युवाओं को बढिया मौका, दस्त पंजीयन में निजीकरण

आउट सोर्सिंग के नाम पर सरकार की बडी पहल

* अमरावती में कुछ माह बाद होंगे निजी कार्यालय प्रारंभ
* प्रापॅर्टी लेन- देन में नहीं लगना होगा लाइनों में
अमरावती/ दि. 31- दस्त पंजीयन के लिए शासन को हजारों करोड का राजस्व देने के बावजूद कतारों में लगना पडता है. घंटों का समय बरबाद होता है. सरकार ने अपने पंजीयन कार्यालय बढाने की बजाय आउट सोर्सिंग के नाम पर निजी संस्था- प्रतिष्ठान को दस्त पंजीयन का कार्य देने का निर्णय किया है. दो सप्ताह पहले राज्य मंत्रिमंडल की हुई बैठक में उपरोक्त क्रांतिकारी निर्णय किया गया. जिससे कुछ महीनों बाद अमरावती में भी निजी प्रतिष्ठान में दस्त का पंजीयन हो सकेगा. मुंबई, पुणे जैसे बडे शहरों में तत्काल यह योजना क्रियान्वित की जा रही है. किंतु इससे पंजीयन करानेवालों को पॉकेट हल्की करनी पडेगी.
अतिरिक्त शुल्क देना होगा
दस्त पंजीयन का निजीकरण करने का निर्णय किया गया है. जिससे खरीदार अथवा विक्रेता को पंजीयन के लिए कतारों में नहीं लगना पडेगा. उसी प्रकार अन्य सुविधा भी वहां उपलब्ध हो सकती है. किंतु इसके लिए अतिरिक्त शुल्क अदा करने पडेंगे. पहले ही राज्य में रेडी रेकनर की दरों से 8 प्रतिशत अधिक शुल्क पंजीयन के लिए देना पडता है. सूत्रों ने अमरावती मंडल को बताया कि प्रति दस्त पंजीयन के वास्ते 6 हजार रूपए तक अधिक शुल्क अदा करना होगा.
क्या कहते हैं मुद्रांक जिलाधिकारी
मुद्रांक जिलाधिकारी अनिल औतकर ने स्पष्ट किया कि दस्त पंजीयन के लिए ग्राहकों को कतारों में नहीं लगना होगा. पंजीयन तेजी से होगा. पूरी प्रक्रिया पारदर्शी होगी. सेवा गुणवत्तापूर्ण होगी. उन्होंने बताया कि शासन प्रशासन की सोच के अनुरूप निजी पंजीयन केन्द्र पर प्रतीक्षागृह, प्रसाधन, पेयजल, जलपान और अन्य सुविधाएं प्रदान करनी होगी.
दो चरणों में साठ दफ्तर
आउट सोर्सिंग के नाम पर निजी कंपनियां व्यक्ति को प्रॉपर्टी के सौदे दर्ज करने का काम दिया जाना है. बडे शहरों के लिए इस बाबत निविदा और सूचनाएं जारी हो गई है. अमरावती तथा अकोला जैसे शहरों में निजी पंजीयन कार्यालयों की स्थापना दूसरे चरण में हो सकती है. इसके लिए बताया जा रहा है कि निजी कार्यालय में संपत्ति खरीदी, विक्री, मारगेज, किराया, विरासत पत्र, अनुबंध का पंजीयन हो सकेगा. जिसके कारण उपनिबंधक कार्यालयों पर होनेवाली भीड छंटेगी.
57 हजार करोड का राजस्व
प्रदेश को प्रॉपर्टी सौदे से सर्वाधिक राजस्व प्राप्त होता है. बीते वित्त वर्ष में भी 55 हजार करोड का लक्ष्य दिया गया था. हकीकत में 57422 करोड राजस्व वसूली हुई जो दिए गये उद्देश्य से 105% रही. इस बीच प्रशासन ने स्पष्ट कर दिया कि निजी दस्त पंजीयन कार्यालयों पर सहायक निबंधक और लिपिक का नियंत्रण रहेगा. भवन, संगणक, सॉफ्टवेयर, साफ सफाई, चाय पान और अन्य आवश्यक सुविधाओं की पूर्ति होगी.

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