संत कंवरराम के नाम पर बने यूनिवर्सिटी
साहित्यकार डॉ. विनोद आसुदानी ने कहां
* पूज्य सेवा मंडल कंवर नगर में भगति परंपरा व सेमिनार
* संत कंवरराम साहिब के शहादत दिवस पर आयोजन
अमरावती /दि.5 – अमर शहीद संत कंवरराम साहिब के नाम पर बने यूनिवर्सिटी ऐसा प्रस्ताव ख्याति प्राप्त साहित्यकार व रामदेव बाबा इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के इग्लीश के प्रोफेसर डॉ. विनोद आसुुदानी ने रखा वे राष्ट्रीय सिंधी भाषा विकास परिषद (केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के अतंर्गत), महाराष्ट्र राज्य सिंधी साहित्य अकादमी, विदर्भ सिंधी भाषा विकास परिषद तथा महिला मंच केे सहयोग से संत कंवरराम साहिब के शहादत दिवस पर पुज्य सेवा मंडल कंवर नगर में आयोजित ‘भगति परंपरा व संत कंवरराम’ विषय पर हुए सेमिनार के अध्यक्ष के तौर पर बोल रहे थे.
डॉ. आसुदानी ने कहां कि संत कंवरराम साहिब द्वारा गाए भजनों में रूहानी सूफियानी अंदाज था. उनकी ओज भरी आवाज सुनते तो लगता हैं कि ईश्वरीय आवाज हैें. कार्यक्रम के आरंभ में ब्रम्हलीन संत साई पुज्य चांण्डूराम साहिब को मौन श्रद्धांजलि अर्पित की गई. कार्यक्रम का उद्घाटन संत कंवरराम साहिब के गद्दीनशीन संत साई राजेशलाल साहिब ‘कंवर के करकमलो द्वारा की किया गया’ इस समय शिवधारा आश्रम के संत साई डॉ. संतोष महाराज प्रमुख रूप से उपस्थित थे.
सेमिनार के प्रथम सत्र की अध्यक्षता विदर्भ सिंधी भाषा विकास परिषद के राष्ट्रीय कार्यकारिणी अध्यक्ष डॉ. विकी रूघवानी ने की. तथा स्वागत अध्यक्ष के तौर पर विदर्भ सिंधी भाषा विकास परिषद के संरक्षक व प्रतिदिन अखबार के संस्थापक संपादक नानक आहुजा मंच पर व साहित्यकार जेको लालवानी, राष्ट्रीय कार्यकारिणी के महासचिव पीटी दारा, के राष्ट्रीय महिला मंच अध्यक्षा शोभा भागियां, महा.रा.सा.अ.के. पूर्व सदस्य नानकराम नेभनानी, पूर्व सदस्य तुलसी सेतिया, पूर्व सदस्य डॉ. रोमा बजाज, महाराष्ट्र राज्य सिंधी साहित्य अकादमी के सौरभ शिंदे व यादव, एड. वासुदेव नवलानी, पूज्य पंचायत रामपुरी कैम्प के अध्यक्ष डॉ. इंदरलाल गेमनानी, पूज्य पंचायत कंवर नगर के महासचिव राजा नानवानी, विदर्भ सिंधी विकास परिषद के कार्याध्यक्ष सुरेंद्र पोपली, महासचिव पंडित दीपक शर्मा, पूर्व पार्षद बलदेव बजाज, बारूमल बत्रा, भाजपा शहर महिला आघाडी अध्यक्षा सुधा तिवारी, उपाध्यक्षा आशा चावला, विदर्भ सिंधी विकास परिषद महिला मंच अध्यक्षा राजकुमारी झांबानी, महासचिव नेहा धामेचा कार्यक्रम में उपस्थित थे.
द्वितीय सत्र की अध्यक्षता डॉ. विनोद आसुदानी ने कि इस अवसर पर साहित्यकार जेटो लालवानी ने भगति को परत्मामा की भक्ति का मार्ग बताया, भगति मे गायकी, नृत्य, नाटक, कथा संवाद आते हैं. भगत की वेशभूषा, भगति में गाए जाने राग रागिनिया व भगति को लोकनृत्य के अंतर्गत लिया जाता हैं. संत कंवरराम साहिब पैरों में पांच-पांच किलो के घुंगरू बांधकर भगति करते थे. ऐसे विभिन्न पहलुओं पर उन्होेंने प्रकाश डाला. वहीं डाली साहित्य पुरस्कार से सम्मानित तुंलसी सेतिया ने भगति परंपरा को प्राचीन कला बताते हुए इस बात की जानकारी दी. कि पूज्य शदाणी दरबार के तत्कालीन गद्दीनशीन संत तनसुखराम साहिब ने संत खोताराम साहिब को जामा, पगडी व घुंगरू दिए और भगति परंपरा को बढावा देने की बात कहीं
इसी परंपरा को संत सतरामदास के उपरांत संत कंवरराम साहिब ने जन जन तक पहुंचाया महशुर साहित्यकार डॉ. संध्या कुंदनानी के शोध पत्र को राजकुमारी झांबानी ने पढा. अनिल भगत ने संत कंवरराम साहिब के भजनोे को गाकर सबको नचाया. भगति परंपरा को देश विदेश में पहुंचाने वाले अनिल भगत ने संत कंवरराम साहिब के द्वारा गाए हुए भजनों को भगताने अंदाज में गाया.छेर बांधकर, नाच नाच कर गाया और सभी को खुब नचाया. छोटे,बडे, बुजुर्ग तथा माता बहने भी अपने कदमो कोे थिरकने से रोक नहीें पाए. अत्यंत आकर्षण का केंद्र बनी गई. भगति में भगत थावर ने साथ दिया.
सिंधी ताल के जानकार लखनउ से पधारे तबला वादक पवन केवलानी ने संगत की. संगीत सयोजन गिरीश नारायण व उनकी टीम का था. अतिथियोें का स्वागत मोहनलाल मंधानी, आत्माराम पुरसवानी, गिरीश अरोरा, नानकराम मूलचंदानी, डेटाराम मनोजा, जुगनू गलानी, शंकरलाल बत्रा, नेहा धामेचा, उषा हरवानी, आशा नानवानी, मंजू आडवानी, आशा मखवानी, महक सोजरानी, महक सोनी, भावना चावला, हेमा बुधलानी ने किया. कार्यक्रम का संचालन संस्था की उपाध्यक्षा मंजू आडवानी ने किया व आभार पंडित दीपक शर्मा ने माना कार्यक्रम का समापन पल्लव के उपरांत राष्ट्रगीत से हुआ सभी भक्तो को पुरी- छोला- साबुदाना खिचडी का प्रसाद के रूप में वितरण किया.





