मालखेड में उत्साह ये मनाया जा रहा नवरात्रोत्सव
अखंड ज्योत सप्ताह समारोह में भक्ता की उत्स्फुर्त उपस्थिति

* 700 घटों कि की गई श्रद्धाभाव से स्थापना
चांदूर रेलवे/दि.27 – तहसील के भानामती नदी के तट पर बसे हुए निसर्गरम्य गांव मालखेड में ग्राम देवता अंबामाता और शिवशंकर मंदिर में नपवरात्रि उत्सव भक्तिमय माहौल में उत्साह से शुरू है. इस वर्ष नवरात्रि महोत्सव की अखंड ज्योति सप्ताह में श्रद्धापूर्वक 700 घंटो की स्थापना कर नवरात्रि का यह धार्मिक समारोह बडे उत्साह व भक्तिभाव से मनया जा रहा हैं. सुबह-शाम होनेवाली महाआरती में सैकडों भाविक भक्त उपस्थित रहकर दर्शन का पूण्य लाभ प्राप्त कर धन हो रहे है. माता रानी के जयकारे लगा रहे है.
* ऐतिहासिक तथा धार्मिक पार्श्वभूमि
प्राचीनकालीन संदर्भ के अनुसार विदर्भ प्रदेश का राजा वृषभदेव को 10 पूत्र थें. उनमें से एक का नाम केतुमाल था. राजास्थानी के परिसर में बेटों को निवास स्थान दिए गए थें. केतुमाल के नाम से जी बस्ती निर्माण हुई, उसे शुरूआत में ‘मालकेतु’ के तौर पर पहचाना जाता था, समय के चलते इसी नाम का अपभ्रंश होकर ‘मालखेड’ यह नाम रूढ हो चुका है. श्रीमद भागवत ग्रंथ तथा देवी भागवत ग्रंथ में भी मालकेतु बस्ती का उल्लेख पाया जाता है. केतुमाल ने भानामती नदी के तट पर अंबामाता की भक्तिभाव के साथ आराधना की. उसकी उपासना से प्रसन्न होकर अंबामाता प्रकट हुई ऐसी आख्यायिक हैं.
भक्तों की मनोकामना पूर्ण हो, इस उद्देश्य से देवी यहीं ही स्वयंभू स्वरूप में विराजमान हुई, ऐसा माना जाता हैं. इसीलिए मालखेड वासियों की ग्रामदेवता के तौर पर अंबादेवी की पहचान आज भी हैं. सातारा जिले में स्थित गई गावं-देहातों की मालखेड वासिनी अंबामाता कुलदेवता रहने से सालभर वहां के भक्तों की भीड मंदिर में देखने को मिलती हैं. इसके अलावा इस नवरात्रि उत्सव में वहां के भक्तो के भी घंटा है.
* मंदिर का प्रबंधन तथा सेवाभाव
मंदिर की सेवा मे महंत शिवानंद पुरी महाराज बाते 31 वर्षी से रात दिन कार्यरत हैं. साथ ही वे श्री पंचदशनाम जूना अखाडा सचिव के तौर पर भी जिम्मेदारी संभालते है. उनके समय में मंदिर का जीर्णोधर और विकास कार्य हुआ है, ऐसा गांववासी बताते है. मंदिर संस्थान के विश्वस्त अशोक देशमुख यह मंदिर की सौदर्य वृद्धि तथा सुविधाओं की उपलब्धता के लिए लगातार प्रसारत हैं व परिश्रम कर रहे है.
* निसर्गरम्य तथा विशेषताओं से पूर्ण स्थान
मंदिर के समीपस्थ बहने वाली दक्षिण वाहिनी भानामती नदी पवित्र मानी देती हैं. नदी के पट पर की हुई पूजा विधि जल्द ही सफल होती हैं. ऐसी अगाढ श्रद्धा भक्तों में है, विशेष यह कि मुंबई-नागपुर यह रेलमार्ग मंदिर के पडोस से ही गुजरता हैं, जिससे ट्रेन से ही भक्तोे को अंबादेवी का और मंदिर का परकोट, घुमट तथा कलश का दर्शन होता हैं. हरियाली, पीपल और इमली के पेड, नदी का पात्र, खेत की पगडंडियों के मार्ग की वजह से यह परिसर नयनरम्य महसुस होता है. मंदिर परिसर में तपोभूमि है, ऐसा अनुभव व्यक्त करते हैं. गर्भगृह के दरवाजे की उंचाई कम हैं. भीतर प्रवेश करते ही स्वयंभू अंबादेवी का दर्शन होता हैं. अंबामाता व शिवमंदिर इकट्ठा रहने से यह स्थान आध्यात्मिक श्रद्धरभाव का केंद्र बना हुआ हैं.
*‘ब’दर्जा की भक्तों की मांग
सालभर हजारों भक्त यहां दर्शन के लिए पहुंचते हैं. सभी सुविधाएं उपलब्ध होे और पर्यटन की दृष्टि से भी इस पवित्र आध्यात्मिक स्थान को बढावा मिल, इसलिए मालखेड अंबादेवी मंदिर को ‘ब’ दर्जा मिलना चाहिए, ऐसी मांग स्थानीय गांववासियों द्वारा की जा रही हैं.





