हाईकोर्ट के फैसले से पहले ही अमरावती मनपा का दांव
स्वच्छता का सबसे बडा टेंडर जारी

* 7 वर्ष के कचरा कलेक्शन और परिवहन टेंडर में कठिन शर्तें
* प्रशासन की सक्रियता पर उठाए जा रहे प्रश्न
अमरावती /दि.9- अमरावती महापालिका के पांच जोन अंतर्गत साफसफाई के महत्वपूर्ण कार्य को लेकर बंबई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ ने सुनवाई शुरु कर रखी है. आरंभिक आदेश जारी किए हैं. जिसके अनुसार न्यायालय ने विस्तृत कार्यवाही रिपोर्ट प्रस्तुत करने कहा है. शहर की स्वच्छता पर हाईकोर्ट ने रिपोर्ट तलब की है. इस बीच महापालिका प्रशासन ने सीधे 7 वर्षों के लिए शर्तों के साथ बुधवार शाम 7 बजे ही नया टेंडर अपलोड कर दिया. इस टेंडर में अपसेट प्राइस का कोई उल्लेख नहीं है, साथ ही अन्य कारणों से प्रशासन के इस दांव पर कई तरह के सवाल उपस्थित किए जा रहे हैं. जिसमें महत्वपूर्ण और सबसे बडा सफाई ठेका रहने पर भी केवल 8 दिनों की मुद्दत और शर्तों का उल्लेख सभी कर रहे हैं. टाइम्स ऑफ इंडिया समाचार पत्र में प्रकाशित टेंडर नोटिस में स्पष्ट कहा गया है कि, स्वच्छ भारत अभियान अंतर्गत 2016 में तय नियमों और कानून के अनुसार सॉलिड वेस्ट को जमा कर उसे सुकली या अकोली कंपोस्ट डिपो पर पहुंचाना होगा. यह टेंडर ठोस अपशिष्ट (सॉलिड वेस्ट) के परिवहन और सुकली कंपोस्ट डिपो तक पहुंचाने से संबंधित कार्य का है. किंतु इसमें घर-घर कचरा संकलन और गीले-सूखे कचरे के वर्गीकरण के बारे में नियमों के तहत समाहित किया गया है. जिससे स्पष्ट हो रहा है कि, महापालिका अब जोननिहाय की बजाए सभी काम एक ही ठेकेदार से करवाने की तैयारी कर रही है.
* प्रशासन की ताबडतोड गतिविधि
महापालिका के सफाई टेंडर को लेकर हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई थी. यह याचिका पूर्व पार्षद बालू भुयार, संजय नरवणे और धीरज हिवसे ने दायर की थी. जिस पर कोर्ट ने काम में कोताही के लिए ठेकेदार अथवा अफसरान पर भादंवि धारा 268 के तहत सीधे अपराध दर्ज करने के निर्देश मनपा को दिए थे. हाईकोर्ट की खंडपीठ इस बारे में लगातार सुनवाई कर रही है. कोर्ट के निर्णय से पहले ही मनपा प्रशासन गजब का एक्टीव हो गया है. सूत्रों ने ‘अमरावती मंडल’ को बताया कि, हाईकोर्ट के तात्कालिक आदेश के मात्र 12-13 घंटों में ही ताबडतोड गतिविधि तेज कर प्रशासन ने शाम 7 बजे ही सबसे बडा टेंडर वेबसाइट पर अपलोड कर दिया और ‘ए’ श्रेणी के समाचार पत्रों में प्रकाशित भी करवा दिया. जिससे स्पष्ट हो गया कि, महापालिका अब स्वच्छता संबंधी सभी काम एक ही एजेंसी के मार्फत करवाने जा रही है. अलग-अलग ठेके नहीं दिए जाएंगे.
* सबसे बडा टेंडर, अनेक सवाल
महापालिका की वेबसाइट पर अपलोड टेंडर के 7 वर्षों की अवधि के रहने के साथ हालांकि टेंडर नोटिस में मूल्य का उल्लेख नहीं है. तथापि उसकी कुल कीमत 250 करोड रुपए के आसपास रहने की जानकारी इस क्षेत्र के लोगों ने दी. किंतु उसमें उल्लेखित टर्म और कंडीशन ने जरुर सवाल खडे किए हैं. सबसे पहली बात तो प्रशासन द्वारा आनन-फानन में इतना बडा टेंडर तैयार किए जाने की बात पर ही सहसा आश्चर्य जताया जा रहा है.
* केवल 8 दिनों का समय
प्रशासन का रवैया पूरी तरह से सुनियोजित लग रहा है. इतने बडे और सीधे 7 वर्षों तक शहर का कचरा कलेक्शन और उसे सुकली या अकोली कंपोस्ट डिपो पर पहुंचाने का काम दिया जाना है. बावजूद इसके केवल 8 दिनों का समय टेंडर भरने के लिए दिया गया है. टेंडर नोटिस के अनुसार आगामी 17 अक्तूबर की दोपहर 4 बजे तक बीड जमा करनी है. 18 अक्तूबर को प्रशासन टेंडर खोलने की प्रक्रिया करेगा. सिर्फ 8 दिनों का समय दिया जाना कई प्रश्न उपस्थित कर रहा हैं. सामान्य रुप से पहली टेंडर नोटिस में 22 दिन, दूसरी बार टेंडर जारी करने पर 15 दिन और तीसरी बार उसी काम टेंडर जारी रहने पर 8 दिनों का समय दिया जाता है.
* मार्किंग सिस्टम, प्रशासन के हाथ चाबी
78 पेज के टेंडर की शर्तों और नियमों पर भी उंगली उठाई जा रही है. टेंडर में मार्किंग अर्थात गुण का खास उल्लेख किया गया है. जिसके अनुसार 10 करोड तक काम कर चुके कंपनी को 5 मार्क, गत 7 वर्षों में खरीदे गए अपने वाहनों के लिए 10 मार्क और कॉम्पैक्टर वाहन के लिए 10 मार्क रखे गए हैं. जबकि 40 मार्क प्रस्तावित प्रक्रिया के निष्पादन पर दिए गए हैं, जो प्रशासन के हाथ में है, अर्थात टेंडर की चाबी ही प्रशासन ने अपने पास उक्त शर्त के साथ सुरक्षित कर लेने की चर्चा है. जिससे इस मुद्दे पर अपहार होने की आशंका जताई जा रही है. उसी प्रकार मनपा के इस दांव पर भी उंगली उठाई जा रही है. टेंडर की शर्त के अनुसार प्रशासन द्वारा अधिक अंक दिए जाने की स्थिति में अन्य बिडर्स की तुलना में अधिक रेट रहने पर भी संबंधित कंपनी को ही काम दिया जा सकता है.
* कंटींनजेन्सी की अफलातून शर्त
कोर्ट-कचहरी की लडाई से बचाव के लिए मनपा प्रशासन ने कंटींनजेन्सी की शर्त, बात टेंडर में रखी है. जिसके सामान्य अर्थ यही होते है कि, आपात स्थिति में मनपा चाहे तो टेंडर प्रोसेस रोककर किसी अन्य कंपनी से भी काम जारी रख सकती है. एक और निविदा प्रशासन जारी कर सकता है. किसी भी प्रकार के विवाद की स्थिति में आवश्यक सेवा होने से मनपा की कंटींनजेन्सी की शर्त रहने का दावा किया जा रहा है. हाईकोर्ट ने मनपा को शहर को साफसुथरा रखने के सख्त निर्देश दे रखे हैं.
* प्रशासन की हडबडी पर भी प्रश्न
मनपा प्रशासन द्वारा हडबडी में कचरा यातायात के सीधे 7 वर्षों के लिए टेंडर जारी किए जाने पर सवाल उपस्थित हो रहे है. जबकि कचरा यातायात का वर्तमान ठेका की अवधि आगामी मार्च 2026 तक बनी हुई है. ऐसे में शीघ्र मनपा के लोकशाही पद्धति से चुनाव होकर जनप्रतिनिधि का राज महापालिका में आना है. जनप्रतिनिधियों के आने का इंतजार न करते हुए प्रशासन की हडबडी पर भी सवाल खडे किए जा रहे हैं. देखा जाए तो 7 वर्ष का महापालिका का सबसे बडा ठेका जनप्रतिनिधियों द्वारा लिया जाना बेहतर ऑप्शन माना जा सकता था.
* डोर टू डोर कलेक्शन का क्या?
मनपा के अपलोडेड सबसे बडे टेंडर में डोर टू डोर कचरा कलेक्शन का उल्लेख नहीं है. जिससे वर्तमान डोर टू डोर कलेक्शन की बेहतर व्यवस्था को पलीता लगने की आशंका भी जताई जा रही है. मनपा का कचरे का ठेका का मामला आज भी जिला न्यायालय में सुनवाई के लिए जारी रहने की संभावना के बीच जल्दबाजी में अपलोड किए गए टेंडर नोटिस पर सर्वत्र प्रश्नों की बौछार हो रही है.
* 250 करोड का मूल्य कैसे आया!
महापालिका के वर्तमान पांच जोन के कचरा संकलन व परिवहन के टेंडर पर लगभग 34 करोड रुपए प्रति वर्ष खर्च किए जा रहे हैं. इसी आधार पर 7 वर्षों के खर्च मूल्य और उसमें शर्तों के अनुसार जोडी जाती 5 या 10 प्रतिशत की प्राकृतिक ग्रोथ के आधार पर जानकारों ने ताजा टेंडर नोटिस का मूल्य 250 करोड के आसपास आंका है. यह भी चर्चा है कि, मनपा ने ताजा टेंडर नोटिस में मूल्य का उल्लेख नहीं किया है.





