सभी दलों के सामने बगावत की चुनौती

वोटों के विभाजन का बना हुआ है खतरा

* बागियों को मनाने नेता लगे काम पर
* असंतुष्टों को मनाने का दौर शुरु
अमरावती /दि.20 – इस समय जिले में 10 नगर पालिकाओं व 2 नगर पंचायतों के चुनाव की वजह से राजनीतिक वातावरण जमकर तपा हुआ है. नामांकन दाखिल करने हेतु सोमवार को अंतिम दिन तक पार्टी की उम्मीदवारी नहीं मिलने के चलते अब कई बागी प्रत्याशी चुनावी मैदान में है. जिन्हें रोकने के लिए नेताओं ने अपने समर्थकों की फौज को काम पर लगा दिया है. जिसके तहत फिलहाल केवल बागी प्रत्याशियों की ताकत को लेकर अनुमान जताने का काम चल रहा है और बागियों को चुनावी मैदान से हटाने हेतु क्या कुछ किया जा सकता है, इसके पर्यायों पर विचार किया जा रहा है.
बता दें कि, कल 21 नवंबर को नामांकन पीछे लेने का अंतिम दिन है. ऐसे में खुद को टिकट नहीं मिलने के चलते कई दावेदारों ने निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर नामांकन दाखिल किया है. वहीं कुछ दावेदारों ने पार्टी के खिलाफ बगावत करने की बजाए किसी अन्य पार्टी में प्रवेश करते हुए उम्मीदवारी हासिल करने का पर्याय चुनाव है. जिसके चलते लगभग सभी निर्वाचन क्षेत्रों में वोटों के विभाजन का खतरा बना हुआ है. ऐसे में बागी व असंतुष्ट प्रत्याशियों की वजह से सभी नेताओं के माथे पर चिंता की लकिरे देखी जा रही है और बागियों को नियंत्रित कर वोटों के विभाजन को टालने का पूरा प्रयास किया जा रहा है.
ज्ञात रहे कि, दर्यापुर के पूर्व नगराध्यक्ष शिवानंद चव्हाण ने अपनी पत्नी के लिए टिकट नहीं मिलने के चलते कांग्रेस पार्टी को छोड दिया और शरद पवार गुट वाली राकांपा की ओर से नामांकन दाखिल किया. वहीं धारणी में भाजपा द्वारा उम्मीदवारी नहीं दिए जाने से नाराज होकर चार दावेदारों ने शिंदे गुट वाली शिवसेना की ओर से नामांकन दाखिल किया है. साथ ही नांदगांव खंडेश्वर में कांग्रेस के नेता व पूर्व नगराध्यक्ष अक्षय पारस्कर ने ऐन समय पर अपने समर्थकों सहित भाजपा में प्रवेश कर सभी को आश्चर्य का झटका दिया. साथ ही नांदगांव खंडेश्वर में भाजपा के भीतर भी बगावत देखी गई, जब भाजपा की सुरेखा चव्हाण ने निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर अपना नामांकन प्रस्तुत किया. उधर अचलपुर में भी भाजपा के कई असंतुष्ट दावेदारों ने बडे पैमाने पर निर्दलीय प्रत्याशियों के तौर पर नामांकन दाखिल किए है. जिसके चलते लगभग सभी स्थानों पर राजनीतिक समीकरण काफी हद तक बदलते नजर आ रहे है. ऐसे में अब सभी दलों के नेताओं द्वारा अपनी-अपनी पार्टियों के बागियों व असंतुष्टों को रोकने का प्रयास किया जा रहा है.
* बागियों को मनाने उनके नजदिकियों को लगाया गया काम पर
ज्ञात रहे कि, भाजपा ने निकाय चुनाव के लिए पहले ही अपने दम पर लडने की घोषणा की थी. जिसके चलते भाजपा ने सभी 10 नगर पालिकाओं व 2 नगर पंचायतों में नगराध्यक्ष पदों के साथ ही सदस्य पदों के लिए अपने प्रत्याशियों के नाम घोषित किए है तथा 2 निकाय क्षेत्रों में सदस्य पदों के लिए अजीत पवार गुट वाली राकांपा के साथ युति की है. जबकि महायुति में शामिल शिंदे गुट वाली शिवसेना सभी निकायों में अपने अकेले के दम पर चुनाव लड रही है. ठीक उसी तरह महाविकास आघाडी में शामिल तीनों दल भी अधिकांश स्थानों पर स्वतंत्र रुप से मैदान में उतरे है. हालांकि कांग्रेस ने मोर्शी, वरुड व शेंदूरजनाघाट में शरद पवार गुट वाली राकांपा तथा धारणी में शिवसेना उबाठा के साथ कुछ सीटों को लेकर गठबंधन किया है. परंतु इसके बावजूद भाजपा और कांग्रेस में ही सबसे अधिक बगावत देखी जा रही है. जिसके चलते दोनों ही पार्टियों के प्रमुख नेताओं ने बागी उम्मीदवारों के नजदिकी कार्यकर्ताओं को उन्हें मनाने के काम पर लगा दिया है. इस प्रयास में कितनी सफलता मिलती है, यह देखनेवाली बात होगी.

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