मेलघाट की मूलभूत सुविधाओं हेतु सांसद पहुंचे कोर्ट
उच्च न्यायालय ने स्वीकार की जनहित याचिका

* आदिवासी विकास सहित अनेक महकमों को नोटिस जारी
अमरावती/ दि. 21- मेलघाट की बिजली, सडक, पेयजल और स्वास्थ्य एवं शिक्षा जैसी मूलभूत सुविधाओं के लिए सांसद बलवंत वानखडे ने अब कोर्ट की शरण ली है. उच्च न्यायालय ने सांसद वानखडे की जनहित याचिका विचारार्थ स्वीकार करते हुए शासन के विभिन्न विभागों को नोटिस जारी की है. जिसका उत्तर डेढ महीने में देना है. सांसद की याचिका में खासकर धारणी और चिखलदरा तहसीलों के 22 गांवों में अब तक बिजली पानी नहीं पहुंचने का मुद्दा उपस्थित किया है.
हाईकोर्ट की न्या अनिल किलोर और न्या रजनीश व्यास की खंडपीठ ने सांसद वानखडे के वकील द्बारा पेश किए गये आंकडों और जानकारी को देखने के बाद संबंधित विभागों को नोटिस जारी किए हैं. इस संदर्भ में लोकसेवा आयोग की परीक्षा की तैयारी कर रहे रंगुबेली के निवासी प्रकाश पराते ने सांसद वानखडे से गुहार लगाई थी. पराते द्बारा वर्ष 2017 से शासन और प्रशासन के पास किए गये फालोअप के बावजूद कोई समस्या दूर नहीं होने की बात बलवंत वानखडे को बताने पर वानखडे ने भी मेलघाट की समस्याओं को शासनस्तर पर उपस्थित किया था. हल नहीं निकला.
सांसद की याचिका में कहा गया कि उपरोक्त दोनों तहसीलों के 22 गांवों में बिजली अब तक नहीं पहुंची है. कहीं कहीं सोलर लाइट और उपकरण लगाए गये थे. वह सभी खराब और बंद पडे हैं. सांसद द्बारा प्रशासन का इस ओर ध्यान दिलाने का प्रयास असफल रहा. ऐसे में उनकी जनहित याचिका पर हाईकोर्ट खंडपीठ ने गुरूवार को ग्राम विकास विभाग, उर्जा, वन एवं राजस्व, आदिवासी विकास जनस्वास्थ्य, शालेय शिक्षा, जलापूर्ति, पर्यटन और रोगायो विभाग को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.
इन 22 गांवों की हालत खराब
सांसद की याचिका में बताया गया कि 22 गावों भवई, माखला, बिच्चूखेडा, चुनखडी, खडीमल, नवलगांव, माडी झडप, रायपुर, बोरया टखेडा, रेटयाखेडा, राक्षा, सुमिता, कुटीडा, मारिता, सरवरखेडा, रंगुबेली, धोकडा, कुंड, खामदा, किन्हीखेडा, खोकमार, चोपान गांवों की दशा बेहद खराब है. मूलभूत सुविधाओं का अतापता नहीं है.





