विधायकों के सामने साख बढाने का आवाहन

जिला परिषद और पंचायत समिति चुनाव

* पहले हो सकते हैं पालिका चुनाव
* सभी जनप्रतिनिधि लगे अपने-अपने क्षेत्र में काम से
अमरावती/दि.24 – स्वयं मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस द्वारा मुंबई को छोडकर प्रदेश के अन्य भागों में स्थानीय निकाय चुनाव अपने बल पर लडने के संकेत पश्चात अब पहले पालिका चुनाव होने की संभावना बलवती हुई है. इस बीच पालिका हो या जिला परिषद सर्कल वर्तमान जनप्रतिनिधियों अर्थात विधायकों और सांसदों की अपने-अपने क्षेत्र में साख बनाए रखने की चुनौती निकाय चुनाव के बहाने रहने का दावा किया जा रहा है. बता दें कि गत विधानसभा चुनाव में महायुति ने पुराने सभी कीर्तिमान भंग करते हुए 7 विधानसभा क्षेत्रों में जीत दर्ज की थी.
इन्हीं विधायकों सुलभा खोडके, प्रताप अडसड, प्रवीण तायडे, राजेश वानखडे, रवि राणा, उमेश यावलकर, गजानन लवटे तथा केवलराम काले पर अब प्रदर्शन कायम रखने की जिम्मेदारी है. जिला परिषद की 59 सीटों का आरक्षण तय हो गया है. आरक्षण के बावजूद प्रत्येक सर्कल में प्रत्येक पार्टी के पास 2-3 इच्छुक रहने से पार्टी पशोपेश में आने की गुंजाइश है.
* प्रत्येक क्षेत्र में 5-6 सर्कल
अमरावती जिला परिषद की विधानसभानिहाय बात करे तो अमरावती छोडकर 7 क्षेत्रों में जिला परिषद के 5-6 सर्कल समाहित है. विधायकों पर अपने-अपने सर्कल पर पार्टी या गठबंधन प्रत्याशी को विजयी बनाने की चुनौती रहेगी. पालकमंत्री चंद्रशेखर बावनकुले अनेक अवसर पर दावा कर चुके हैं कि, 51 प्रतिशत वोट लेकर महायुति की निकाय चुनाव में भी जोरदार विजय होनेवाली है.
* खोडके पर दायित्व
अमरावती जिले में राजनीतिक समीकरण पिछले वर्ष के लोकसभा चुनाव पश्चात बदलने शुरु हो गए थे. विधानसभा चुनाव में महायुति ने बाजी पलट दी थी. लोकसभा में मविआ के बलवंत वानखडे सफल रहने से कांग्रेस और सहयोगी दल कान्फीडंट थे. विधानसभा चुनाव के परिणाम घोषित होते ही महायुति विशेषकर बीजेपी के नेता बल्लियों उछले. पहली बार जिले से एक साथ बीजेपी के 5 विधायक चुने गए. अब इन विधायकों पर ही अपने-अपने क्षेत्र में पालिका और जिला परिषद तथा पंचायत समिति के चुनावों में पार्टी को जोरदार सफलता दिलाना है. विधायक संजय खोडके पर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी अजीत पवार का सारा दारोमदार है. खोडके जिला परिषद में बेहतरीन प्रदर्शन के लिए प्रयासरत है.
* गठजोड का भी समीकरण
चुनाव के समीकरण गठजोड होने या न होने पर काफी कुछ निर्भर होने की भाषा की जा रही है. किंतु बीजेपी के तीनों जिलाध्यक्ष डॉ. नितिन धांडे, रविराज देशमुख, प्रभुदास भिलावेकर के साथ पदाधिकारी कॉन्फीडंट नजर आ रहे हैं. अगले सप्ताह मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस अमरावती आनेवाले हैं. जिसके बाद निकाय चुनाव का बिगुल बज सकता हैं. सूत्रों की माने तो पालिका चुनाव की आचारसंहिता पहले अमल में आ सकती है, क्योंकि सर्वप्रथम पालिका चुनाव का ही कार्यक्रम घोषित होना है. इसके बाद मिनी मंत्रालय का नंबर आएगा.
* नगराध्यक्ष सीधे जनता से
तहसील मुख्यालयों में पालिका स्थित है, जहां नगराध्यक्ष का चुनाव सीधे जनता से कराए जाना है. ऐसे में विधायकों पर अपने क्षेत्र में पकड साबित करने का आवाहन है. नगराध्यक्ष का चुनाव विधायक समकक्ष बताया जा रहा है. जिससे विधायकों को अपनी पार्टी में साख बढाने के वास्ते अपने नगर से पार्टी का ही नगराध्यक्ष और बहुमत लाना अनिवार्य जैसा हो गया है.
* विपक्ष का हाल
जिले में विपक्ष की बात करे तो वह संघर्ष की हालत में है. सांसद बलवंत वानखडे के नेतृत्व में मविआ के पास शिवसेना उबाठा के गजानन लवटे एकमात्र विधायक है. उनके दर्यापुर क्षेत्र में जिला परिषद के 5 सर्कल आते हैं. सभी पर शिवसेना का प्रभाव अभी से माना जा रहा है. सांसद वानखडे इस क्षेत्र से मिनी मंत्रालय में भी प्रतिनिधित्व कर चुके है, अत: उन्हें भी प्राप्त अनुभव से आघाडी को फायदा हो सकता है. तीन बार विधायक रही पूर्व मंत्री यशोमति ठाकुर के तिवसा के साथ-साथ अगल-बगल के मिनी मंत्रालय के सर्कलो में भी अपना प्रभाव के इस्तेमाल का आवाहन रहेगा. महायुति के गठजोड के इस चुनाव में फिलहाल अनिश्चितता बताई जा रही है. ऐसा ही आलम मविआ में भी बना हुआ है. वहां भी तीनों पार्टियां कांग्रेस, राष्ट्रवादी शरद पवार, शिवसेना उबाठा के साथ लडने या न लडने पर असमंजस बना हुआ है.
जो भी हो निकाय चुनाव में जिले के तीनों सांसद डॉ. अनिल बोंडे, बलवंत वानखडे, अमर काले, 11 विधायक धीरज लिंगाडे, किरण सरनाईक, संजय खोडके, सुलभा खोडके, प्रताप अडसड, रवि राणा, उमेश यावलकर, प्रवीण तायडे, राजेश वानखडे, केवलराम काले, गजानन लवटे आदि पर अपने-अपने क्षेत्र में जनता पर पकड कायम रहने का प्रदर्शन का जिम्मा रहेगा. इसके लिए अधिकांश जनप्रतिनिधि काम से लग गए है. पार्टी स्तरों पर बैठकों के दौर चल रहे हैं. अगले सप्ताह ही आचारसंहिता अमल में आने की प्रबल संभावना बताई जा रही है.                                                                                                                                                    पिछली बार का ब्यौरा
कुल सीटें 59
कांग्रेस – 24
भाजपा- 14
शिवसेना – 8
प्रहार- 6
बसपा- 2
अन्य – 5
धामणगांव में 10 सर्कल
धामणगांव विधानसभा क्षेत्र में एक सीट कम होने के बावजूद जिला परिषद के अभी भी सर्वाधिक 10 सर्कल समाहित है. नांदगांव खंडेश्वर तहसील अंतर्गत 4 सर्कल रहने के साथ पिछले चुनाव में बसपा और भाजपा को एक- एक एवं कांग्रेस को दो स्थानों पर सफलता मिली थी. अन्य विधानसभा क्षेत्र में देखा जाए तो 5 -7 सर्कल है.

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