उपोषण पर बैठी महिला की मौत से मचा हडकंप
बेटी ने पुलिस पर जबरन शव कब्जे में लेने का आरोप

* प्रशासन पर भी उपेक्षा का आरोप लगाते हुए किया हंगामा
* संतप्त बेटी की आरडीसी भटकर से कराई गई मुलाकात
अमरावती/दि.14 – गत रोज स्थानीय जिलाधीश कार्यालय परिसर में उस समय हडकंप मच गया था, जब अनुकंपा तत्व पर नियुक्ति एवं घर पर कब्जे की मांग को लेकर लंबे समय से आमरण अनशन कर रही शांताबाई उकर्डा नामक 75 वर्षीय महिला की अकस्मात मौत हो गई. जिसके बाद मृतक महिला की बेटी विजया उकर्डा ने स्थानीय जनप्रतिनिधियों तथा मनपा व जिला प्रशासन पर अपनी अनदेखी व उपेक्षा करने का आरोप लगाते हुए जमकर हंगामा मचाया. साथ ही अपनी मां के शव को अपने कब्जे में लेने का प्रयास करने के साथ ही शव को जिलाधीश कार्यालय के सामने रखकर न्याय मिलने तक शव का अंतिम संस्कार नहीं करने का ऐलान भी किया. जिसके चलते प्रशासन एवं पुलिस के भी हाथ-पांव फूल गए थे. पश्चात पुलिस ने आज सुबह विजया उकर्डा की निवासी उपजिलाधीश अनिल भटकर से मुलाकात करवाई गई. जिन्होंने विजया उकर्डा को समझा-बुझाकर शांत करवाया. साथ ही उसे पोस्टमार्टम की प्रक्रिया को पूर्ण होने देने तथा अपनी मां का ससम्मान अंतिम संस्कार करने के बारे में भी समझाया. जिसे लेकर विजया उकर्डा द्वारा अपनी स्वीकृति दिए जाने के बाद आगे की प्रक्रिया पूरी हो पाई और शव को पोस्टमार्टम हेतु भिजवाया गया. समाचार लिखे जाने तक मृतक महिला का अंतिम संस्कार होना बाकी था.
जानकारी के मुताबिक शांताबाई उकर्डा के पति मनपा में कार्यरत थे. जिनका सेवा में रहने के दौरान निधन हो जाने के चलते शांताबाई को अनुकंपा तत्व पर नौकरी मिलना अपेक्षित था. परंतु शांताबाई द्वारा आरोप लगाया गया कि, मनपा द्वारा उनके स्थान पर किसी अन्य को नौकरी देने के साथ ही कुछ दिन बाद उन्हें उनके घर से भी बेघर कर दिया गया. जिसके चलते वे अपनी बेटी विजया उकर्डा के साथ विगत 28 अप्रैल से जिलाधीश कार्यालय के सामने बेमियादी धरना आंदोलन करना शुरु किया. परंतु 6 माह से आंदोलन कर रही शांताबाई उकर्डा की विगत कुछ दिनों से तबीयत बिगडनी शुरु हो गई थी और गत रोज शांताबाई उकर्डा की आंदोलन के दौरान ही मौत हो गई. जिसके बाद शांताबाई की बेटी विजया उकर्डा ने अनुकंपा तत्व पर नियुक्ति और अपना घर वापिस मिलने की मांग के साथ ही अपनी मां की मौत के लिए स्थानीय विधायक, जिलाधीश व मनपा आयुक्त को जिम्मेदार बताते हुए मनपा के विधि अधिकारी श्रीकांत चव्हाण और क्षेत्रीय अधिकारी नरेंद्र देवरणकर को सेवा से हटाए जाने की मांग भी उठाई.
वहीं दूसरी ओर शांताबाई की मौत की खबर फैलते ही जिलाधीश कार्यालय के समक्ष उपोषण स्थल पर तनावपूर्ण स्थिति निर्माण हो गई. परिजनों ने चेतावनी दी कि जब तक न्याय नहीं मिलेगा, हम शव को नहीं हटाने देंगे. लेकिन देर रात पुलिस ने जबरन शव को परिजनों के कब्जे से लेकर उपोषण मंडप से हटा दिया. इस दौरान पुलिस और मृतका के परिजनों में तीखी झड़प भी हुई. इस समय मृतका की बेटी विजया उकर्डा ने प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि, हम छह महीने से न्याय की गुहार लगा रहे थे, लेकिन प्रशासन ने हमारी आवाज नहीं सुनी. हमने हर जगह न्याय मांगा पर किसी ने नहीं दिया. प्रशासन ने हमारे उपोषण को नजरअंदाज कर दिया.
साथ ही साथ विजया उकर्डा ने शव को अपने कब्जे में लेने का प्रयास करने के साथ ही अपनी मां की अंतिम यात्रा अपने पुराने घर से ही निकालने का ऐलान भी किया. ऐसे में विजया उकर्डा के तेवरों को देखते हुए प्रशासन की भी सांसे फूल गई और प्रशासन ने पुलिस के जरिए विजया उकर्डा से संपर्क करते हुए उनकी निवासी उपजिलाधीश अनिल भटकर के साथ मुलाकात करवाई. जिन्होंने विजया उकर्डा को समझा-बुझाकर शांत किया तथा पोस्टमार्टम की प्रक्रिया पूर्ण होने देने और अपनी मां का ससम्मान अंतिम संस्कार करने हेतु मनाया. जिसके बाद तनाववाली स्थिति कुछ हद तक कम हुई. समाचार लिखे जाने तक शांताबाई उकर्डा का शव जिला शवागार में ही रखा हुआ था. जहां पर पोस्टमार्टम की प्रक्रिया शुरु होनी थी. जिसके बाद शव को अंतिम संस्कार हेतु उसके परिजनों के हवाले किया जाएगा.





