रिटायर्ड जज भी हुए डिजिटल अरेस्ट के शिकार, 31 लाख से ठगे गए

साइबर अपराधियों ने बैंक अकाउंट से गलत ट्रांजेक्शन होने के नाम पर धमकाया

* वीडियो कॉल पर सुप्रीम कोर्ट और सीबीआई दफ्तर दिखाकर जमाया धाक
* पूरे एक सप्ताह तक लगातार डिजिटल अरेस्ट रखकर बनाया गया दबाव
* पैसे भेजने के बाद जज को माजरा समझ में आया, तुरंत पहुंचे साइबर थाने
* सीपी चावरिया से भी मिलकर लगाई गुहार, पुलिस कर रही मामले की जांच
अमरावती/दि.8 – अमुमन आम लोगबाग पुलिस, अदालत एवं कानूनी कार्रवाई का सामना करने से डरते है और उनके इसी डर का फायदा उठाते हुए साइबर अपराधियों द्वारा उनके साथ डिजिटल अरेस्ट के नाम पर ऑनलाइन धोखाधडी को अंजाम दिया जाता है. परंतु आज अमरावती शहर में एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसमें साइबर अपराधियों ने रिटायर्ड जज रहनेवाले एक वरिष्ठ अधिवक्ता को ही सुप्रीम कोर्ट और सीबीआई कार्यालय का धाक दिखाते हुए उन्हें करीब एक हफ्ते तक डिजिटल अरेस्ट के नाम पर खुद उनके ही घर में नजरबंद रखा और उन पर लगातार दबाव बनाते हुए उनसे जान छुडाने हेतु 31 लाख रुपए की भारी-भरकम रकम भी वसूली. अपने खाते से अज्ञात साइबर अपराधियों के खाते में 31 लाख रुपए ट्रांसफर कर देने के बाद अपनी जान छुटते ही उन जज साहब ने जब आराम से बैठकर विचार किया, तब उन्हें अपने साथ हुई ऑनलाइन जालसाजी की बात समझ में आई. जिसके बाद उन्होंने तुरंत ही शहर पुलिस आयुक्तालय पहुंचकर सीपी अरविंद चावरिया से मुलाकात की और उन्हें पूरा वाकया बताया. जिसके बाद उन रिटायर्ड जज साहब की शिकायत के आधार पर साइबर पुलिस थाने में मामला दर्ज करने की कार्रवाई शुरु की गई. इस मामले के सामने आते ही पूरे शहर में अच्छा-खासा हडकंप व्याप्त हो गया है. साथ ही साथ पुलिस, अदालत व कानून की तमाम बारिकियों व पेचीदगियों से वाकीब रहनेवाले एक जज के इस तरह से डिजिटल अरेस्ट के नाम पर ऑनलाइन जालसाजी का शिकार होने को लेकर आश्चर्य भी जताया जा रहा है.
इस पूरे मामले को लेकर मिली विस्तृत जानकारी के मुताबिक शहर के एक संभ्रांत रिहायशी क्षेत्र में रहनेवाले सेवानिवृत्त न्यायाधीश रह चुके वरिष्ठ अधिवक्ता को विगत 25 सितंबर की दोपहर एक अज्ञात मोबाइल नंबर से वॉटस्एप पर वीडियो कॉल आई थी और कॉल करनेवाले व्यक्ति ने खुद को सीबीआई का अधिकारी बताते हुए कहा कि, उन रिटायर्ड जज साहब के बैंक अकाउंट से पैसों को लेकर कुछ गैरकानूनी लेन-देन हुआ है और वह पैसा हवाला रैकेट के जरिए इधर से उधर किया गया है. जिसके चलते उनके खिलाफ अपराधिक मामला दर्ज करते हुए कानूनी कार्रवाई की जा रही है. साथ ही कॉल करनेवाले व्यक्ति ने अपने बैकग्राऊंड में सीबीआई कार्यालय व सुप्रीम कोर्ट की इमारत दिखाते हुए उन रिटायर्ड जज साहब को बताया कि, उन्हें अदालत के आदेश पर डिजिटल यानि ऑनलाइन अरेस्ट कर लिया गया है. ऐसे में वे अब अपने घर से कहीं बाहर नहीं जा सकते और उन्हें वीडियो कॉल कर दिए जा रहे निर्देशों का पूरी तरह से पालन करना होगा. हैरत की बात यह रही कि, ऐसी घटनाओं को लेकर आए दिन अखबारों में खबरे प्रकाशित होती रहने और ऐसी घटनाओं को लेकर साइबर पुलिस द्वारा समय-समय पर गाईड लाईन जारी किए जाने के बावजूद पढे-लिखे व समझदार रहनेवाले वरिष्ठ अधिवक्ता साइबर ठगबाजों की बातों के झांसे में आकर फंस गए और उन्होंने कॉल करनेवाले व्यक्ति की बातों को मानना शुरु कर दिया. जिसके चलते कॉल करनेवाले व्यक्ति ने धीरे-धीरे उन रिटायर्ड जज साहब पर अपना शिकंजा कसना शुरु किया और उन पर छोड देने हेतु 31 लाख रुपए देने के लिए दबाव बनाया जाने लगा. यह सिलसिला पूरे एक सप्ताह तक चलता रहा. जिसके चलते हैरान-परेशान हो चुके रिटायर्ड जज साहब ने कॉल करनेवाले व्यक्ति को उसकी मांग के अनुरुप पैसा देना स्वीकार किया और विगत शुक्रवार 3 अक्तूबर को ही रिटायर्ड जज साहब ने अपने बैंक अकाउंट से कॉल करनेवाले व्यक्ति द्वारा बताए गए बैंक अकाउंट में 31 लाख रुपए ट्रांसफर भी कर दिए. जिसके बाद कॉल करनेवाले व्यक्ति ने रिटायर्ड जज साहब का डिजिटल अरेस्ट खत्म होने की बात कही.
लेकिन इसके बाद जब उन रिटायर्ड जज साहब ने आराम से बैठकर पूरी बातों पर विचारविमर्श किया, तब उन्हें पूरा मामला समझ में आया और अपने साथ हुई ऑनलाइन जालसाजी का एहसास हुआ. बात समझ में आते ही वे रिटायर्ड जज साहब आज सीधे शहर पुलिस आयुक्त अरविंद चावरिया से मिलने हेतु पहुंचे और उन्होंने सीपी चावरिया को पूरा माजरा बताया. जिसके बाद उन रिटायर्ड जज साहब द्वारा दिए गए बयान के आधार पर शहर पुलिस की साइबर सेल ने अपराधिक मामला दर्ज करने की प्रक्रिया शुरु करने के साथ-साथ इस मामले की जांच-पडताल भी करनी शुरु की. वहीं इस मामले के सामने आते ही शहर में अच्छे-खासे हडकंप वाली स्थिति देखी जा रही है. साथ ही अब यह चर्चा भी चल रही है कि, यदि साइबर अपराधियों द्वारा बिछाए गए जाल में एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश रह चुका व्यक्ति भी फंस सकता है, तो फिर साइबर अपराधियों के लिए आम नागरिकों को अपने जाल में फांसना कितना आसान काम रहता होगा.

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