बाघ प्रकल्प में आवारा कुत्तों का डेरा
वन्यजीवों की सुरक्षा में बाधा

* कचरा और जूठे खाद्य पदार्थ धोकादायक
मेलघाट/ दि. 5 – मेलघाट सहित विदर्भ की बाघ संरक्षण परियोजनाओं में आवारा कुत्तों का आना जाना बढा है. जिसके कारण वन्यजीवों की सुरक्षा और संवर्धन में बाधा आ रही है. बाघ प्रकल्प क्षेत्र संचालक ने इसे गंभीर बताकर वरिष्ठ अधिकारियों को इसकी जानकारी दी है. रिपोर्ट में कहा गया है कि बाघों सहित जंगली जानवरों को संक्रमण हो सकता है.
* 500 से अधिक बाघ
विदर्भ में मेलघाट, पेंच, बोर, टीपेश्वर, उमरेड कन्हांडला, ताडोबा, अंधारी, नवेगांव- नागझिरा प्रकल्पों में बाघों की संख्या 500 से अधिक हो गई है. ताडोबा में क्षमता से अधिक बाघ हो गये हैं. वे आसपास के जिलों में टहलते रहते हैं. साथ ही बाघ प्रकल्पों के पास स्थित गांवों से आवारा कुत्ते जंगल में सीमा तक आ जाते हैं. इसके कारण बाघ, तेंदुआ और अन्य वन्यजीवों के संवर्धन और संरक्षण की समस्या खडी हो गई है.
* क्या कहते हैं मुख्य वन संरक्षक
प्रधान मुख्य वन संरक्षक एमएस रेड्डी ने कहा कि बाघ प्रकल्पों अथवा बाहर बाघ द्बारा आवारा कुत्तों के शिकार की कोई घटना सामने नहीं आयी हैं. तेंदुआ जरूर कुत्ते का शिकार करता हैं. उसे आदत होती है. शहर के सीमावर्ती भागों में तेंदुए देखे जा रहे हैं. बाघ प्रकल्पों में आवारा कुत्तों के दिखाई देने पर ठोस उपाय करने की बात रेड्डी ने कही.
* हो सकता है रोग
इस बीच महापालिका के पशु संवर्धन अधिकारी डॉ. सचिन बोंद्रे ने आशंका जताई कि बाघ द्बारा कुत्ते का शिकार करने की स्थिति में बाघ को कैनाइन, रेबीज हो सकता है. तेंदुआ भी ऐसी घटना में गंभीर बीमारी की चपेट में आ सकता है. उधर वनाधिकारियों ने जंगलों की सीमा के गांवों पर लक्ष्य केन्द्रित किया है.





