महारेरा की नई कार्यप्रणाली घोषित
क्षतिपूर्ति न देनेवाले डेवलपर को होगी जेल

* घर खरीदने वालों को राहत, महारेरा अधिक कडक
नागपुर/दि.22 – घर खरीदने वालों को राहत देने तथा महारेरा द्वारा डेवलपर को आदेशित मुआवजा समय पर दिलाने के लिए उच्च न्यायालय के निर्देशानुसार महारेरा ने प्रमाणित कार्यप्रणाली घोषित की है. जिसमें पर्याप्त अवसर देने के बावजूद क्षतिपूर्ति न देनेवाले मामले प्रधान दंडाधिकारी के पास भेजने एवं डेवलपर को तीन माह तक जेल की सजा का प्रावधान किया गया है. महारेरा ने यह जानकारी दी है.
उल्लेखनीय है कि, भूमि विकासक कई बार समय-सीमा के अंदर घरों का ताबा नहीं देते, घटिया दर्जे का निर्माण करते, पार्किंग और घोषित स्पेस नहीं दिया जाता, ऐसी अनेक शिकायतों को लेकर खरीदार महारेरा के पास पहुंचते है. सुनवाई पश्चात उन्हें क्षतिपूर्ति के आदेश दिए जाते है. किंतु आदेशों का प्रभावी क्रियान्वयन नहीं होता. इसलिए अब महारेरा ने कार्यप्रणाली बदली है. आदेश के दो माह के भीतर क्रियान्वयन पर जोर दिया गया है. अर्थात 60 दिनों में नुकसान भरपाई देना बंधनकारक है.
यह भी कहा गया कि, क्षतिपूर्ति की रकम समय पर न मिलने से खरीदार को महारेरा के पास शिकायत करना आवश्यक है. शिकायत प्राप्त होने के चार सप्ताह के भीतर महारेरा सुनवाई करेगा. सुनवाई में आदेश के क्रियान्वयन न होने की अवस्था में डेवलपर को अंतिम मुद्दत दी जाएगी. उसके बाद भी रकम न देने पर डेवलपर की चल-अचल संपत्ति, बैंक खाते और अन्य आर्थिक जानकारी का प्रतिज्ञापत्र प्रस्तुत करने कहा जाएगा.
यह जानकारी मिलने के बाद कलेक्टर की ओर वॉरंट भेजकर बैंक खाते, चल-अचल संपत्ति पर जब्ती जैसी कार्रवाई कर क्षतिपूर्ति की रकम वसूल करने कहा जाएगा. उपरांत टालमटोल करने की स्थिति में भारतीय न्याय संहिता के प्रावधानों अंतर्गत प्रथम श्रेणी न्यायदंडाधिकारी के पास केस दिया जाएगा. लापरवाही के लिए डेवलपर को तीन महिने तक कारावास भी हो सकता है. नई कार्यप्रणाली से घर खरीदने वालों के अधिकारों को बल मिलने का दावा किया गया है.





