1 दिसं. को होगा मनपा के सफाई ठेके का भविष्य तय

अब हाईकोर्ट में पहुंच गया है मामला

* मनपा के नाम नोटिस के आदेश हुए है जारी
* पी. गोपीनाथ रेड्डी कंपनी ने दायर की है याचिका
* अन्य दोनों प्रतिस्पर्धीयों को निविदा हेतु बताया अपात्र
* कोणार्क कंपनी साबित हुई है निविदा में ‘एल-1’
* अर्बन एनवायरो कंपनी भी शामिल थी फाईनांशियल बिड में
अमरावती/दि.18 – अमरावती महानगर पालिका की ओर से अमल में लाई गई सफाई ठेके की निविदा प्रक्रिया से अंतिम चरण में स्पर्धा से बाहर हुई कर्नाटक की पी. गोपीनाथ रेड्डी कंपनी द्वारा बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ में दायर याचिका को सुनवाई हेतु स्वीकार करते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने गत रोज याचिका को सुनवाई हेतु स्वीकार करने के साथ ही इस मामले में प्रतिवादियों के नाम नोटिस जारी करने के आदेश दिए हैं. साथ ही न्यायालय ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 1 दिसंबर 2025 की तारीख निर्धारित की है और रजिस्ट्री विभाग को निर्देश दिया गया कि कोई भी लंबित आपत्तियाँ अगली तारीख से पहले दूर कर ली जाएँ. ऐसे में अब यह तय हो गया है कि, अमरावती मनपा द्वारा अमल में लाई जा रही सफाई ठेके की निविदा प्रक्रिया का भविष्य आगामी 1 दिसंबर को नागपुर हाईकोर्ट में होनेवाली सुनवाई पर निर्भर करेगा.
बता दें कि, पी. गोपीनाथ रेड्डी नामक कंपनी की ओर से जारी इस याचिका पर गत रोज न्यायमूर्ति अनिल एस. किलोर और न्यायमूर्ति रजनीश आर. व्यास की खंडपीठ के समक्ष सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अक्षय ए. नाइक उपस्थित रहे. वहीं राज्य सरकार की ओर से पेश हुए एजीपी एन. एस. राव ने प्रतिवादी क्रमांक 1 यानि राज्य सरकार की ओर से नोटिस की सेवा को स्वीकार कर लिया. जबकि अदालत ने अन्य प्रतिवादियों को निजी माध्यमों से नोटिस सेवा की अनुमति देते हुए कहा कि सेवा पूर्ण होने पर हलफनामा दाखिल किया जाए. ऐसा न करने की स्थिति में याचिकाकर्ता को 500 रुपये हाईकोर्ट गजेटेड ऑफिसर्स एसोसिएशन, नागपुर में जमा करने होंगे. पीठ ने स्पष्ट किया कि यदि किसी प्रकार का कार्यादेश जारी किया जाता है, तो वह इस रिट पिटिशन के अंतिम निर्णय के अधीन रहेगा.
बता दें कि कर्नाटक की पी. गोपीनाथ रेड्डी कंपनी ने बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ में याचिका दायर कर यह दावा किया है कि सफाई ठेके की प्रतिस्पर्धा में शामिल कोणार्क इन्फ्रास्ट्रक्चर और अर्बन एनवायरो सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट नामक दो प्रमुख कंपनियाँ पात्रता शर्तों पर खरी नहीं उतरतीं. अत: याचिकाकर्ता ने अदालत से निविदा प्रक्रिया पर तत्काल रोक लगाने की मांग की है. ज्ञात रहे कि, अमरावती मनपा ने शहर की सफाई व्यवस्था के लिए बड़े पैमाने पर ठेका जारी किया था, जिसे लेकर कई कंपनियों ने भागीदारी की. प्रारंभिक तकनीकी मूल्यांकन के बाद तीन कंपनियाँ प्रमुख दावेदार के रूप में कोणार्क इन्फ्रा, अर्बन एनवायरो तथा पी. गोपीनाथ रेड्डी कंपनी प्रमुख दावेदार के तौर पर मैदान में बची थीं. फाइनेंशियल बिड खुलने पर कोणार्क कंपनी सबसे कम बोलीदाता (‘एल-1’) साबित हुई थी. नियमों के अनुसार मनपा द्वारा कोणार्क को वर्क ऑर्डर जारी करने की प्रक्रिया आगे बढ़ रही थी, लेकिन तभी यह विवाद खड़ा हो गया. क्योंकि पी. गोपीनाथ रेड्डी कंपनी ने अपनी याचिका में गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि कोणार्क और अर्बन एनवायरो को पात्र घोषित करना नियमों के विरुद्ध है.
याचिकाकर्ता पी. गोपीनाथ रेड्डी कंपनी का दावा है कि दोनों कंपनियों की तकनीकी पात्रता संदिग्ध है, उन्होंने निविदा में आवश्यक दस्तावेज़ एवं अनुभव मानक पूर्ण नहीं किए, और मनपा ने इन कंपनियों को गलत तरीके से पात्रता प्रदान की. कंपनी का कहना है कि यदि पात्रता मानदंडों का सही मूल्यांकन किया जाता, तो दोनों कंपनियाँ रेस से बाहर रहतीं और निविदा प्रक्रिया का परिणाम अलग होता. ऐसे में पी. गोपीनाथ रेड्डी कंपनी की ओर से दायर याचिका पर हाईकोर्ट में हुई प्रारंभिक सुनवाई में न्यायालय ने राज्य सरकार सहित अमरावती मनपा को नोटिस जारी करते हुए दो सप्ताह के भीतर याचिका का उत्तर प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है. साथ ही मामले की अगली सुनवाई 1 दिसंबर को करना तय किया है, उस समय मनपा को यह स्पष्ट करना होगा कि कोणार्क और अर्बन एनवायरो को पात्र कैसे घोषित किया गया और क्या उनकी पात्रता प्रक्रिया नियमों के अनुरूप थी. ऐसे में अब सभी की निगाहें आगामी 1 दिसंबर को नागपुर हाईकोर्ट में पी. गोपीनाथ रेड्डी कंपनी की याचिका पर होनेवाली सुनवाई की ओर लगी हुई है. क्योंकि उस दिन हाईकोर्ट द्वारा जो आदेश जारी किया जाएगा, उस पर ही सफाई ठेके की निविदा प्रक्रिया का भविष्य तय होगा.
* टेक्नीकल बिड के बाद ही दो कंपनियों ने उठाई थी आपत्ति
बता दें कि मनपा द्बारा विगत 8 अक्तूबर को सफाई ठेके हेतु जारी निविदा सूचना के बाद पी. गोपीनाथ रेड्डी नामक कंपनी सहित अर्बन एनवायरो वेस्ट मैनेजमेंट लिमिटेड, कोणार्क इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड व आर एंड बी इन्फ्रा प्रेजेक्ट प्रा.लि नामक चार कंपनियों द्बारा के सफाई ठेके हेतु अपने निवदा प्रस्ताव पेश किए गए थे. जिसके उपरांत चारों कंपनियों की ओर से पेश दस्तावेजों की जांच पडताल करते हुए उनके निविदा प्रस्ताव के तकनीकी पक्ष मनपा की स्क्रुटनी कमिटी द्बारा जांचा गया था और आर एंड बी इन्फ्रा प्रा.लि को इस सफाई ठेके के काम हेतु तकनीकी आधार पर अयोग्य करार देते हुए निविदा प्रक्रिया से बाहर कर दिया गया था. जिसके चलते सफाई ठेके की रेस में शेष तीन कंपनियां बची है. ऐसे में टेक्निकल बिड के बाद सफाई ठेके की निविदा प्रक्रिया से बाहर हुई आर एंड बी इन्फ्रा नामक कंपनी ने रेस में रहनेवाली अन्य तीन कंंपनियों के तकनीकी पक्ष पर आपत्ति दर्ज कराते हुए दावा किया किया था कि वे तीनों कंपनियां के सफाई ठेके के काम हेतु पूरी तरह से योग्य नहीं है. ऐसे में उन तीनों कंपनियों के तकनीकी पक्ष की दूबारा जांच पडताल की जानी चाहिए. साथ ही उस जांच पडताल की रिपोर्ट भी साझा की जानी चाहिए.
खास बात यह थी कि, जहां एक ओर सफाई ठेके की तकनीकी बिड के पास निविदा प्रक्रिया से बाहर हो चुकी आर एंड बी इन्फ्रा कंपनी द्बारा फिलहाल निविदा प्रक्रिया में शामील तीन कंपनियों के तकनीकी पक्ष को लेकर आपत्ति उठाई गई है. वहीं दूसरी ओर मनपा के सफाई ठेके की प्रक्रिया में शामिल और टेक्निकल बिड के मानक पर खरा उतरने के बाद फाईनेंशियल बिड के लिए पात्र रहनेवाली पी. गोपीनाथ रेड्डी कंपनी ने भी अन्य प्रतिस्पर्धी कंपनियों के तकनीकी बिड को लेकर अपनी आपत्ति दर्ज कराई थी. जिसके बाद मनपा आयुक्त की अध्यक्षता वाली 10 सदस्यीय समिति ने दोनों आपत्तियों को सुनवाई पश्चात खारिज करते हुए 9 नवंबर को सफाई ठेके की निविदा प्रक्रिया के अंतिम चरण के तहत तीनों कंपनियों के फाईनेंशियल बिड वाले लिफाफे खोले. जिसमें कोणार्क कंपनी ‘एल-1’ साबित हुई थी. ऐसे में अब टेक्नीकल बिड के साथ-साथ फाईनेंशियल बिड पर भी सवालिया निशान उठाते हुए पी. गोपीनाथ रेड्डी कंपनी द्वारा सीधे हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई है. ऐसे में अब यह देखना दिलचस्प होगा कि, इस याचिका की वजह से जारी हुई नोटिस पर मनपा की ओर से हाईकोर्ट में क्या जवाब पेश किया जाता है.
* ऐसी थी मनपा की 10 सदस्यीय निविदा पडताल समिति
सफाई ठेके की निविदा पडताल हेतु मनपा आयुुक्त सौम्या शर्मा की अध्यक्षता के तहत गठित समिति में सदस्य के तौर पर अतिरिक्त आयुक्त शिल्पा नाईक उपायुक्त डॉ. मेघना वासनकर, मजिप्रा के अधीक्षक अभियंता संतोष गव्हाणकर, मनपा के शहर अभियंता रविंद्र पवार, मुख्य लेखाधिकारी दत्तात्रय फिस्के, मुख्य लेखा परीक्षक श्यामसुंदर देव, विधि अधिकारी श्रीकांतसिंह चौहान, कार्यशाला उपअभियंता स्वप्नील जसवंते, वैद्यकिय व स्वच्छता अधिकारी डॉ. अजय जाधव का समावेश था. जिनके द्बारा सफाई ठेके की रेस में शामिल कंपनियों की ओर से मिले निविदा प्रस्तावों के तकनीकी व आर्थिक पहलुओं की जांच पडताल की गई थी. साथ ही निविदा प्रक्रिया में शामिल कंपनियों की ओर से उठाई गई आपत्तियों पर भी सुनवाई की गई थी. इन सुनवाईयों के दौरान समिति ने दोनों कंपनियों की ओर से उठाई गई आपत्तियों को तथ्यहिन बताते हुए निविदा प्रक्रिया के पूरी तरह से सही, सटीक, निष्पक्ष व पारदर्शक होने का दावा कर फाईनेंशियल बिड की प्रक्रिया को आगे बढाया था. जिसके बाद कोणार्क कंपनी को ‘लोएस्ट वन’ पाया गया था. परंतु अब मनपा के इसी फैसले के खिलाफ पी. गोपीनाथ रेड्डी कंपनी सीधे हाईकोर्ट में पहुंच गई है. वहीं इससे पहले आर एंड बी इंफ्रा कंपनी ने भी इस मामले को लेकर हाईकोर्ट में जाने की बात कही थी.
* कैसे ‘एल-1’ बनी थी कोणार्क कंपनी
बता दें कि, करीब 245 करोड रुपए की लागत वाले सफाई ठेके की निविदा प्रक्रिया के तहत विगत 9 नवंबर अमरावती मनपा में फाइनेशियल बिड खोली गई थी. जिसके बाद यह जानकारी सामने आयी थी कि फाइनेंशियल बिड की रेस में शामील तीन कंपनियों में से मुंबई की कोणार्क इन्फ्रास्ट्रक्चर कंपनी ने पूरे शहर से कचरा संकलित करते हुए उसे अकोली व सुकली परिसर स्थित कंपोस्ट डिपो तक पहुंचाने हेतु 5 हजार 400 रुपए प्रति टन का रेट कोट किया है. वहीं सफाई ठेके की रेस में रहनेवाली कर्नाटक की पी. गोपीनाथ रेड्डी कंपनी द्बारा 7 हजार 627 रुपए व नागपुर की अर्बन एनवायरो कंपनी द्बारा 7 हजार 353 रूपए प्रति टन का रेट अपने निविदा प्रस्ताव में दिया गया है. जिसके चलते सबसे कम रेट देनेवाली कोणार्क इन्फ्रा कंपनी इस निविदा प्रक्रिया में ‘लोएस्ट वन’ यानी ‘एल-1’ साबित हुई. जिसका इस सफाई ठेके के काम पर दावा मजबूत हुआ था. लेकिन अब चूंकि अमरावती शहर की साफ सफाई के मुद्दे को लेकर नागपुर हाईकोर्ट के सामने मामला विचाराधीन है ऐसे में उस मामले का निपटारा होने तक वर्क ऑर्डर का काम प्रलंबित रहेगा. साथ ही सफाई ठेके हेतु अमल में लाई गई निविदा प्रक्रिया की पूरी जानकारी मनपा प्रशासन द्बारा नागपुर हाईकोर्ट को दी जाएगी. जिसके बाद अदालत की ओर से मिलनेवाले दिशा निर्देशों के आधार पर अगले कदम उठाए जाएंगे.

 

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