‘उस’ मृतक महिला का आज तीसरे दिन भी नहीं हुआ अंतिम संस्कार
मृतका की बेटी ने अदालत में सौंपा दो पन्नों का शिकायती पत्र

* अपने कब्जे से मां का शव छिननेवाले पुलिस कर्मियों पर कार्रवाई की उठाई मांग
अमरावती /दि.15- अनुकंपा तत्व पर नियुक्ति सहित खुद को अपने अधिकार वाला घर मिलने की मांग को लेकर विगत करीब 6 माह से जिलाधीश कार्यालय के सामने अपनी बेटी के साथ लगातार धरना आंदोलन कर रही शांताबाई उकर्डा नामक 75 वर्षीय महिला की विगत सोमवार को अनशन स्थल पर ही मौत हो गई थी. जिसके बाद उक्त महिला की बेटी विजया उकर्डा ने अपनी मां के शव को जिलाधीश कार्यालय के प्रवेशद्वार के समक्ष रखकर जबरदस्त हंगामा करना शुरु किया था. जिसके बारे में पता चलते ही पुलिस ने शव को अपने कब्जे में लेकर उसे जिला शवागार में सुरक्षित रखवाया था. जहां पर आज लगातार तीसरे दिन भी वह शव जस का तस रखा हुआ है और मृतक महिला की बेटी ने खुद को इंसाफ मिलने तक अपनी मां के शव का अंतिम संस्कार नहीं करने का निर्णय लिया है. जिसके चलते उक्त महिला का शव अब भी शवागार में ही रखा हुआ है और उस पर अब तक अंतिम संस्कार नहीं किया जा सका.
इसी बीच मृतक महिला की बेटी विजया उकर्डा ने आज स्थानीय अदालत पहुंचकर अपने वकील के मार्फत दो पन्ने का शिकायती पत्र दायर किया. जिसमें पुलिस अधिकारियों को लेकर गंभीर आरोप लगाते हुए उसके कब्जे से उसकी मां के शव को छीननेवाले पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग उठाई गई. जिस पर पुलिस अधिकारियों का कहना रहा कि, उन्होंने तो मृतक महिला के शव की विडंबना होने से रोकने हेतु ही शव को अपने कब्जे में लेकर जिला शवागार में सुरक्षित तरीके से रखवाया था अन्यथा जिलाधीश कार्यालय के प्रवेशद्वार पर खुले में पडे रहने के चलते उक्त महिला के शव के सडने और उसमें से दुर्गंध उठने का खतरा बना हुआ था. साथ ही अदालत को यह भी बताया गया कि, मृतक महिला की बेटी विजया उकर्डा की निवासी उपजिलाधीश से मुलाकात कराते हुए इस मामले में आवश्यक कार्रवाई करने का आश्वासन दिया गया है और विजया उकर्डा को मां के शव का अंतिम संस्कार करने हेतु समझाया-बुझाया भी गया है. परंतु इसके बावजूद विजया उकर्डा अपनी मां के शव का अंतिम संस्कार करने हेतु तैयार नहीं हो रही.
बता दें कि, शांताबाई उकर्डा के पति मनपा की सेवा में थे, जिनका सेवाकाल के दौरान आकस्मिक निधन होने के चलते शांताबाई उकर्डा ने खुद को अपने पति की जगह अनुकंपा तत्व पर मनपा की सेवा में लिए जाने हेतु आवेदन किया था. परंतु शांताबाई को मनपा में नौकरी नहीं मिली. जिसके बाद शांताबाई ने आरोप लगाया कि, उनके स्थान पर किसी अन्य को नियमों का उल्लंघन व आर्थिक लेन-देन करते हुए नौकरी दे दी गई है. साथ ही उन्हें उनके घर से भी बेदखल कर दिया गया है. यह आरोप लगाने के साथ ही शांताबाई ने करीब 6 माह पहले अपनी बेटी के साथ जिलाधीश कार्यालय के समक्ष धरना आंदोलन व श्रृंखलाबद्ध अनशन करना शुरु किया था. जहां पर विगत सोमवार को शांताबाई ने दम तोड दिया. जिसके बाद से इस पूरे मामले को लेकर अच्छा-खासा हंगामा मचा हुआ है.





