अमरावती शहर की स्वच्छता पर हाईकोर्ट ने मांगी विस्तृत रिपोर्ट

जनहित याचिका पर सुनवाई के साथ ही जिम्मेदारों पर कार्रवाई के निर्देश

* 4 नवंबर को होगी अगली सुनवाई, मनपा पेश करेगी एक और हलफनामा
अमरावती/दि.8 – अमरावती शहर में लंबे समय से चली आ रही गंदगी, कचरा संकलन की अव्यवस्था और स्वच्छता तंत्र की निष्क्रियता को लेकर दाखिल जनहित याचिका पर बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने गंभीर रुख अपनाया है. न्यायालय ने अमरावती महानगरपालिका से एक विस्तृत कार्यवाही रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं और स्पष्ट किया है कि लापरवाही बरतने वाले ठेकेदारों या अधिकारियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 268 (सार्वजनिक उपद्रव) के तहत भी कार्रवाई की जा सकती है.
बता दें कि, अमरावती मनपा के पूर्व पार्षद बालू भुयार, संजय नरवणे व धीरज हिवसे ने वर्ष 2024 में जनहित याचिका क्रमांक 06/2024 के माध्यम से राज्य सरकार, अमरावती महानगरपालिका तथा ठेका धारक कंपनियों के खिलाफ याचिका दायर की थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि, शहर में गीले और सूखे कचरे के संकलन, वर्गीकरण और निपटान के लिए नगर निगम ने निजी ठेकेदारों को जिम्मेदारी सौंपी थी. परंतु, इन ठेकेदारों ने अनुबंध की शर्तों के अनुसार कार्य नहीं किया, जिसके कारण कई वार्डों में कचरे के ढेर लग गए, नालियों की सफाई ठप पड़ी और शहर में दुर्गंध एवं संक्रमण का माहौल बन गया. याचिकाकर्ताओं का यह भी कहना रहा कि, स्वच्छ भारत मिशन के तहत करोड़ों रुपये खर्च होने के बावजूद शहर की स्वच्छता व्यवस्था चरमराई हुई है.
इस याचिका पर प्रतिवादी क्रमांक 2 और 3 रहनेवाले अमरावती महानगर पालिका एवं सफाई ठेकेदारों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता आर. डी. धर्माधिकारी ने अदालत में एक अतिरिक्त हलफनामा प्रस्तुत करते हुए कहा कि, वर्तमान में चल रहा ठेका अपनी अवधि पूरी करने वाला है, इसलिए नगर निगम ने ठोस अपशिष्ट (सॉलिड वेस्ट) के परिवहन और प्रसंस्करण केंद्र तक पहुंचाने के लिए नई निविदा प्रक्रिया आरंभ कर दी है. इसके अलावा, न्यायालयीन प्रक्रिया पूर्ण होने के बाद नालों की सफाई, सार्वजनिक शौचालयों के रखरखाव, घर-घर कचरा संकलन और गीले-सूखे कचरे के वर्गीकरण हेतु भी नई निविदा जारी करने की तैयारी है.
दोनों पक्षों का युक्तिवाद सुनने के बाद न्यायमूर्ति अनिल एस. किलोर और न्यायमूर्ति राजनिश आर. व्यास की खंडपीठ ने सुनवाई के दौरान यह स्पष्ट किया कि इस जनहित याचिका के लंबित रहने के कारण महानगरपालिका की नई निविदा प्रक्रिया प्रभावित नहीं होनी चाहिए. अदालत ने यह भी टिप्पणी की कि नागरिक सुविधाओं से जुड़ी योजनाओं में प्रशासनिक देरी या अदालती कार्यवाही का हवाला देकर निष्क्रियता स्वीकार्य नहीं हो सकती.
साथ ही खंडपीठ ने मामले की अगली सुनवाई की तारीख 4 नवंबर 2025 तय की है. इस अवधि के दौरान नगर निगम को शहर की स्वच्छता व्यवस्था में सुधार हेतु किए गए कदमों और ठेकेदारों के खिलाफ की गई कार्रवाई की विस्तृत प्रगति रिपोर्ट न्यायालय में प्रस्तुत करने के निर्देश दिए गए हैं. अदालत ने यह भी कहा कि यदि यह पाया गया कि कुछ व्यक्तियों या एजेंसियों की लापरवाही के कारण सार्वजनिक उपद्रव की स्थिति बनी है, तो भारतीय दंड संहिता की धारा 268 के तहत उनके विरुद्ध आपराधिक कार्रवाई की जा सकती है. यह धारा उन मामलों पर लागू होती है, जहाँ किसी व्यक्ति या संस्था की लापरवाही से आमजन के स्वास्थ्य, सुविधा या सुरक्षा को खतरा होता है.
ऐसे में अब न्यायालय के इस आदेश के बाद अमरावती के नागरिकों में उम्मीद जगी है कि अब नगर निगम स्वच्छता व्यवस्था को प्राथमिकता देगा और जिम्मेदार ठेकेदारों पर ठोस कार्रवाई करेगा. शहर में कई सामाजिक संगठनों ने हाईकोर्ट के इस निर्देश का स्वागत किया है और उम्मीद जताई है कि इससे नगर प्रशासन की जवाबदेही तय होगी.
* घनकचरा व्यवस्थापन हेतु निविदा में कोई बाधा नहीं
इस याचिका पर सुनवाई के दौरान प्रतिवादी पक्ष की ओर से पैरवी करते हुए एड. आर. डी. धर्माधिकारी ने अदालत को बताया कि, मनपा द्वारा घनकचरा व्यवस्थापन हेतु कचरे की ढुलाई हेतु निविदा प्रक्रिया पर अमल किया जा रहा है. जिसका काम इस याचिका की वजह से प्रभावित हो सकता है, तो अदालत ने कहा कि, यदि मनपा द्वारा घनकचरा व्यवस्थापन प्रकल्प तक कचरे की ढुलाई हेतु निविदा प्रक्रिया चलाई जा रही है, तो उस काम में यह याचिका किसी भी तरह से बाधा नहीं बननेवाली है.

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