आलोचना करना आसान, लेकिन काम करने वालों की सराहना भी जरूरी

सीजेआई गवई ने सीएम फडणवीस और राज्य सरकार की खुले मंच से की प्रशंसा

अमरावती/दि.31 – भारत के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति भूषण गवई ने अपने कार्यकाल के अंतिम सार्वजनिक कार्यक्रम में महाराष्ट्र सरकार और मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की खुलकर प्रशंसा की. अमरावती में आयोजित अपने पिता दादासाहेब गवई के स्मारक के लोकार्पण समारोह में उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने न्यायपालिका के लिए अत्यंत सुंदर और आधुनिक भवन तैयार किए हैं, जिसके लिए वे महाराष्ट्र सरकार और लोकनिर्माण विभाग को बधाई देना चाहते हैं.
अमरावती में हुए इस लोकार्पण समारोह में सीजेआई भूषण गवई के साथ मंच पर मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, उपमुख्यमंत्री अजित पवार, और मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे उपस्थित थे. सीजेआई गवई 23 नवंबर को सेवानिवृत्त होने वाले हैं. अमरावती उनका जन्मस्थान होने के कारण यह समारोह उनके कार्यकाल के अंतिम महत्वपूर्ण कार्यक्रमों में से एक रहा, जिसमें सीजेआई गवई ने बताया कि, 25 जुलाई 2018 को इस स्मारक का भूमिपूजन तय था. उस समय देवेंद्र फडणवीस मुख्यमंत्री थे, परंतु तेज़ बारिश के कारण उनका विमान अमरावती में उतर नहीं सका. बाद में 30 अक्टूबर 2018 को स्मारक की नीव रखी गई थी. जिसके बाद वे दिल्ली चले गए और 2019 में फडणवीस मुख्यमंत्री नहीं रह सके. पश्चात वर्ष 2018 के बाद महाराष्ट्र की राजनीति में कई परिवर्तन हुए तथा एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री बने और फडणवीस उपमुख्यमंत्री के रूप में फिर से सरकार में आए.
सीजेआई गवई के मुताबिक शायद नियति की यही इच्छा थी कि जब देवेंद्र फडणवीस फिर से मुख्यमंत्री बनें, तभी मेरे पिता के स्मारक का उद्घाटन हो. इस समय राज्य सरकार की कार्यप्रणाली की सराहना करते हुए गवई ने कहा कि, कुछ लोग अक्सर यह आलोचना करते हैं कि महाराष्ट्र सरकार न्यायपालिका की आवश्यकताओं की अनदेखी करती है. लेकिन वे यह स्पष्ट रूप से कहना चाहता हूं कि मैंने अपने कार्यकाल में महाराष्ट्र के विभिन्न जिलों में कई न्यायालय भवनों का उद्घाटन किया है. भारतरत्न डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर के जन्मस्थान पर भी न्यायालय भवन का लोकार्पण हुआ है. इसलिए वे राज्य सरकार और लोकनिर्माण विभाग का हार्दिक अभिनंदन करते है. इस समय उन्होंने यह भी कहा कि आलोचना करना आसान होता है, परंतु अच्छे काम की प्रशंसा करना भी उतना ही आवश्यक है.
बता दें कि, देश के मुख्य न्यायमूर्ति भूषण गवई ने मई माह में भारत के 51वें सरन्यायाधीश का पद संभाला था. उन्होंने अपने कार्यकाल में कई बार महाराष्ट्र का दौरा किया और हर बार राज्य शासन के साथ न्यायपालिका के सहयोग की भावना को रेखांकित किया. पहली बार मुंबई आगमन पर प्रोटोकॉल में हुई चूक पर उन्होंने असंतोष ज़रूर जताया था, लेकिन बाद में लगातार उन्होंने राज्य शासन की संवेदनशीलता और न्यायिक अधोसंरचना के विकास की सराहना की. साथ ही अब सीजेआई भूषण गवई का यह वक्तव्य न केवल उनके व्यक्तिगत और भावनात्मक जुड़ाव को दर्शाता है, बल्कि न्यायपालिका और शासन के बीच सहयोगपूर्ण संबंधों की मिसाल भी पेश करता है. उनकी इस सकारात्मक टिप्पणी से प्रशासनिक तंत्र और न्यायिक संस्थानों के बीच आपसी समन्वय को नई दिशा मिलने की उम्मीद है.

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