नेहरु मैदान पर नहीं होगा किसी भी तरह का निर्माण
पालकमंत्री बावनकुले ने स्पष्ट की स्थिति

* विकास कार्य के लिए मैदान का इस्तेमाल मुमकिन नहीं रहने की बात कही
अमरावती/दि.14 – अमरावती शहर के बीचोबीच स्थित तथा शहर के लिहाज से ऐतिहासिक व सांस्कृतिक विरासत रहनेवाले नेहरु मैदान पर किसी भी तरह का कोई निर्माण कार्य नहीं किया जाएगा तथा नेहरु मैदान सहित दशहरा मैदान व सायंस्कोअर मैदान के साथ-साथ शहर में स्थित सभी मैदानों को यथावत कायम रखा जाएगा, ऐसा राज्य के राजस्व मंत्री व जिला पालकमंत्री चंद्रशेखर बावनकुले द्वारा गत रोज मीडिया के साथ बातचीत करते हुए स्पष्ट किया गया. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि, क्रीडा एवं सांस्कृतिक गतिविधियों के लिए आरक्षित रहनेवाले मैदानों का किसी भी तरह के विकास कार्यो हेतु प्रयोग करना नियमानुसार मुमकिन नहीं है.
बता दें कि, इससे पहले अमरावती के दौरे पर आए पालकमंत्री बावनकुले ने मनपा मुख्यालय पहुंचकर एक समीक्षा बैठक में हिस्सा लिया था. जिसमें राजकमल चौक के पास स्थित नेहरु मैदान में मनपा के प्रशासकीय कार्यालय को स्थलांतरित करने के बारे में चर्चा हुई थी और बैठक में विचार-विमर्श किए गए. सभी मुद्दे प्रोसिडिंग पर भी लिए गए थे, जिसके उपरांत विगत 10 अक्तूबर को खोडके दंपति ने मनपा में समीक्षा बैठक लेते हुए मनपा की इमारत को नेहरु मैदान में स्थलांतरित करने हेतु आवश्यक प्रक्रियाएं शुरु करने के निर्देश देने के साथ-साथ मौजूदा प्रशासकीय इमारत वाली जगह पर भव्य व्यापारिक संकुल साकार करने के संदर्भ में भी आवश्यक निर्देश जारी किए थे. जिसके बाद इस फैसले का भाजपा एवं कांग्रेस की ओर से विरोध होना शुरु हो गया था. जिसके तहत भाजपा सांसद डॉ. अनिल बोंडे ने तो बाकायदा एक पत्रवार्ता बुलाते हुए नेहरु मैदान सहित शहर के सभी मैदानों को बचाने हेतु कृति समिति गठित करने का ऐलान भी कर दिया था. वहीं कांग्रेस नेता व पूर्व पालकमंत्री डॉ. सुनील देशमुख ने भी इस निर्णय को हास्यास्पद व बेतुका बताते हुए विधायक खोडके दंपति की निर्णय क्षमता पर सवालिया निशान उठाए थे. जिसके बाद विधान परिषद सदस्य संजय खोडके ने रविवार को प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए स्पष्ट किया था कि भाजपा की ओर से हो रहा विरोध समझ से परे है. क्योंकि यह फैसला खुद भाजपा से ही वास्ता रखनेवाले जिला पालकमंत्री के निर्देशानुसार लिया गया है. ऐसे में विगत दो दिनों से नेहरु मैदान को लेकर शहर की राजनीति अच्छी-खासी तपी हुई थी. वहीं अब पालकमंत्री बावनकुले ने गत रोज अमरावती के दौरे पर पहुंचने के बाद यह स्पष्ट तौर पर कहा कि, नेहरु मैदान एकतरह से अमरावती शहर की विरासत है. जहां पर किसी भी तरह का कोई नया निर्माण कार्य होना संभव ही नहीं है और विकास कामों के लिए किसी भी मैदान का प्रयोग करना मुमकिन भी नहीं है. ऐसे में अब सभी की निगाहें विधायक संजय खोडके की भूमिका और उनके अगले बयान की ओर टिकी हुई है. क्योंकि पालकमंत्री बावनकुले द्वारा लिए गए ‘यू-टर्न’ के चलते विधायक संजय खोडके की जमकर किरकिरी हो रही है.

* पत्रवार्ता में रखुंगा अपनी भूमिका
इस बारे में जानकारी एवं प्रतिक्रिया हेतु संपर्क किए जाने पर अजीत पवार गुट वाली राकांपा के प्रदेश उपाध्यक्ष व विधान परिषद सदस्य संजय खोडके ने कहा कि, वे अब भी अपने दावे पर कायम है. क्योंकि वह फैसला पालकमंत्री के निर्देश पर ही किया गया था और बैठक में हुई चर्चा व निर्णय की प्रोसिडिंग पर मनपा आयुक्त के हस्ताक्षर भी है. ऐसे में समय आने पर उस प्रोसिडिंग को सार्वजनिक भी किया जाएगा. जिसके लिए वे अगले एक-दो दिन में एक पत्रवार्ता बुलाते हुए पूरे विस्तार के साथ अपनी बात रखेंगे. साथ ही विधायक संजय खोडके ने फौरी तौर पर इस मामले को लेकर कोई भी प्रतिक्रिया देने से इंकार कर दिया है. ऐसे में अब विधायक संजय खोडके की अगली भूमिका व बयान को लेकर सभी में उत्सुकता देखी जा रही है.

* मनपा आयुक्त ने दलबल सहित किया नेहरु मैदान का निरीक्षण
जहां एक ओर नेहरु मैदान को लेकर इस समय अमरावती शहर में राजनीतिक घमासान मचा हुआ है, वहीं दूसरी ओर कल सोमवार 13 अक्तूबर की देर शाम मनपा आयुक्त सौम्या शर्मा ने अपने अधिनस्त अधिकारियों के साथ नेहरु मैदान पहुंचकर पूरे मैदान परिसर सहित वहां पर स्थित मनपा शाला व टाऊन हॉल की इमारतों का मुआयना किया. साथ ही साथ मनपा की टीम ने नेहरु मैदान के पूरे परिसर की नामजोख भी कर डाली. खास बात यह रही कि, कल सोमवार की दोपहर ही पालकमंत्री बावनकुले ने अपने अमरावती दौरे के दौरान नेहरु मैदान पर किसी भी तरह का निर्माण कार्य संभव नहीं रहने की बात कही. वहीं सोमवार की शाम मनपा के अधिकारियों द्वारा नेहरु मैदान में पहुंचकर निरीक्षण व नापजोख का काम किया गया. जिसके चलते इस मामले में संभ्रम देखा जा रहा है.





