सीएसआर निधी के इस्तेमाल के लिए नीति में संशोधन

इमारतो को अब नहीं दिया जा सकेगा दानदता का नाम

* स्वास्थ्य विभाग ने जांरी किया शासनादेश
मुंबई /दि.16 – प्रदेश सरकार के स्वास्थ्य विभाग ने कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (सीएसआर) निधी के इस्तेमाल के लिए नीति में संशोधन किया हैं. इसके अनुसार सीएसआर निधी से बनाई जाने वाली इमारातों, सुविधा अथवा स्थापना को दानदाताओ से संबंधित नाम नहीं दिया जा सकेगा. दानदता के योगदान का उल्लेख करने लिए विभाग की ओर से निश्चित पद्धती के तहत केवल शिलालेख बनाया जा सकेगा.राज्य के स्वास्थ्य विभाग की ओर से इस संबंध मेंं शासनादेश जांरी किया गया हैं.
सीएसआर निधि के उपयोग के लिए राज्य के स्वास्थ्य मंत्री प्रकाश आबीटकर की अध्यक्षता में 4 सदस्यीय नियामक समिति बनाई गई हैं. नियामक समिति सीएसआर के तहत 5 करोड रूपए से अधिक राशि वाले प्रस्तावो और परियोजनाओ को मान्यता प्रदान करेगी.नियामक समिति की तीन महिने में कम से कम एक बार बैठक आयोजित करना अनिवार्य होगा.

8 सदस्यीय कार्यकारी समिति गठित : राज्य के स्वास्थ्य विभाग के सचिव (1) डॉ. निपुण विनायक की अध्यक्षता में आठ सदस्यीय कार्यकारी समिति गठित की गई हैं. राज्य के स्वास्थ्य विभाग के सचिव (2) विरेंद्र सिंह कार्यकारी समिति के सह अध्यक्ष बनाए गए हैं. यह कार्यकारी समिति 5 करोड रूपए तक की परियोजनाओ को मान्यता देगी. साथ ही सीएसआर के तहत किए जाने वाले कामो के प्रबंधन और एक समानता के लिए आवश्यक प्रारूप तैयार करेंगी. सीएसआर के उपक्रम को लागू करने संबंधित निदेशालय, जिला, तहसील, मनपा और क्षेत्रीय कार्यलय के स्वास्थ्य अधिकारी से प्रभावी रूप से समन्वय स्थापित करेंगी सीएसआर के तहत बेहतर तरीके से काम करने के लिए राज्यस्तरीय समन्वय अधिकारी नियुक्त किए जाएंगे.

सीएसआर निधि का लक्ष्य और दायरा
सीएसआर के तहत विभिन्न उपक्रमो को लागू करने के लिए नीतिगत और कानूनी दायरा तय किया जाएगा. इसके सीएसआर उपक्रमो का नियोजन और मुल्यांकन सुसंगत और पारदर्शी तरीके से हो सकेगा. सीएसआर परियोजनाओ के जरीए स्थानीय स्तर पर रोजगार का सृजन और उद्यमिता को प्रोत्साहन दिया जाएगा.

निधि का यहां होगा इस्तेमाल
केंद्र सरकार ने कंपनी कानून- 2013 के तहत कंपनियो से मिलने वाली सीएसआर निधि का इस्तेमाल विभिन्न कामो के लिए किया जा सकेगा. सीएसआर निधि से गरीबी और कुपोषण व स्वास्थ्य सेवा को प्रोत्साहन, पीने के शुद्ध पानी की व्यवस्था, महिलाओं, बुजुर्गो, दिव्यांगो को व्यवसायिक कौशल्य बढाने पर जोर दिया जाएगा. महिला और अनाथ बच्चो के लिए घर व छात्रावास, वरिष्ठ नागरिको के लिए वृद्धाश्राम, डे केयर और अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराई जा सकेगी. पूर्व सैनिक, विधवा, आश्रित परिवारो को मदद के लिए उपाय योजना लागू कि जा सकेगीं. ग्रामीण खेल, राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त खेल, पैरालंपिक के लिए प्रोत्साहन दिया जा सकेगा.

 

 

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