कफ सिरफ प्रकरण में मध्यप्रदेश को महाराष्ट्र की सहायता

एमपी के छिंदवाडा परिसर से नागपुर के विविध अस्पतालों में बडी संख्या में बच्चे भर्ती

नागपुर/ दि. 13- मध्यप्रदेश के छिंदवाडा परिसर से नागपुर के विविध अस्पताल में अचानक बडी संख्या में छोटे बच्चे भर्ती हुए. इसमें से कुछ लोगों की मृत्यु के बाद स्थानीय स्वास्थ्य यंत्रणा मामले की तह तक गई और कफ सिरफ के कारण ही बच्चों की मृत्यु होने की बात सामने आयी. पश्चात तत्काल दवाई पर प्रतिबंध लगाकर आगे का बडा अनर्थ टल गया. इस कारण मध्यप्रदेश की सहायता के लिए महाराष्ट्र के नागपुर शहर की स्वास्थ्य यंत्रणा कैसी दौडी, इस बाबत पता चलता है.
15 सितंबर के दौरान छिदवाडा, परासिया परिसर से डेढ वर्ष से 8 वर्ष की आयु के बच्चे गंभीर अवस्था में नागपुर के मेडिकल और एम्स शासकीय अस्पताल सहित कुछ निजी अस्पताल में भर्ती हुए. इसमें से कूछ बच्चों की मृत्यु हो गई. मरिजों के लक्षण की मेडिकल और न्यू हेल्थ सिटी अस्पताल ने मनपा के स्वास्थ्य विभाग को सूचना दी. मनपा के मुख्य स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. दीपक सेलोकर ने तत्काल अस्पताल मे मेट्रो पॉलिटन सर्विसेस (एम्स) भेजा.
तीव्र मस्तिष्कज्वर के लक्षण को देखते हुए मनपा ने राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र को सूचना दी. एनसीडी के आदेश पर पुणे के राष्ट्रीय विषाणू प्रयोग शाला के दल ने नागपुर के मरीजों के नमूनो की जांच की. इसमें मस्तिष्कज्वर से संबंधित नहीं निकला. मेडिकल के बालरोग विभाग के प्रमुख प्रा. डॉ. मनिष तिवारी ने मरीजों की रिनल बायप्सी की. तब उसमें विषाणू का भी संबंध सामने नहीं आया. इस कारण डॉ. तिवारी ने मरीजों के रिश्तेदारों से संवाद किया तब छिदवाडा के अधिकांश मरीजों ने एक जैसा कफ सीरफ लिया रहने की बात सामने आयी. तत्काल नागपुर मनपा के माध्यम से एनसीडीसी और छिदवाडा प्रशासन को जानकारी दी गई. पश्चात कफ सिरफ पर पाबंदी लगाई गई. मध्यप्रदेश के अन्न व औषध प्रशासन की औषध शाखा को इस कफ सिरफ में डायएथिलिन ग्लाईकॉल का प्रमाण 46 प्रतिशत मिला. यह प्रमाण 0.01 प्रतिशत से अधिक नहीें चाहिए. लेकिन इस दौरान नागपुर के विविध अस्पताल में 17 बच्चों की मृत्यु हो गई. फिलहाल दो मरीज उपचार ले रहे हैं. इसमें से एक व्हेटीलेटर पर है.                                                                                            * नागपुर मनपा का कहना क्या?
छिंदवाडा से गंभीर अवस्था में बालक आए रहने से मनपा ने एनसीडीसी को सूचित किया. एनसीडीसी की तरफ से विविध दल भेजे गए . मेडिकल के बालरोग विभाग के प्रमुख डॉ. मनिष तिवारी ने कफ सिरप पर संदेह किया. यह जानकारी एनसीडीसी और छिंदवाडा प्रशासन को सूचित करते ही सिरप पर पाबंदी लगाई गई. इस कारण अब छिंदवाडा से मरीज आना कम हुआ हैं.
– डॉ. दिपक सेलोकर, मुख्य वैद्यकिय अधिकारी,
नागपुर मनपा.

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