अमरावती में ‘शराब माफिया’ का आतंक

6 वाईन शॉप किराए से लेकर चला रहा नकली शराब का कारोबार

* कई वाईन शॉप में फर्जी बैच नंबर वाली नकली व अवैध शराब की हो रही आपूर्ति
* सरकार को रोजाना लग रही लाखों-करोडों रुपयों के राजस्व की चपत
* शराब कंपनियों सहित होलसेलरों की आंखों में भी धूल झोंक रहा ‘माफिया’
* शराब पीनेवाले लोगों के स्वास्थ्य के साथ भी नकली शराब के जरिए हो रहा खिलवाड
* एक बीयरबार संचालक की शिकायत से उजागर हुआ मामला, संबंधित महकमे की ‘चुप्पी’
अमरावती/दि.21 – इस समय अमरावती शहर सहित जिले में ‘शराब माफिया’ के तौर पर काम करनेवाले एक व्यक्ति ने नकली व अवैध शराब की विक्री एवं आपूर्ति का जबरदस्त नेटवर्क खडा कर रखा है. जिसके तहत इस व्यक्ति ने करीब 6 वाईन शॉप और उनके लाईसेंसो को किराए पर लेते हुए इन वाईन शॉप के जरिए परमीट रुम व बीयरबार में फर्जी बैच नंबरवाली अवैध व नकली शराब की आपूर्ति करने का काम चला रखा है. जिसके जरिए सरकार को रोजाना ही लाखों-करोडों रुपए के राजस्व का चूना लगाया जा रहा है. खास बात यह है कि, इस बात का खुलासा उस समय हुआ, जब संबंधित महकमें की ओर से कुछ परमीट रुम व बीयरबार पर मारे गए छापे के दौरान वहां से कुछ अलग ही बैच नंबरवाली शराब की बोतले पाई गई. जिसके बाद एक बीयरबार संचालक ने बाकायदा सामने आते हुए शराब की आपूर्ति करनेवाले व्यक्ति के खिलाफ उसके बीयरबार में नकली व अवैध शराब की आपूर्ति किए जाने की शिकायत दर्ज कराई. परंतु इस शिकायत के सामने आने के बावजूद संबंधित महकमें के अधिकारियों ने शराब की आपूर्ति करनेवाले व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई करने की बजाए आश्चर्यजनक तरीके से चुप्पी साध ली. जिसे लेकर अब चर्चाएं चल पडी है कि, इस मामले को दबाने के लिए उक्त शराब माफिया द्वारा जमकर ‘चिरीमिरी’ करते हुए संबंधित महकमें के अधिकारियों को जबरदस्त ‘मखाने’ भी बांटे गए. जिसके चलते मामले को दबाने का भी जमकर प्रयास हुआ.
बता दें कि, किसी भी कंपनी द्वारा उत्पादित की जानेवाली अलग-अलग ब्रांड की देशी-विदेशी शराब को कंपनियों द्वारा अपने होलसेलरों के गोदाम में भेजा जाता है. जहां से होलसेलर द्वारा ऑर्डर के मुताबिक बिल बनाते हुए सरकारी वेबसाइट से प्रत्येक बैच की शराब को आपूर्ति हेतु बाहर भेजने के लिए टोकन नंबर लिया जाता है, जिसे ‘टिपी पास’ कहा जाता है. इसके बाद ही सभी वाईन शॉप व बीयरबार में शराब की बोतलों की आपूर्ति की जाती है और हर बोतल पर बैच नंबर भी दर्ज रहता है. ऐसी बोतलों की विक्री करते समय उसकी जानकारी को कम्प्युटर पर ‘इनवाईस’ में दर्ज किया जाता है, जो सीधे वेबसाइट पर अपलोड हो जाती है. इसी बैच नंबर के आधार पर शराब की असलियत और उसकी गुणवत्ता का पता चलता है. परंतु इन सभी बातों को धता बताते हुए विगत कुछ वर्षों के दौरान ‘शराब माफिया’ के तौर पर काम कर रहे एक व्यक्ति ने शराब आपूर्ति की एक समांतर व्यवस्था ही खडी कर दी है. जिसके जरिए अमरावती शहर सहित जिले में धडल्ले के साथ फर्जी बैच नंबर वाली नकली व अवैध शराब की खुलेआम विक्री हो रही है. जिसकी वजह से सरकार को रोजाना ही लाखों रुपयों के राजस्व का नुकसान सहन करना पड रहा है. क्योंकि ऐसी शराब की खरीदी-विक्री का कोई पक्का हिसाब-किताब और रसीद भी नहीं होते.
* ऐसे चल रहा पूरा ‘गडबड झाला’
जानकारी के मुताबिक नागपुर एवं यवतमाल से वास्ता रखनेवाली दो बडी शराब कंपनियों में मैनेजर के तौर पर काम करनेवाले एक व्यक्ति ने अमरावती शहर में करीब 6 वाईन शॉप को किराए पर ले रखा है तथा उन्हें चलाने का जिम्मा अपने कुछ रिश्तेदारों को दे दिया है. इसके साथ ही इस व्यक्ति ने करीब 18 से 19 परमीट रुम व बीयरबार संचालकों को होलसेलर की बजाए अपने यहां से विक्री हेतु शराब खरीदने पर होलसेलर की तुलना में सस्ते दामों पर शराब उपलब्ध कराने की खुली ऑफर भी दे रखी थी. जिसके चलते कई परमीट रुम व बीयरबार के संचालकों ने होलसेलर के पास से शराब खरीदने की बजाए इस व्यक्ति की अलग-अलग वाईन शॉप से शराब खरीदनी शुरु की और परमीट रुम व बार संचालकों की ओर से दी जानेवाली ऑर्डर के मुताबिक उक्त व्यक्ति के अलग-अलग वाईन शॉप से माल की आपूर्ति की जाने लगी. परंतु इसी के बीच नकली व अवैध शराब की आपूर्ति का खेल चलना शुरु हुआ. जिसके तहत यदि किसी परमीट रुम या बार संचालक द्वारा किसी ब्रांड की 10 पेटी का ऑर्डर लिखवाया जाता था, तो उसे 2-3 पेटी माल असली बैच नंबर वाला भेजा जाता था. वहीं शेष पेटियों में शराब की बोतलों पर दर्ज रहनेवाले बैच नंबर पूरी तरह से फर्जी रहा करते थे. क्योंकि उन नंबरों की कोई टिपी पास नहीं हुआ करती थी और वे नंबर सरकारी वेबसाइट पर भी दर्ज नहीं हुआ करते थे.
* इन ब्रांडस् वाली शराब के नकली माल की हो रही थी धडल्ले से विक्री
जानकारी के मुताबिक शराब माफिया के तौर पर काम करनेवाले व्यक्ति द्वारा 300 से 350 रुपए तक खुदरा विक्री मूल्य यानि रिटेल प्राईज रहनेवाले ओसी-ब्ल्यू, एमडी नंबर-1, आरएस, आरसी, ओसी व ओल्ड मंक जैसे ब्रांड वाली शराब की क्वॉर्टर के नकली माल की जमकर आपूर्ति करने का काम शुरु किया गया है और इस व्यक्ति ने अपने द्वारा किराए पर ली गई 6 वाईन शॉप की आड लेते हुए छोटे-मोटे परमीट रुम व बीयरबारों में फर्जी बैच नंबर वाली शराब की आपूर्ति करनी शुरु की है. साथ ही साथ इस व्यक्ति द्वारा किराए पर ली गई वाईन शॉप से ही इसी तरह से फर्जी बैच नंबर वाली शराब की जमकर विक्री की जाती है. जिसके चलते सरकार को वैट व आबकारी शुल्क सहित अन्य सभी तरह के करों का सीधे और साफ तौर पर चूना लगाया जा रहा है. साथ ही साथ संबंधित कंपनियों को भी उनके ब्रांड के नाम पर नकली माल की विक्री होने की वजह से विक्री में घाटे व नुकसान का सामना करना पड रहा है. जिसके बारे में अब तक कंपनियों और उनके होलसेलरों को कानोकान कोई खबर भी नहीं थी.
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* ऐसे उजागर हुआ मामला
बता दें कि, शहर सहित जिले में होनेवाली शराब विक्री पर नजर रखने की जिम्मेदारी रहनेवाले महकमें के अधिकारियों द्वारा हमेशा ही सभी वाईन शॉप सहित परमीट रुम व बीयरबार में जाकर वहां के स्टॉक सहित विक्री रजिस्टर की जांच-पडताल की जाती है. इसी के तहत अभी हाल-फिलहाल ही संबंधित महकमें के अधिकारियों ने शहर में स्थित एक बीयरबार में जाकर वहां पर विक्री हेतु रखे शराब के स्टॉक की जांच की और शराब की बोतलों पर दर्ज बैच नंबरों का जब ‘इनवाईस’ के साथ मिलान करने का प्रयास किया गया, तो पता चला कि, शराब की बोतलों पर दर्ज बैच नंबर और ‘इनवाईस’ पर दर्ज बैच नंबर पूरी तरह से अलग-अलग है, यानि उक्त बार में फर्जी बैच नंबर वाली शराब की विक्री हो रही है. यह बात सामने आते ही उक्त बार के संचालक ने बाकायदा शराब की आपूर्ति करनेवाले वाईन शॉप के खिलाफ संबंधित महकमें के अधिकारियों के पास शिकायत दर्ज कराई. परंतु उस समय ‘तोडीबाजी’ करते हुए इस मामले को वहीं दबा दिया गया और उस बार संचालक की शिकायत रफादफा हो गई. इसके बाद एक अन्य जगह पर भी इसी तरह से फर्जी बैच नंबर वाली शराब की 200 से 300 क्वॉर्टर जांच के दौरान बरामद हुई. जिसके बारे में जानकारी मिलते ही एक साथ 6-6 वाईन शॉप चलानेवाला उक्त ‘शराब माफिया’ वहां पर पहुंचा गया, क्योंकि वह शराब उसकी ही वाईन शॉप से उस बीयरबार में भेजी गई थी ऊर दूसरी बार भी संबंधित महकमें के अधिकारियों के साथ आर्थिक लेन-देन करते हुए मामले को रफादफा कर दिया गया, ऐसी जानकारी सामने आई है. जिसके चलते अब अवैध व नकली शराब की विक्री को रोकने की जिम्मेदारी रखनेवाले महकमें के अधिकारियों की भूमिका पर ही सवालिया निशान लगते नजर आ रहे है.
* जुआ, गांजा, अफीम व ड्रग्ज से भी खतरनाक हैं नकली शराब का कारोबार
यहां यह विशेष उल्लेखनीय है कि, पुलिस द्वारा हमेशा ही जुआ अड्डो सहित गांजा, अफीम व ड्रग्ज की तस्करी सहित गावरानी शराब के अड्डों के खिलाफ कार्रवाई की जाती है और ऐसे अवैध धंधों को नेस्तनाबूत करने का दावा भी किया जाता है. ठीक उसी समय अमरावती शहर सहित जिले में नकली व अवैध शराब का ‘व्हाईट कॉलर’ नेटवर्क बडी तेजी के साथ फल-फूल रहा है. जिसके तहत नामांकित कंपनियों के ब्रांडस् के नाम पर शराब पीने के शौकीन लोगों को रोजाना ही नकली व अवैध शराब परोसी जा रही है. परंतु इस फर्जीवाडे में लिप्त लोगों के खिलाफ आज तक एक बार भी कोई भी कार्रवाई होती दिखाई नहीं दी. जिसके चलते सवाल पूछा जा रहा है कि, आखिर बिना बैच वाली नकली व अवैध शराब की आपूर्ति की समानांतर व्यवस्था चलानेवाले शराब माफिया के खिलाफ कार्रवाई कर की जाएगी.

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