आखिर रेत तस्करी का मास्टरमाइंड कौन?
मोर्शी व वरुड के तहसीलदारों की चुप्पी संदेहास्पद

* रेत तस्करी का कन्हान से लेकर अमरावती तक फैला है कनेक्शन
* आरटीओ सहित तीन तहसील व पांच पुलिस थानों में पहुंचता है ‘नजराना’
अमरावती /दि.20 – रेत तस्करी के अवैध व्यवसाय की जडे काफी गहरे तक जमी हुई है और मध्य प्रदेश के कन्हान से अमरावती तक रेत तस्करी का कनेक्शन व नेटवर्क फैला हुआ है. साथ ही मोर्शी एवं वरुड के तहसीलदारों के आशीर्वाद से रेत तस्करी का यह खेल चल रहा है. जिसके पीछे ‘सचिन’ नामक व्यक्ति मुख्य मास्टरमाइंड है, जो आरटीओ, राजस्व एवं पुलिस विभाग तक नियमित रुप से ‘नजराना’ पहुंचाता है. जिसके चलते ‘सबकुछ ओके’ की तर्ज पर रेत तस्करी का काम बिना दिक्कत चल रहा है. जिसमें रोजाना ही रेत तस्करों द्वारा करोडों रुपयों का आर्थिक व्यवहार किया जा रहा है.
बता दें कि, जिलाधीश आशीष येरेकर के निर्देशानुसार ‘जीरो रॉयल्टी’ को बंद कर दिया गया. ताकि रेत की अवैध ढुलाई व रेत तस्करी पर लगाम लगाया जा सके, परंतु वरुड के उपविभागीय अधिकारी द्वारा जिलाधीश के निर्देशों की अनदेखी करते हुए ‘सचिन’ नामक रेत तस्कर को प्रशासनिक संरक्षण दिया जा रहा है. एसडीओ द्वारा ही रेत तस्करी को हरी झंडी दिए जाने के चलते मोर्शी एवं वरुड के तहसीलदारों ने भी ‘आती लक्ष्मी’ को स्वीकार करने की भूमिका अपनाई है तथा रात में होनेवाली रेत तस्करी को मौन सहमती देते हुए रेत तस्करों के लिए ‘खुला रास्ता’ छोड दिया है.
इस बारे में जानकारी एवं प्रतिक्रिया के लिए संपर्क साधने का प्रयास किए जाने पर मोर्शी-वरुड के एसडीओ प्रदीप पवार ने कोई विशेष प्रतिसाद नहीं दिया, यह सबसे खास बात है.
* दिन में दिखावे के लिए वाहनों की जांच
सीमावर्ती नाकों पर दिन के समय वाहनों की जांच-पडताल की जाती है और प्रशासन द्वारा यह नौटंकी करते हुए शालेय वाहनों की भी तलाशी व पडताल की जाती है. परंतु रात के समय उन्हीं रास्तों व चेकपोस्ट से होकर धडल्ले के साथ रेत लदे वाहन गुजरते है. इसे लेकर जिलाधीश आशीष येरेकर द्वारा खोज अभियान चलाए जाने पर राजस्व महकमे में दिये के नीचे रहनेवाला अंधेरा साफ दिखाई देगा.
‘जीरो रॉयल्टी’ बंद रहने के बावजूद रेती लदे वाहन सडकों पर कैसे?
प्रशासन द्वारा ‘जीरो रॉयल्टी’ को बंद कर दिए जाने के बावजूद रेत की अवैध ढुलाई करने हेतु रोजाना ही सैकडों वाहन सडकों पर दौडते रहते है. रेती घाट से होनेवाली रेत की यह ढुलाई पूरी तरह से अवैध व नियमबाह्य रहने के बावजूद इसे पुलिस, आरटीओ व राजस्व विभाग का अभय प्राप्त है. रेत तस्करों से अपने काले रंग के थार वाहन के जरिए ‘सचिन’ द्वारा ही वसूली किए जाने की विश्वसनीय जानकारी है. जिसके चलते आरटीओ व एलसीबी के उडनदस्तों पर भी ‘सचिन’ का ही साम्राज्य रहने की खुलेआम चर्चा चल रही है.
* आरटीओ, तीन तहसीलदार व पांच पुलिस थानों की ‘बल्ले-बल्ले’
मध्य प्रदेश के कन्हान स्थित रेती घाट से रेत लदा वाहन बाहर निकलने के बाद पांढुर्णा पुलिस को ‘नजराना’ अदा करता है. जिसके बाद अमरावती की ओर रेत तस्करी की यात्रा शुरु होती है. जिसके तहत शेंदूरजनाघाट, बेनोडा शहीद, मोर्शी, नेर, लेहगांव व नांदगांव पेठ पुलिस थानों की हदों को पार करते हुए अवैध रेत लदे वाहन शहर पुलिस आयुक्तालय की सीमा में बिना किसी दिक्कत धडल्ले के साथ लाए जाते है और इस दौरान रेत लदे वाहनों द्वारा आरटीओ की चेकपोस्ट सहित तीन तहसील कार्यालयों की सीमा को पार किया जाता है. जाहीर है कि, इसके लिए रेत तस्करों द्वारा संबंधितों को भी निश्चित तौर पर ‘नजराना’ पेश किया ही जाता है. जिसके चलते आरटीओ सहित तीन तहसीलदारों व पांच पुलिस थानों की भी जमकर चांदी कट रही है और संबंधित अधिकारियों की जबरदस्त ‘बल्ले-बल्ले’ भी हो रही है.





