मिट्टी के दीयो से सजे शहर के बाजार

डिजाइनर दियों की अच्छी-खासी चल रही मांग

* शहर में हर ओर सडक किनारे सजी दियों की दुकाने
अमरावती/दि.18 – कल 17 अक्तूबर को वसु बारस से ही दीपोत्सव पर्व का प्रारंभ हो गया और आज धनतेरस का पर्व मनाया जाना है. पांच दिवसीय दीपोत्सव में रोजाना ही प्रत्येक मकान व दुकान के सामने मिट्टी की दिये जलाने की परंपरा रहने के चलते प्रतिवर्षानुसार इस वर्ष भी शहर के विभिन्न इलाको में मिट्टी के दियों की विक्री हेतु अस्थायी दुकाने सज गई है. जहां पर मिट्टी से बने अलग-अलग आकार-प्रकार वाले दिये विक्री हेतु सज गए है. जिसमें से राजस्थानी पैटर्नवाले मिट्टी तथा चिनी मिट्टी से बने दिए सभी को खूब लुभा रहे हैं. इसके अलावा गुजरात के अहमदाबाद के डिजाइनर दिए भी ग्राहको की पहली पंसद बन चुके हैं.
बता दें कि, जारी सप्ताह में विगत सोमवार से ही बाजार में दिपावली की धूम मची हुई है. शहर के विविध स्थानो पर मिट्टी से बने आकर्षक तथा रंगबिरंगी दियो की दुकाने सजने लगी हैं. जहां मिट्टी के साधे दिए जो केवल लाल रंग से रंगे गए हैं    . उनकी किंमत 30 रूपए दर्जन से हैं. वहीं आकर्षक डिजाइन के साथ रंग रोगन किये गए दिये 70 से 80 रूपए प्रति दर्जन के दाम पर उपलब्ध है. इसके अलावा बाजार में दियो से बने लटकन तथा कंदील भी उपलब्ध हैं. जिनकी कीमत 150 से 250 रूपए तक हैें. इन सबके साथ ही हर साल की तरह इस साल भी लक्ष्मी के पैरों की छाप वाले दिए भी बाजार की शोभा बढा रहे है उन दियो की किंमत 60 रूपए से 150 रूपए जोडी तक हैं. इसके अलावा चिनी मिट्टी के दिए भी 60 रूपए के 4 दिए की रेंज मे उपलब्ध है. राजस्थानी व गुजराती पैटर्न का एक दिया 10 रूपए में बिक रहा हैं और इन दियो की जोडियां अथवा एक डजन दिए 120 से 200 रूपए की रेंज उपलब्ध है. वहीं इस बार राजस्थानी पैटर्न के आकर्षक साज सज्जा वाले दिए बाजार की शोभा बढा रहे हैं. जिसमे कछुए की पीठ पर पानी के बाउल जैसा आकार और उसके चारों ओर दिए के प्रकार की कलाकृति खरीददारो को खूब लुभा रही हैं. इसके अलावा चार हाथी की कलाकृती भी विशेष आकर्षण का केंद्र बनी हैं. दियो की नई-नई डिजाइन लोागो को भा रही हैें. इन कुंडियो की कीमत 250 से 800 रूपए तक है. इसके साथ ही मिट्टी के घडे, जिसे मापुल भी कहा जाता है, वे भी 60 से 100 रूपए दर्जन के दाम पर बिक रहे है.

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