भाषा हमारी अर्जित संपदा हैं, इसलिए मन के निकट होती हैें

कुलपति कुमद शर्मा का प्रतिपादन

* महानुभावीय सांकेतिक ‘संकल लिपि’ अंतरराष्ट्रीय कार्यशाला का उद्घाटन
रिद्धपुर/दि.21 -भाषा हमारी अर्जित संपदा हैं, इसलिए मन के निकट होती हैं, वह हमारा स्वाभिमान बन जाती हैं. रिद्धपुर की भूमि पर श्रीचक्रधर स्वामी का कार्य व महानुभाव पंथ का कार्य देखती हुं तोें महानुभाव पंथ मराठी भाषा व संस्कृति पर कितना गर्व करता हैै, पंथ ने उसे संरक्षित करने व स्वाभिमान दिलाने का प्रण लिया हैं, यह हम सभी के लिए गौरव कि बात हैं, श्रीचक्रधर स्वामी ने अपनी ज्ञान संपदा को संरक्षित करने का इतना बडा बीडा उठाया था. और समाज को बहुत कुछ दिया. ऐसा प्रतिपादन महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा की कुलपति प्रो. कुमद शर्मा ने किया.
महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा के सर्वज्ञ श्री चक्रधर स्वामी मराठी भाषा तथा तत्वज्ञान अध्यन केंद्र, रिद्धपुर द्वारा गुरूवार कों महानुभावीय सांकेतिका ‘संकल लिपि’अध्ययन विषय पर आयोजित दो दिवसीय अंमरराष्ट्रीय कार्यशाला कें उद्घाटन सत्र में वह अध्यक्ष के तौर पर बोल रही थी. वहीें उद्घाटन समारोह में मुख्य अतिथी के रूप मेें ऑनलाइन माध्यम से उपस्थित हुए मराठी भाषा विश्वविद्यालय रिद्धपुर के कुलगुरू प्रो. अविनाश आवलगावकर ने अपने संबोधन में ‘संकल लिपि’ के अर्थ से परिचय करा कर महानुभाव तत्वज्ञान व ‘संकल लिपि’ के विकास पर अपनी बात रखी.
उद्घाटन समारोह के विशिष्ट अतिथी अखिल भारतीय महानुभाव परिषद के अध्यक्ष कविश्वर कुलाचार्य प.पू.प.म. श्री कारंजेकर बाबा ने कहां कि , आठ सौे साल पहले जिस लिपि का निर्माण किया गया और जिसका संशोधन व चिंतन अभी तक केवल संत ही कर रहें थे, आज उस लिपि का अध्ययन समाज कर रहा हैं, इसकी मुझे खुशी हैं. लोणार सरोवर की निर्मीति उल्का पात से हुई. यह बात सर्वज्ञ श्रीचक्रधर स्वामी ने आठ सोै साल पहले अपने महाराष्ट्र भ्रमण के दौरान बताई थी. यह बात कारंजेकर बाबा ने अपने वक्तव्य में बताई.
विशेष अतिथी के रूप में उपस्थित विश्वविद्यालय के आवासीय लेखक डॉ. भूषण भावे ने अपने संबोधन में रिद्धपुर जैसे आध्यात्मिक व पवित्र भूमि पर आना अपना सौभाग्य बताया. वहीं विश्वविद्यालय के कार्यकारी कुलसचिव कादर नवाज खान ने रिद्धपुर केंद्र के स्थापना से अभी तक के विकास पर अपनी बात रखी. तथा दर्शन एवं संस्कृति विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. जयंत उपाध्याय ने महानुभाव संप्रदाय के महात्म्य पर अपने विचार रखे इस अवसर पर आकाश गजभिये का नेट परीक्षा उत्तीर्ण होने पर तथा विषय विशेषज्ञ के रूप में चक्रधर कोठी व विशाल हिवरखेडकर का कुलपति महोदय द्वारा सत्कार किया गया हैं.
इस कार्यक्रम में विशाल हिवरखेडकर लिखित ‘श्री गोपिराज ग्रंथ संग्राहालय’, ‘हस्तलिखित साहित्याची ग्रंथ सूची’ व सहायक प्रोफेसर डॉ. अनवर अहमद सिद्धिकी द्वारा अनुवादित ‘कर्मयोगी गाडगेबाबा एक युग प्रवर्तक’ इन पुस्तोको का विमोचन तथा ‘संकल लिपि’ आधारित भित्ती पत्रिका का विमोचन कुलपति प्रो. कुमद शर्मा व कविश्वर कुलाचार्य प.पू.प.म. श्री कारंजेकर बाबा के हस्ते किया गया. कार्यशाला के उद्घाटन सत्र का स्वागत व प्रास्ताविक रिद्धपुर केंंद्र की प्रभारी तथा कायशाला की संयोजक डॉ. निता मेश्राम ने किया. तथा उद्घाटन सत्र का संचालन अनुवादक डॉ. स्वप्निल मून ने किया व आभार डॉ. नितीन रामटेके ने माना.
इस अवसर पर एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. राजेश लेहकपुरे, सहायक प्रोफेसर डॉ. अनिकेत आंबेकर, सहायक प्रोफेसर डॉ. अनवर अहमद सिद्धिकी, सहायक प्रोफेसर डॉ. अनिकेत मिश्र, महंत गोपिराज बाबा गुरूकुल आश्रम स्कूल के अध्यापक राजेंद्र कोहले, रिद्धपुर केंद्र के सहायक महेश राठोड, एमटीएस भूषण शिरभाते, सफाईकर्मी निखिल गजभिये और सुरक्षाकर्मी, रवींद्र ठाकरे, सहित पंकज हरणे, आकाश गजभिए, कुनाल हरणे, उज्वल गेडाम आदि उपस्थित थे.कार्यशाला के समापन सत्र की अध्यक्षता अखिल भारतीय महानुभाव परिषद के पूर्व अध्यक्ष आचार्य प्रवर महंत श्री नागराज बाबा करेंगे तथा प्रमुख अतिथी के रूप में रिद्धपुर केंद्र की प्रभारी डॉ. नीता मेश्राम तथा शोध अनुषंगी श्री चक्रधर कोठी व श्री विशाल हिवरखेडकर उपस्थित रहेंगे.

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