बच्चे की मौत का मुआवजा न्यूनतम वेतन के अनुसार देना जरुरी

हाईकोर्ट ने सडक हादसे में मृत बच्चे के अभिभावकों को दी राहत

* अभिभावकों की याचिका मंजूर कर सुनाया संशोधित फैसला
* मोटर वाहन दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण के फैसले को बदला
नागपुर/दि.20 – सडक हादसे में मृत हुए नाबालिग बच्चे के भविष्य में मासिक आर्थिक आय को ग्राह्य मानने हेतु घटना के समय लागू रहनेवाले न्यूनतम वेतन के नियम पर विचार करना और उसके आधार पर बच्चे के परिजनों को नुकसान भरपाई अदा करना आवश्यक है, इस आशय का महत्वपूर्ण निर्णय मुंबई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ के न्यायमूर्ति महेंद्र चांदवानी द्वारा दिया गया.
जानकारी के मुताबिक गोंडपिंपरी निवासी घनश्याम धोदरे नामक 13 वर्षीय बच्चे की वर्ष 2012 में ट्रक द्वारा जोरदार टक्कर मार दिए जाने के चलते मौत हो गई थी. घनश्याम के परिवार में माता-पिता व एक बहन का समावेश है. हादसे के बाद धोदरे परिवार ने मृत्यु दावा मिलने हेतु चंद्रपुर के मोटर वाहन दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण के समक्ष अपील दायर की थी और उस समय न्यायाधिकरण ने दुर्घटना में मृत नाबालिग बच्चे की भविष्य में मासिक आर्थिक आय को मात्र ढाई हजार रुपए ग्राह्य मानते हुए 5 लाख 5 हजार रुपए की नुकसान भरपाई को मंजूर किया था. जिसके चलते घनश्याम के परिजनों ने नागपुर हाईकोर्ट में याचिका दायर कर नुकसान भरपाई की रकम को बढाए जाने की मांग की थी. इस याचिका को मंजूर करते हुए अदालत ने सुनवाई के दौरान कहा कि, न्यायाधिकरण ने घटना के समय प्रचलित रहनेवाले न्यूनतम वेतन के नियमों पर विचार नहीं किया. घटना के समय कुशल, अल्प कुशल व अकुशल कामगारों के लिए 3,800 रुपए से लेकर 7,500 रुपए के न्यूनतम वेतन का नियम था. ऐसे में हाईकोर्ट ने घनश्याम का मासिक वेतन 5 हजार रुपए प्रति माह ग्राह्य माना और घनश्याम के परिजनों हेतु 10 लाख 50 हजार रुपए की नुकसान भरपाई मंजूर की. साथ ही बढाई गई रकम 8 फीसद ब्याज सहित 26 दिसंबर तक घनश्याम के परिजनों को अदा करने का निर्देश न्यू इंडिया इन्शुरंस कंपनी के नाम जारी किया. इस मामले में याचिकाकर्ता धोदरे परिवार की ओर से एड. एस. ओ. अहमद ने सफलतापूर्वक पैरवी की.

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