागत द्वार की चपेट में आकर कई दुपहिया वाहन क्षतिग्रस्त हो गए और कुछ लोगों को छिटपूट चोटें भी आई. जिसके चलते अंबादेवी की यात्रा में कुछ समय के लिए अफरातफरी वाला माहौल बन गया था.
विशेष उल्लेखनीय है कि, गत रोज ही राजापेठ स्थित मनपा जोन कार्यालय में अंबादेवी की यात्रा में स्वागत गेट लगाने के लिए जगहों की नीलामी हुई और शिंदे गुट वाली शिवसेना द्वारा राजकमल चौक से गांधी चौक की ओर प्रवेशित मार्ग पर विशालकाय स्वागत द्वार लगाने हेतु जगह हासिल की गई. जिसके तुरंत बाद शिंदे गुट वाली शिवसेना द्वारा उक्त स्थान पर विशालकाय स्वागत द्वार भी लगा दिया गया. परंतु कुछ ही समय के उपरांत यह स्वागत द्वार अचानक ही जमींदोज हो गया. खास बात यह भी रही कि, उस समय कोई तेज हवा या तूफान वाली स्थिति नहीं थी. लेकिन इसके बावजूद यह स्वागत द्वार ताश के पत्तों की तरह भरभराकर ढह गया और परिसर में स्थित दुकानों के सामने खडे वाहनों पर जा गिरा. जिससे कई वाहन इस स्वागत द्वार के नीचे दब गए. साथ ही इस घटना में कुछ लोगों को हलकी-फुलकी चोटें भी आई. घटना की जानकारी मिलते ही मनपा एवं कोतवाली पुलिस के पथक तुरंत मौके पहुंचे तथा स्वागत द्वार के मलबे को वहां से हटाया गया.
ज्ञात रहे कि, कल नवरात्री का पहला ही दिन रहने के चलते दोपहर के समय तक दर्शनार्थियों की संख्या काफी कम थी. वहीं नवरात्र में रोजाना शाम के समय मेला घुमने हेतु आनेवाले लोगों सहित दर्शन हेतु आनेवाले महिला व पुरुषों की संख्या अच्छी-खासी रहती है. ऐसे में यदि शाम के वक्त भीडभाड के समय यह स्वागत द्वार जमींदोज हुआ होता, तो इस मेले में बडा अनर्थ घटित होने की पूरी संभावना थी. ऐसे में स्वागत द्वार लगाने में हुई लापरवाही को एक गंभीर चूक माना जा रहा है.





