15 लाख की रिश्वत लेते ही लगाया जज को फोन
न्याय देनेवाले न्यायाधीश ही फँसे भ्रष्टाचार जाल में

* मझगांव सत्र न्यायालय की घटना
* लिपिक पकडा गया था रिश्वत लेते रंगेहाथ
* अब न्यायाधीश के खिलाफ भी केस दर्ज
मुंबई/दि.13 – भ्रष्टाचार निरोधक विभाग (एसीबी) ने मुंबई के मझगांव स्थित दिवाणी सत्र न्यायालय के लिपिक को 15 लाख रुपये की रिश्वत लेते हुए रंगेहाथ गिरफ्तार किया है. गिरफ्तारी के तुरंत बाद लिपिक ने संबंधित अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश को फोन कर इस बात की जानकारी दी, जिस पर न्यायाधीश ने भी रकम स्वीकारने की सहमति दी. इस प्रकरण के बाद एसीबी ने मंगलवार को लिपिक के साथ-साथ न्यायाधीश के खिलाफ भी भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत अपराध दर्ज किया है. न्याय देने वाले न्यायाधीश के खुद कानुनी शिकंजे में फंसने से पूरे अदालत परिसर में जबर्दस्त हडकंप व्याप्त हैं. इस संदर्भ में मिली जानकारी के मुताबिक गिरफ्तार आरोपी लिपिक का नाम चंद्रकांत हनमंत वासुदेव (40 वर्ष) बताया गया है. न्यायालय ने उसे पाँच दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया है.
एसीबी के अनुसार, शिकायतकर्ता की पत्नी की कंपनी के स्वामित्व वाली एक संपत्ति पर जबरन कब्जा करने का विवाद वर्ष 2015 से अदालत में लंबित है. यह मामला 2024 में मझगांव सत्र न्यायालय में स्थानांतरित किया गया था. 9 सितम्बर 2025 को जब शिकायतकर्ता अदालत में उपस्थित था, तब लिपिक वासुदेव ने उससे संपर्क साधा. उसने कहा कि न्यायाधीश के माध्यम से उसके पक्ष में निर्णय करवाने के लिए 25 लाख रुपये देने होंगे, जिनमें 10 लाख स्वयं के लिए और 15 लाख न्यायाधीश के लिए माँगे गए. बार-बार रिश्वत की माँग से परेशान होकर शिकायतकर्ता ने 10 नवम्बर 2025 को एसीबी के समक्ष शिकायत दर्ज कराई. एसीबी द्वारा की गई पडताल में वासुदेव ने 15 लाख रुपये की राशि पर समझौता करते हुए रिश्वत लेने की सहमति जताई. इसके अनुसार 11 नवम्बर 2025 को एसीबी ने ट्रैप बिछाया और वासुदेव को रिश्वत की रकम लेते हुए रंगेहाथ पकड़ लिया. गिरफ्तारी के तुरंत बाद उसने न्यायाधीश एजाजुद्दीन सलाउद्दीन काझी (55 वर्ष) को फोन कर रिश्वत लेने की जानकारी दी, जिस पर न्यायाधीश ने भी सहमति व्यक्त की. इसी आधार पर दोनों के खिलाफ अपराध दर्ज किया गया.
इसके साथ ही गिरफ्तार लिपिक के खिलाफ कार्यवाही शुरू हो चुकी है. वहीं न्यायाधीश की गिरफ्तारी व उनके निवास की तलाशी के लिए अनुमति मांगी गई है. अनुमति मिलते ही एसीबी आगे की कार्रवाई करेगी. यहां यह विशेष उल्लेखनीय है कि इससे पहले भी वर्ष 2024 में सातारा में जिला सत्र न्यायाधीश धनंजय निकम व अन्य तीन लोगों के खिलाफ 5 लाख रुपये की रिश्वत के मामले में एसीबी ने कार्रवाई की थी. वह मामला जमानत अर्ज़ी को मंज़ूरी दिलाने के लिए रिश्वत माँगने से संबंधित था.
* अमरावती में भी पदस्थ रह चुके है न्या. काजी
उल्लेखनीय है कि इस समय मझगांव की दिवानी अदालत में अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश के तौर पर पदस्थ न्या. ए. एस. काजी करीब 2 वर्ष पहले अमरावती की जिला व सत्र अदालत में भी अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश के तौर पर कार्यरत रह चुके हैं और उनका अमरावती से ही मझगांव तबादला हुआ था. जहां पर वे अब भ्रष्टार से संबंधित मामले में फंस गए हैं. जिसके चलते मझगांव के साथ-साथ अमरावती में भी अमरावती की अदालत में भी इस खबर के चलते अच्छी खासी सनसनी मची हुई हैं.





