कृत्रिम नीति को दिया अंतिम रूप, जीआर जारी
निर्माण कार्यो में उपयोग को दिया जाएगा बढावा- बावनकुले

मुंबई/ दि. 29 – राजस्व मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने मंगलवार को कहा कि राज्य सरकार ने निर्माण कार्यो में कृत्रिम रेट (आर्टिफिशियल सैंड) के उपयोग को बढावा देने के लिए नई नीति को अंतिम रूप दे दिया है और इस संबंध में अधिकारिक आदेश जारी किया गया है. राजस्व मंत्री में सभी जिलाधिकारियों को भेजे गये पत्र में नीति के तत्काल कार्यान्वयन के निर्देश दिए हैं.
राजस्व विभाग द्बारा जारी नए प्रस्ताव के अनुसार सार्वजनिक और निजी दोनों तरह की भूमि पर एम -सैंड इकाइयों के लिए उपयुक्त स्थलों की जानकारी तैयार की जाएगी और महाखनिज पोर्टल पर नीलामी के लिए उपलब्ध कराई जाएगी. मंत्री ने कहा कि इन इकाइयों की स्थापना के लिए उपक्रम का पंजीकृत होना अनिवार्य रहेगा.
इससे पहले बावनकुले ने कहा था कि प्राकृतिक रेत के विकल्प के रूप में एम- सैंड को बढावा देना पर्यावरण संरक्षण के लिए आवश्यक है. उन्होंने कहा था. भविष्य में नदियों से रेत खनन को पूरी तरह से बंद करने के प्रयास जारी है. निर्माण कार्यो के लिए रेत की उपलब्धता सुनिश्चित करते हुए अवैध परिवहन पर अंकुश लगाना पर्यावरण की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है.
जिलाधिकारी दे सकेंगे 100 इकाइयों को मंजूरी
नई नीति के तहत सरकार ने कृत्रिम रेत या एम- सैंड (मैन्युफैक्चर्ड सैंड ) इकाइयों को मंजूरी देने के अधिकार जिलाधिकारियों को सौंप दिए हैं. अब वे 100 इकाइयों को मंजूरी दे सकेंगे. जबकि पहले यह सीमा 50 इकाइयों की थी. इससे कृत्रिम रेत उत्पादन सुचारू रूप से हो सकेगा.
* शर्तो के उल्लंघन पर रद्द होंगे लाइसेंस
बावनकुले ने कहा कि निर्धारित शर्तो का उल्लंघन करनेवाली एम- सैंड इकाइयों के लाइसेंस स्थायी रूप से रद्द कर दिए गये जाएंगे. उन्होंने कहा‘ मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) लागू होने के बाद अब नीति के कार्यान्वयन ’ में किसी तरह की बाधा नहीं रहेगी.





