राजनीति में अजातशत्रू व्यक्तित्व थे दादासाहेब

स्मारक भवन के लोकार्पण पर सीएम फडणवीस का कथन

* स्व. रा. सू. गवई के जीवन से जुडे विविध पहलुओं पर डाला प्रकाश
अमरावती/दि.30 – पूरा जीवन आंबेडकरी विचारों व बौद्ध धम्म के मूल्यों से जुडे रहनेवाले दिवंगत रिपाइं नेता व पूर्व राज्यपाल स्व. दादासाहेब गवई अपने-आप में एक सर्वसमावेशक व्यक्तित्व थे और राजनीति जैसे प्रतिस्पर्धा वाले क्षेत्र में सक्रिय रहने के बावजूद भी दादासाहेब गवई का कभी कोई शत्रू नहीं रहा. जिसके चलते स्व. दादासाहेब गवई को एकतरह से महाराष्ट्र सहित देश के राजनीतिक क्षेत्र में अजातशत्रू कहा जा सकता है, जिनके विचार एवं जीवनकार्य हमारे सहित आनेवाली कई पीढियों को प्रेरणा देते रहेंगे, इसी बात को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार द्वारा जिला प्रशासन के सहयोग से अमरावती में दादासाहेब गवई की स्मृतियों को संजोये रखने हेतु भव्य-दिव्य स्मारक व स्मृति भवन का निर्माण किया गया है. जिसका आज दादासाहेब गवई की 96 वीं जयंती पर उद्घाटन होते देखना हम सभी के लिए सौभाग्य वाली बात है, इस आशय का प्रतिपादन राज्य के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस द्वारा किया गया.
स्थानीय मार्डी रोड पर संत गाडगेबाबा अमरावती विद्यापीठ के ठीक पीछे करीब 10 एकड क्षेत्रफल वाले परिसर में निर्मित स्व. दादासाहेब गवई स्मारक भवन का आज दोपहर राज्य के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के हाथों समारोहपूर्वक लोकार्पण व उद्घाटन किया गया. इस अवसर पर अपने विचार व्यक्त करते हुए सीएम फडणवीस ने स्व. दादासाहेब गवई के जीवन से जुडे विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डालने के साथ-साथ दादासाहेब गवई के साथ जुडी अपनी यादों को भी ताजा किया. इस अवसर पर बतौर प्रमुख अतिथि स्व. दादासाहेब गवई के बडे सुपूत्र व देश के मुख्य न्यायमूर्ति भूषण गवई सहित राज्य के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे व अजीत पवार, राजस्व मंत्री व जिला पालकमंत्री चंद्रशेखर बावनकुले, नगर विकास व सामाजिक न्याय राज्यमंत्री माधुरी मिसाल, राज्यसभा सांसद डॉ. अनिल बोंडे, सांसद बलवंत वानखडे व अमर काले, विधान परिषद सदस्य किरण सरनाईक, धीरज लिंगाडे व संजय खोडके, विधायक रवि राणा, सुलभा खोडके, प्रताप अडसड, केवलराम काले, प्रवीण तायडे, राजेश वानखडे, उमेश उर्फ चंदू यावलकर व गजानन लवटे, संभागीय आयुक्त डॉ. श्वेता सिंघल, जिलाधीश आशीष येरेकर, मनपा आयुक्त सौम्या शर्मा व जिप सीईओ संजीता महापात्रा व पूर्व मंत्री प्रवीण पोटे पाटिल बतौर प्रमुख अतिथि उपस्थित थे.
इस अवसर पर सीएम देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि, स्व. दादासाहेब गवई अपने पीछे एक बेहद प्रगल्भ राजनीतिक व सामाजिक विरासत को छोड गए है, जिन्हें उनकी अर्धांगिनी प्रा. डॉ. कमलताई गवई, सीजेआई भूषण गवई व रिपाइं नेता डॉ. राजेंद्र गवई सहित गवई परिवार के सभी सदस्य एवं दादासाहेब के सभी समर्थक बडी कुशलता के साथ आगे बढा रहे है. साथ ही सीएम फडणवीस ने यह भी कहा कि, सन 1964 से 1994 तक लगातार 30 वर्ष विधान परिषद का हिस्सा रहनेवाले दादासाहेब गवई ने विधान परिषद में सदस्य, नेता प्रतिपक्ष, उपसभापति व सभापति जैसे सभी पदों की जिम्मेदारी संभालते हुए प्रत्येक पद से जुडी जिम्मेदारी को एक नई उंचाई तक पहुंचाया. साथ ही देश के प्रथम कृषिमंत्री डॉ. पंजाबराव देशमुख के खिलाफ अपना पहला लोकसभा चुनाव लडनेवाले दादासाहेब गवई आगे चलकर 30 वर्ष बाद अमरावती के सांसद भी निर्वाचित हुए. जिन्होंने आगे चलकर तीन-तीन राज्यों के राज्यपाल रहने का कीर्तिमान भी रचा. खास बात यह रही कि, अपनी पार्टी से विधान परिषद में अकेले सदस्य रहने के बावजूद दादासाहेब गवई के नाम पर अन्य सभी राजनीतिक दलों के सदस्यों द्वारा सहमति बडी आसानी के साथ दिखाई जाती थी. क्योंकि वे वाकई एक करिश्माई व अजातशत्रू व्यक्तित्व थे.
इसके साथ ही सीएम फडणवीस ने यह भी कहा कि, दादासाहेब गवई का व्यक्तित्व जितना विराट व विशाल था, उसे देखते हुए उनके व्यक्तित्व की तरह उनके स्मारक भवन को भी बडे ही शानदार एवं भव्य-दिव्य तरीके से बनाया गया है, जहां पर दादासाहेब के साथ जुडी प्रत्येक स्मृति को बेहतरीन तरीके से संजोया गया है, ताकि उसके जरिए आनेवाली पीढियों को प्रेरणा मिलती रहे.
इस अवसर पर प्रास्ताविक जिलाधीश आशीष येरेकर व संचालन क्षीप्रा मानकर द्वारा किया गया.                                                        * दादासाहेब जैसा सपूत पाना अमरावती का सौभाग्य
– डेप्युटी सीएम अजीत पवार ने बताया करिश्माई नेतृत्व
वहीं इस अवसर पर अपने विचार व्यक्त करते हुए राज्य के उपमुख्यमंत्री अजीत पवार ने कहा कि, दादासाहेब गवई जैसे सपूत व अमरावती की पुण्यधरा ने जन्म दिया, यह अमरावती शहर सहित जिले के लिए गर्व एवं सौभाग्य की बात कही जा सकती है. क्योंकि दादासाहेब गवई जैसे लोग सदियों में कभी-कभार पैदा होते है और आज यह हम सभी का सौभाग्य है कि, हमें दादासाहेब गवई की यादों से जुडे स्मारक भवन के लोकार्पण व उद्घाटन का मौका मिल रहा है. इसमें भी यह दुग्धशर्करा योग है कि, किसी समय राज्य के मुख्यमंत्री रहते हुए सीएम फडणवीस ने ही इस प्रकल्प को मंजूरी देते हुए इस स्मारक भवन का भूमिपूजन किया था, तब दादासाहेब गवई के बेटे भूषण गवई हाईकोर्ट में न्यायमूर्ति हुआ करते थे और आज तीसरी बार राज्य के मुख्यमंत्री पद का जिम्मा संभालने वाले सीएम फडणवीस के हाथों ही इस स्मारक भवन का लोकार्पण व उद्घाटन हो रहा है. साथ ही इस समय दादासाहेब गवई के बडे बेटे सीजेआई भूषण गवई देश के मुख्य न्यायमूर्ति है. साथ ही गवई परिवार के सदस्यों द्वारा दादासाहेब गवई की विरासत को सफल तरीके से आगे बढाया जा रहा है. जिसके परिणामस्वरुप आज दादासाहेब गवई के इतने चाहनेवाले यहां पर जमा है.

* कर्तृत्व से अपने नेतृत्व को सिद्ध व साबित किया था दादासाहेब ने
– डेप्युटी सीएम शिंदे ने गवई के व्यक्तित्व को बताया प्रेरक
दादासाहेब गवई स्मारक भवन के लोकार्पण व शुभारंभ अवसर पर अपने विचार व्यक्त करते हुए राज्य के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा कि, बेहद सामान्य पृष्ठभूमि एवं बिना किसी राजनीतिक पार्श्वभूमि से निकले दादासाहेब गवई ने अपने कर्तृत्व से अपने नेतृत्व को सिद्ध व साबित किया था. जिसके बाद उनके नेतृत्व कौशल व प्रशासकीय क्षमताओं का सभी ने लोहा माना था. डेप्युटी सीएम शिंदे ने दादासाहेब गवई के जीवन प्रसंगों एवं उनके विचारों को सभी के लिए बेहद प्रेरक बताते हुए दादासाहेब गवई की स्मृतियों का अभिवादन किया.


सभी के लिए उपयोगी रहेगा स्मारक
देश के प्रधान न्यायाधीश जस्टीस भूषण गवई ने रासु गवई स्मारक के सभी के लिए उपयोगी रहने का ऐलान किया. जस्टीस गवई ने कहा कि दादासाहब और बाबासाहब के आर्शीवाद से वे देश के कमजोर वर्ग के लोगों के लिए महत्वपूर्ण न्यायनिवाडा कर सके है. उन्होंने कहा है कि, सोशल इकोनॉमिक जस्टीस का पाठ उन्होंने पिता दादासाहब से पढा और जीवन में अपनाया. उन्होंने कहा कि संगाबा अमरावती विश्वविद्यालय के लिए यह वास्तु अत्यंत उपयोगी रहेगी. जस्टीस गवई ने दादासाहब गवई के 1962 से लेकर अनेक वर्षों की चुनाव परंपरा और घटनाओं का उल्लेख कर पुरानी स्मृतियोें को ताजा किया. उन्होंने अमरावती विश्वविद्यालय की स्थापना में तीनों के बहुमूल्य योगदान का जिक्र कर दादासाहब गवई, प्रा. बीटी देशमुख और देवीसिंह शेखावत के नामोल्लेख किए. उन्होंने गवई स्मारक के डेडलाइन में तैयार हो जाने के लिए राज्य शासन से लेकर प्रशासनिक अधिकारियोें, लोकनिर्माण विभाग और सभी संबंधितों का गौरवपूर्ण उल्लेख कर बिल्डर नितीन गभने, उनके पुत्र ऋषिकेश गभने का भी खासतौर से जिक्र व कौतुक किया. शिवाजी शिक्षण संस्था द्बारा मुख्यमंत्री देवेंंद्र फडणवीस के आभार में लगाए गए पोस्टर्स और उसमें लिखे नारे बोले जैसा चाले देवाभाउ का संबोधन में उल्लेख कर पुरानी इलेक्शन समय की घटनाओं को याद किया. उन्होेंने कहा कि आज शिवाजी संस्था के अध्यक्ष भैयासाहब देशमुख के पिता की दादासाहब गवई से चुनावी टक्कर हुई थी.. किंतु दोनों के संबंधो में कभी कडवाहट न रही. सीजेआई जस्टीस के संबोधन में एक-एक अधिकारी और कारीगर, स्मारक और स्मरणिका प्रकाशन में योगदान करनेवाले प्रत्येक का नाम लिया गया जिससे उपस्थित बडे अभीभुत हुए. उन्होंने कहा कि वर्तमान जिलाधीश आशीष येरेकर ने जहां डेडलाइन में स्मारक का काम पूर्ण करवाया, वहीं विभागीय आयुक्त डॉ. श्वेता सिंघल, मनपा आयुक्त सौम्या शर्मा, सीईओ संजीता महापात्र और लोनिवि व बिजली विभाग के अधिकारियो का भी योगदान है. पूर्व कलेक्टर सौरभ कटियार ने काम को आगे बढाने का उल्लेख जस्टीस गवई ने किया. सभी के प्रति आभार व्यक्त किया.

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