अब इच्छुकों की निगाहें नेताओं के ‘शब्द’ पर

‘एक अनार, सौ बीमार’ वाली है स्थिति

* हर सीट के लिए एक से अधिक इच्छुक मैदान में
* नेताओं ने हर एक को टिकट का दिया है आश्वासन
अमरावती /दि.4 – एक लंबे इंतजार के बाद आखिरकार आज राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा नगर परिषद व नगर पंचायत चुनाव को लेकर घोषणा कर दी गई. जिसके चलते चुनाव लडने की इच्छा रखनेवाले दावेदारों में काफी हद तक उत्साह वाला माहौल है. जिसमें से अलग-अलग राजनीतिक दलों से वास्ता रखनेवाले इच्छुकों की यह ‘टेंशन’ भी शुरु हो गई है कि, आखिर उन्हें उनकी पार्टी की ओर से अधिकृत प्रत्याशी बनने का मौका और टिकट मिलते भी है अथवा नहीं, क्योंकि जिले की नगर परिषदों व नगर पंचायतों की हर एक सीट के लिए एक से अधिक दावेदार मैदान में है. जिसके चलते ‘एक अनार, सौ बीमार’ वाली स्थिति है. साथ ही साथ मजेदार बात यह भी है कि, राजनीतिक दलों से वास्ता रखनेवाले दूसरी पंक्ति के कार्यकर्ताओं को उनके नेताओं ने नगर परिषद व नगर पंचायत सहित जिला परिषद व पंचायत समिति के चुनाव में टिकट दिलाने का ‘शब्द’ दे रखा है. जिसके चलते अब राजनीतिक दलों से वास्ता रखनेवाले इच्छुकों की निगाहें अपने-अपने नेताओं की ओर से दिए गए शब्द पर टिकी हुई है.
बता दें कि, जिले में स्थानीय निकायों के चुनाव करीब 4 साल बाद होने जा रहे है. इस दौरान कोविड संक्रमण व ओबीसी आरक्षण जैसे विभिन्न मुद्दों के चलते स्थानीय निकायों के चुनाव लगातार आगे टलते रहे और जिले के स्थानीय स्वायत्त निकायों में प्रशासक राज का दौर चलता रहा. जिसके चलते चुनावों को लेकर प्रतीक्षा काफी लंबी होती रही और अब जब चुनाव की घोषणा हुई है, तो मैदान में एक साथ कई दावेदार दिखाई देने लगे है, जो विगत लंबे समय से चुनाव लडने की तैयारी में जुटे हुए थे और विगत एक-डेढ वर्ष से लगातार अपने जनसंपर्क अभियान में जुटे हुए थे. इसी दौरान राजनीतिक दलों से वास्ता रखनेवाले सभी दावेदार अपने-अपने दलों के नेताओं के समक्ष खुद को टिकट मिलने हेतु जमकर लॉबिंग व फिल्डींग भी कर रहे थे. जिन्हें उनके नेताओं द्वारा आश्वस्त किया गया था कि, इस बार उन्हें चुनाव लडने का मौका जरुर मिलेगा. लेकिन चूंकि एक-एक सीट पर हर राजनीतिक दल के पास एक से अधिक दावेदार है. तो ऐसे में अब यह देखना दिलचस्प होगा कि, नेताओं द्वारा किस कार्यकर्ता को दिया गया ‘शब्द’ फलिभूत होता है और किस कार्यकर्ता के नाम पर टिकट की लॉटरी खुलती है.

* आरक्षण से हर कोई पहले ही हैरान-परेशान
यहां यह भी उल्लेखनीय है कि, नगर परिषद व नगर पंचायत के प्रभागों सहित जिला परिषद व पंचायत समितियों के गट व गण के आरक्षण का ड्रॉ निकलने के बाद कई इच्छुकों को मायूसी का सामना करना पड रहा है. क्योंकि वे जिस सीट से चुनाव लडने की तैयारी में थे, वह सीट किसी प्रवर्ग या संवर्ग के लिए आरक्षित हो गई है. ऐसे में उन्हें या तो उसी सीट पर अपने घर के किसी व्यक्ति अथवा समर्थक को चुनाव लडाना पडेगा या फिर खुद चुनाव लडने हेतु खुद के लिए कोई सुविधाजनक सीट देखनी होगी. वहीं एक टेंशनवाला मसला अब यह भी है कि, उन्हें उनके राजनीतिक दल की ओर से चुनाव लडने हेतु टिकट मिलती भी है अथवा नहीं.

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