गोबर से बने दिये देंगे दिवाली में पर्यावरण बचाने का संदेश
वर्धा से प्रेरणादायी पर्यावरणीय पहल

वर्धा/दि.18 – दिवाली प्रकाश और ऊर्जा का त्योहार है, लेकिन पारंपरिक मिट्टी और मोम के दीयों से जहां वातावरण रोशन होता है, वहीं उनसे उठने वाला धुआँ पर्यावरण पर नकारात्मक प्रभाव भी डालता है. इसी चिंता को ध्यान में रखते हुए जीवरक्षक फाउंडेशन ने एक अनोखी पर्यावरण-संवर्धनकारी पहल शुरू की है. जिसके तहत गाय के गोबर से बने प्राकृतिक, शुद्ध और पवित्र दीये बनाए गए है, जो न केवल प्रदूषण रहित हैं बल्कि वातावरण को शुद्ध करने की क्षमता भी रखते हैं.
संस्था से जुड़े कार्यकर्ताओं के अनुसार, हिंदू धर्मग्रंथों में गाय को पूजनीय और गोमय (गाय के गोबर) को लक्ष्मी का निवास माना गया है. इसी परंपरा और वैज्ञानिक दृष्टिकोण को जोड़ते हुए फाउंडेशन ने गोमय दीये तैयार किए हैं, जिन्हें दिवाली पर जलाने पर वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा फैलती है, विषैली गैसों का शुद्धिकरण होता है, हवा में ऑक्सीजन का स्तर प्राकृतिक रूप से बढ़ता है और यह दीये पानी पर भी तैर सकते हैं. दीपावली के अवसर पर प्रत्येक घर तक यह शुद्ध और पवित्र गोमय पहुँचाने के उद्देश्य से फाउंडेशन ने यह उत्पादन शुरू किया है. जीवन रक्षक फाउंडेशन में तैयार किए गए इन दीयों की जबर्दस्त मांग देखी जा रही है.
गोमय से बने दियों की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह पूरी तरह प्राकृतिक और पर्यावरण हितैषी हैं, धुएं में विषैली गैसों का रिसाव नहीं होता, जले हुए दीये हवा को शुद्ध करते हैं, जलरहित संस्कार व दीपदान हेतु जल पर भी तैर सकते हैं, इन दीयों की बिक्री से अनाथ और घायल गौ-माता एवं अन्य पशुओं की देखभाल के लिए आर्थिक सहयोग भी जुटाया जाएगा.
जीवरक्षक फाउंडेशन के राकेश झाड़े ने नागरिकों से अपील की है कि इस दिवाली अधिक से अधिक संख्या में गोमय दीयों का उपयोग करें और पर्यावरण तथा गौ-सेवा को एक साथ सशक्त बनाएं.





